डीयू के 100 साल / कुलपति योगेश सिंह बोले- दुनिया के 200 सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल करना लक्ष्य

दिल्ली विश्वविद्यालय रविवार को अपना शताब्दी समारोह मना रहा है। वर्ष 1922 में 750 छात्रों, तीन कॉलेज, दो फैकल्टी और 40 हजार रुपये से यह शुरू हुआ था। 100 वर्षों के इस सफर में अब 6 लाख 25 हजार छात्र-छात्राएं, 91 कॉलेज, 900 करोड़ रुपये का बजट और 5 हजार फैकल्टी है। इन दिनों आजादी का अमृत महोत्सव चल रहा है और 2047 में जब देश आजादी का शताब्दी समारोह मना रहा होगा तो हमारा लक्ष्य है कि शिक्षा जगत में भी भारत का नाम हो।

Vikrant Shekhawat : May 01, 2022, 09:30 AM
दिल्ली विश्वविद्यालय रविवार को अपना शताब्दी समारोह मना रहा है। वर्ष 1922 में 750 छात्रों, तीन कॉलेज, दो फैकल्टी और 40 हजार रुपये से यह शुरू हुआ था। 100 वर्षों के इस सफर में अब 6 लाख 25 हजार छात्र-छात्राएं, 91 कॉलेज, 900 करोड़ रुपये का बजट और 5 हजार फैकल्टी है। 


इन दिनों आजादी का अमृत महोत्सव चल रहा है और 2047 में जब देश आजादी का शताब्दी समारोह मना रहा होगा तो हमारा लक्ष्य है कि शिक्षा जगत में भी भारत का नाम हो। इसलिए दिल्ली विश्वविद्यालय और देश की आजादी के शताब्दी समारोह में हमें डीयू को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 200 विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल करने का लक्ष्य रखा है। यह कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह का। उन्होंने अमर उजाला संवाददाता सीमा शर्मा से शताब्दी समारोह पर विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाने को लेकर भविष्य की योजनाओं पर विस्तार से बात की।


डीयू को दुनिया के टॉप 200 विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल करने के लिए किस प्रकार से काम करेंगे?

डीयू का नाम देश ही नहीं, विदेशों में भी चलता है। स्वतंत्रता आंदोलन के समय से जुड़े विश्वविद्यालय को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ टॉप 200 में शामिल करने का सपना देखा है। इसके लिए जो भी पैरामीटर होते हैं, उसे पूरा किया जाएगा। इसमें छात्र-शिक्षक अनुपात, रिसर्च, विदेशी छात्र, इंफ्रास्ट्रक्चर समेत अन्य मापदंड शामिल होते हैं। इन्हें ध्यान में रखते हुए पूरा खाका बनाकर तैयारियां शुरू की जा रही हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में दुनिया के 200 सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय की सूची में शामिल होता है तो यह विश्वविद्यालय के लिए सम्मान की बात होगी। इसके अलावा भारतीय उच्च शिक्षा के लिए गर्व की बात होगी। रिसर्च पर भी काम होगा। आम लोगों की दिक्कतों के समाधान पर आधारित रिसर्च एरिया चुने जा सकेंगे। उन्हें इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित किया जाएगा, ताकि रेटिंग मिल सके।


कोर्स और पाठ्यक्रम में भी कोई बदलाव होगा?

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू करना सबसे बड़ी प्राथमिकता है। इसी के आधार पर चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम को मंजूरी दे दी गई है। संयुक्त दाखिला प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) से अब स्नातक प्रोग्राम में दाखिला मिलेगा। सीयूईटी के चलते दूरदराज, ग्रामीण, सरकारी स्कूलों के आम छात्र-छात्राएं भी मेरिट के आधार पर सीट पा सकेंगे। सभी छात्रों को एक ही नजरिये से देखा जाएगा। यह सबसे बड़ी उच्च शिक्षा में बदलाव होगा। फिलहाल अभी 540 कोर्स में पढ़ाई होती है। एनईपी को ध्यान में रखते हुए टेक्नोलॉजी पर विशेष फोकस रहेगा। मार्केट डिमांड व रोजगार देने वाले 25 से 30 नए कोर्स भी शुरू करने की तैयारी है।


क्या इंजीनियरिंग डिग्री प्रोग्राम को भी विश्वविद्यालय में जोड़ा जाएगा?

