Vikrant Shekhawat : Jul 21, 2022, 11:41 AM
अगर आप माता वैष्णो देवी के दर्शन कर चुके हैं तो आपको पता होगा कि यात्रा पर्ची के बिना श्रद्धालुओं को बानगंगा पर प्रवेश नहीं दिया जाता. यानी आपकी यात्रा का पहला पड़ाव यात्रा पर्ची लेकर बानगंगा से प्रवेश करना है. लेकिन आने वाले समय में आपको दर्शन करने के लिए यात्रा पर्ची नहीं मिलेगी. जी हां, श्राइन बोर्ड यात्रा पर्ची की जगह नई टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है. नई तकनीक लागू होने के बाद 60 साल से चली आ रही यात्रा पर्ची की परंपरा खत्म हो जाएगी.
अगस्त से शुरू होगा नया सिस्टमदरअसल, 1 जनवरी 2022 को भवन पर हुए हादसे के बाद श्राइन बोर्ड की तरफ से यात्रियों की सुरक्षा के लिए कई तरह के कदम उठाए जा रहे हैं. उसमें से यात्री पर्ची की बजाय नई तकनीकयुक्त रेडियो फ्रिकवेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) सर्विस भी एक है. नई आरएफआईडी सर्विस को अगस्त महीने से जरूरी कर दिया गया है. यानी अगले महीने से यदि आप दर्शन के लिए जाते हैं तो आपको यात्री पर्ची लेने की जरूरत नहीं होगी.
क्या है आरएफआईडी कार्ड?आरएफआईडी कार्ड पूरी तरह से चिपयुक्त है, जिसे सर्वर के साथ कनेक्ट किया जाएगा. इसके लिए बाकायदा कंट्रोल रूम भी बनाया गया है. कार्ड में श्रद्धालु की फोटो के साथ पूरी तरह की जानकारी दी गई होगी. यात्रा शुरू करने से पहले श्राइन बोर्ड के यात्रा पंजीकरण काउंटर से आरएफआईडी कार्ड मिलेगा. यात्रा पूरी होने के बाद इस कार्ड को श्रद्धालु को वापस करना होगा. इस कार्ड को मेट्रो टोकन की तरह कई बार यूज किया जा सकता है.
दर्शन के बाद वापस करना होगा कार्डएक आरएफआईडी की कीमत 10 रुपये है. लेकिन श्राइन बोर्ड की तरफ से श्रद्धालुओं को यह निशुल्क दिया जाएगा. श्राइन बोर्ड ही इसका खर्चा उठाएगा. आरएफआईडी कार्ड का टेंडर श्राइन बोर्ड ने पुणे की एक कंपनी को दिया है. यदि आप ऑनलाइन पंजीकरण करतो हैा तो कटड़ा पहुंचने पर आपके फोन पर मैसेज आएगा कि आपको कितने बजे, किस काउंटर पर जाकर आरएफआईडी कार्ड लेना है. इसके लिए वायरलैस फिडेलिटी फैसिलिटी विकसित की जा रही है.
कब शुरू हुई यात्रा पर्ची?सबसे पहले 1962 में सूचना विभाग ने श्रद्धालुओं के लिए यात्रा पर्ची का सिस्टम शुरू किया था. 1970 में पर्यटन विभाग ने यात्रा पर्ची की जिम्मेदारी संभाली. 1986 में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के गठन के बाद यात्रा पर्ची की जिम्मेदारी श्राइन बोर्ड ने अपने हाथों में ले ली. अब इस सुविधा को बंद करके आरएफआईडी कार्ड सिस्टम लागू किया जा रहा है
अगस्त से शुरू होगा नया सिस्टमदरअसल, 1 जनवरी 2022 को भवन पर हुए हादसे के बाद श्राइन बोर्ड की तरफ से यात्रियों की सुरक्षा के लिए कई तरह के कदम उठाए जा रहे हैं. उसमें से यात्री पर्ची की बजाय नई तकनीकयुक्त रेडियो फ्रिकवेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) सर्विस भी एक है. नई आरएफआईडी सर्विस को अगस्त महीने से जरूरी कर दिया गया है. यानी अगले महीने से यदि आप दर्शन के लिए जाते हैं तो आपको यात्री पर्ची लेने की जरूरत नहीं होगी.
क्या है आरएफआईडी कार्ड?आरएफआईडी कार्ड पूरी तरह से चिपयुक्त है, जिसे सर्वर के साथ कनेक्ट किया जाएगा. इसके लिए बाकायदा कंट्रोल रूम भी बनाया गया है. कार्ड में श्रद्धालु की फोटो के साथ पूरी तरह की जानकारी दी गई होगी. यात्रा शुरू करने से पहले श्राइन बोर्ड के यात्रा पंजीकरण काउंटर से आरएफआईडी कार्ड मिलेगा. यात्रा पूरी होने के बाद इस कार्ड को श्रद्धालु को वापस करना होगा. इस कार्ड को मेट्रो टोकन की तरह कई बार यूज किया जा सकता है.
दर्शन के बाद वापस करना होगा कार्डएक आरएफआईडी की कीमत 10 रुपये है. लेकिन श्राइन बोर्ड की तरफ से श्रद्धालुओं को यह निशुल्क दिया जाएगा. श्राइन बोर्ड ही इसका खर्चा उठाएगा. आरएफआईडी कार्ड का टेंडर श्राइन बोर्ड ने पुणे की एक कंपनी को दिया है. यदि आप ऑनलाइन पंजीकरण करतो हैा तो कटड़ा पहुंचने पर आपके फोन पर मैसेज आएगा कि आपको कितने बजे, किस काउंटर पर जाकर आरएफआईडी कार्ड लेना है. इसके लिए वायरलैस फिडेलिटी फैसिलिटी विकसित की जा रही है.
कब शुरू हुई यात्रा पर्ची?सबसे पहले 1962 में सूचना विभाग ने श्रद्धालुओं के लिए यात्रा पर्ची का सिस्टम शुरू किया था. 1970 में पर्यटन विभाग ने यात्रा पर्ची की जिम्मेदारी संभाली. 1986 में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के गठन के बाद यात्रा पर्ची की जिम्मेदारी श्राइन बोर्ड ने अपने हाथों में ले ली. अब इस सुविधा को बंद करके आरएफआईडी कार्ड सिस्टम लागू किया जा रहा है