News18 : Sep 22, 2019, 05:32 PM
नवरात्र (Navratri 2019) पर माता वैष्णों देवी मंदिर की शोभा इस बार कई गुना बढ़ जाएगी. 29 नवंबर से शुरू होने वाली नवरात्र के दौरान वैष्णो देवी मंदिर की गुफा में सोने का दरवाजा लगवाया जाएगा. इससे पहले यहां संगमरमर (मार्बल) के बने द्वार थे. मंदिर के पुजारी प्रतिदिन इसी गुफा से वैष्णो मां की आरती करते हैं. दर्शनार्थी श्रद्धालुओं के लिए इस गुफा के दर्शन होना काफी दुर्लभ है क्योंकि ये गुफा सर्दियों में ही खोली जाती है. आइए जानते हैं वैष्णों मंदिर की इस पारंपरिक गुफा के बारे में...
संगमरमर से बने गुफा के दरवाजे पर मां लक्ष्मी, गणेश भगवान, आरती और मंत्र लिखे हुए हैं. इस सिलसिले में श्राइन बोर्ड के CEO सिमरनदीप सिंह का कहना है कि श्राइन बोर्ड की नई डोनेशन पॉलिसी के तहत मंदिर के द्वार को सोने से बनवाया जा रहा है.नवरात्र पर ऐसी होगी वैष्णों देवी मंदिर की सजावट:नवरात्र पर मां वैष्णों देवी मंदिर की सजावट बहुत ही भव्य तरीके से की जाएगी. मां के दरबार को थाईलैंड, हॉलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, ऊंटी और पालमपुर से मंगाए गए फूलों से सजाया जाएगा. साथ ही कटरा बेस कैंप से मां के दरबार तक 13 किमी लंबे पहाड़ी रास्तों को बिजली की झालर से सजाया जाएगा. बता दें कि ऐसा पहली बार हो रहा है.मां वैष्णो देवी के मंदिर में लगने वाले इस दरवाजे को तैयार करने में तीन महीने का समय लगा है . श्राइन बोर्ड ने इस दरवाजे के निर्माण का जिम्मा मुंबई में सिद्धिविनायक और दिल्ली में झंडेवालान मंदिर में नक्काशी करने वाले कारीगरों से करवाया है.
संगमरमर से बने गुफा के दरवाजे पर मां लक्ष्मी, गणेश भगवान, आरती और मंत्र लिखे हुए हैं. इस सिलसिले में श्राइन बोर्ड के CEO सिमरनदीप सिंह का कहना है कि श्राइन बोर्ड की नई डोनेशन पॉलिसी के तहत मंदिर के द्वार को सोने से बनवाया जा रहा है.नवरात्र पर ऐसी होगी वैष्णों देवी मंदिर की सजावट:नवरात्र पर मां वैष्णों देवी मंदिर की सजावट बहुत ही भव्य तरीके से की जाएगी. मां के दरबार को थाईलैंड, हॉलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, ऊंटी और पालमपुर से मंगाए गए फूलों से सजाया जाएगा. साथ ही कटरा बेस कैंप से मां के दरबार तक 13 किमी लंबे पहाड़ी रास्तों को बिजली की झालर से सजाया जाएगा. बता दें कि ऐसा पहली बार हो रहा है.मां वैष्णो देवी के मंदिर में लगने वाले इस दरवाजे को तैयार करने में तीन महीने का समय लगा है . श्राइन बोर्ड ने इस दरवाजे के निर्माण का जिम्मा मुंबई में सिद्धिविनायक और दिल्ली में झंडेवालान मंदिर में नक्काशी करने वाले कारीगरों से करवाया है.