नेताजी सुभाष युनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (एनएसयूटी) पूर्व में नेताजी सुभाष प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली विश्वविद्यालय का एक कॉलेज था। बाद में विश्वविद्यालय बनने के बाद डीयू से अलग हो गया। इसलिए बीटेक कोर एरिया में डिग्री प्रोग्राम नहीं है। छात्रों को जल्द डीयू में बीटेक प्रोग्राम की पढ़ाई का मौका भी मिलेगा। फैकल्टी ऑफ टेक्नोलॉजी प्रोग्राम शुरू किया जाएगा। बीटेक में तीन नए कोर्स इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग शुरू किए जाएंगे।


शिक्षा के साथ छात्रों को रोजगार से जोड़ने के लिए क्या योजना है?

चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम और ड्यूल डिग्री प्रोग्राम के चलते अब छात्रों को अपने विषय के अलावा मनपसंद अन्य एरिया के विषयों की पढ़ाई की आजादी भी मिलेगी। इससे उच्च शिक्षा में बड़ा बदलाव होगा। अब छात्रों के पास डिग्री के अलावा अपनी नॉलेज बढ़ाने के बेहतर मौके उपलब्ध होंगे। इससे उन्हें आगे रोजगार या अपना काम शुरू करने में फायदा होगा। उच्च शिक्षा में अब पढ़ाई में विषयों की आजादी के बाद छात्रों को अब रोजगार से जोड़ने के लिए प्लेसमेंट के बेहतर मौके उपलब्ध करवाने पर जोर रहेगा। इंटर्नशिप पर काम होगा। आईआईटी और आईआईएम की तर्ज पर कंपनियों को कैंपस प्लेसमेंट से जोड़ा जाएगा, ताकि डिग्री से पहले छात्रों को रोजगार भी उपलब्ध हो। इसके लिए उन्हें विशेष रूप से ट्रेनिंग सेशन भी दिए जाएंगे। यदि कोई छात्र स्टार्टअप में अपनी कंपनी शुरू करना चाहता होगा तो उसके लिए भी मदद मिलेगी।


क्या डीयू के पूर्व छात्रों को जोड़ने और इंडोमेंट फंड शुरू करने की भी योजना है?

100 वर्षों में डीयू के पूर्व छात्रों ने देश-दुनिया में हर क्षेत्र में नाम रोशन किया है। उन्हें दोबारा विश्वविद्यालय से जोड़ने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन अंतर्राष्ट्रीय एल्युमिनाई ग्रुप बनाएगा। देश और महाद्वीप के आधार पर यह ग्रुप होगा। पूर्व छात्रों को जोड़ने के लिए फ्रेंड्स ऑफ यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली फाउंडेशन कंपनी बनाई गई है। इसका काम फंड यानी पैसा एकत्रित करना होगा। फिलहाल अभी विश्वविद्यालय 99 फीसदी केंद्र सरकार पर आर्थिक रूप से निर्भर है। इसकी बजाय दिल्ली विश्वविद्यालय आर्थिक रूप से स्वयं सक्षम बनेगा। इसमें पूर्व छात्रों से मदद ली जाएगी। पूर्व छात्रों और कंपनियों (सीएसआर के तहत) को कॉल की जा रही है। इसके अलावा आईआईटी की तर्ज पर डीयू भी इंडोमेंट फंड योजना शुरू करेगा। इसमें पूर्व छात्रों से आर्थिक मदद ली जाएगी। वे कोर्स, पाठ्यक्रम, विभाग, रिसर्च, चेयर स्थापित करने से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर में मदद कर सकेंगे।


विदेशी छात्रों के डीयू में दाखिले के लिए कोई योजना बनाई है?

अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में शामिल होने के लिए पैरामीटर में विदेशी छात्र भी मुख्य होते हैं। इसके अलावा विदेशी छात्रों को डीयू में स्नातक, स्नातकोत्तर और रिसर्च एरिया में जोड़ने की योजना बनाई है। इसके लिए विदेशों में बसे पूर्व छात्रों की मदद ली जाएगी। इसका खाका बनाया जा रहा है। इसमें देशों के आधार पर सूची बनेगी। पूर्व छात्र जिन देशों में होंगे, उन्हें इस योजना में जोड़ा जाएगा। डीयू का इंटरनेशनल डिपार्टमेंट उन पूर्व छात्रों की मदद से विभिन्न देशों के एल्युमिनाई ग्रुप बनाएगा। फिर उन देशों में जाकर अवेयरनेस कैंपेन चलाया जाएगा। उन्हें भारतीय परंपराओं, कोर्स, पाठ्यक्रम आदि की जानकारी दी जाएगी।