Vikrant Shekhawat : Aug 22, 2019, 05:13 PM
उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने जम्मू-कश्मीर राज्य के बारे में गलत सूचना फैलाने और इसका अंतर्राष्ट्रीयकरण करने के प्रयास की निंदा करते हुए कहा कि यह पूरी तरह एक प्रशासनिक मामला था जो भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। बाल्टिक क्षेत्र के तीन देशों की यात्रा के अंतिम दिनएस्टोनिया के राजनयिक मिशनों के प्रमुखों को संबोधित करते हुए श्री नायडू ने कहा कि भारत अपने देश के आंतरिक मामलों में किसी हस्तक्षेप या मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर राज्य के पुनर्गठन का उद्देश्य शासन में सुधार लाना और समावेशी तथा समान विकास को बढ़ावा देना था। यह निर्णय भारत की संसद में पार्टी लाइनों से हटकर भारी बहुमत से लिया था।
हमारे पड़ोसी देश की ओर से गलत सूचना फैलाना पूरी तरह से अनुचित था और किसी अन्य देश के आंतरिक प्रशासन के बारे में इस तरह की ब्यानबाजी विश्व शांति के लिए ठीक नहीं है। ऐसी दुनिया में जो 2030 तक सतत विकास का एक महत्वाकांक्षी, परिवर्तनकारी एजेंडा अर्जित करने के लिए प्रतिबद्ध हो,इस तरह की उत्तेजक गतिविधियां प्रगति को धीमा कर सकती है। राष्ट्रपति ने भारत के संवाद, समृद्धि, संस्कृति और सम्मान जैसे कुछ दृष्टिकोणों का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारा विश्वास है कि हमारे पास एक समग्र, मुक्त और स्वतंत्र प्रणाली होनी चाहिए जो सभी देशों के साथ समान और निष्पक्ष व्यवहार करती है और इसका उद्देश्य सहयोग के लिए परस्पर लाभ दायक मंच स्थापित करना है। हम ऐसा विश्व देखना चाहते हैं जिसमें सभी के लिए सुरक्षा और विकास सुनिश्चित हो।उन्होंने एस्टोनिया के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ व्यापक रूप से बातचीत की। एस्टोनिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत के स्थायी सदस्यता के दावे का समर्थन करने और आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के वैश्विक प्रयासों को तेज करने का संकल्प लिया। नायडू और एस्टोनिया की राष्ट्रपति सुश्री केर्तिकालजुलैद और प्रधानमंत्री जूरीरतास ने सभी क्षेत्रों, विशेष रूप से आर्थिक सांस्कृतिक और सूचना प्रौद्योगिकी में द्विपक्षीय संबंधों का विस्तार करने के बारे में सहमति व्यक्त की।भारत द्वारा लंबे समय से सीमापार आंतकवाद का सामना करने का जिक्र करते हुए श्री नायडू ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा आंतकवादी समूहों और व्यक्तियों की गतिविधियों से निपटने के लिए अधिक प्रयास किये जाने की जरूरत है।उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सूचीबद्ध आतंकवादियों से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अनुमोदन समिति के कामकाज में अधिक से अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता लाए जाने की जरूरत है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों से अनुरोध किया कि 1996 में भारत द्वारा प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौते को जल्द से जल्द अपनाने के लिए सामूहिक राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करना चाहिए। उन्होंने एस्टोनिया के गणमान्य व्यक्तियों से कहा कि भारत अपने पड़ोसियों सहित सभी देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंधों में विश्वास करता है। भारत साझा चिंता के सभी क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों का बाल्टिक देशों और यूरोपीय संघ के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने का इच्छुक है।उन्होंने कहा कि हम अंतर्राष्ट्रीय कानून और राष्ट्रीय संप्रभुता के सम्मान के लिएवैश्विक आदेश के निर्माण के महत्व को महत्व देते हैं। उन्होंने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसे आम चिंता के मुद्दों के बारे में भी विचार-विमर्श किया। उन्होंने एस्टोनिया को अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होने का निमंत्रण देते हुए कहा कि भारत इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत-एस्टोनिया व्यापार फोरम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत कई वर्षों से 7 प्रतिशत से अधिक की दर से आर्थिक प्रगति दर्ज कर रहा है। 2025 तक भारत की अर्थव्यवस्था 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि एस्टोनिया की आईटी क्षमताओं और व्यापक नवाचार माहोल को देखते हुए भारत और एस्टोनिया की साइबर सुरक्षा और संबंधित क्षेत्रों में आईटी कंपनियों के बीच प्रौद्योगिकी साझेदारी केनिर्माण की व्यापक संभावना है।उन्होंने एस्टोनिया की ई-निवास योजना की सराहना की। भारत और एस्टोनिया के बीच 172 बिलियन अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार का उल्लेख करते हुए उन्होंने दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया। भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने भारत सरकार द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए भारतीय प्रवासियों से भारत के विकास की पटकथा लिखने में सहयोग देने का आह्वान किया ताकि भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियिन अमेरिकी डॉलर की ओर अग्रसर हो सके।उपराष्ट्रपति की यात्रा के अवसर पर साइबर सुरक्षा और राजनयिक पासपोर्ट धारकों के लिए वीज़ा आवश्यकता की छूट के बारे में भारत और एस्टोनिया के अधिकारियों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। ई-गवर्नेंस के बारे में भी एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए।उपराष्ट्रपति ने वाबाडुज स्क्वायर स्थित स्मारक पर माल्यार्पण कर एस्टोनिया के स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों को भी श्रद्धांजलि दी।
हमारे पड़ोसी देश की ओर से गलत सूचना फैलाना पूरी तरह से अनुचित था और किसी अन्य देश के आंतरिक प्रशासन के बारे में इस तरह की ब्यानबाजी विश्व शांति के लिए ठीक नहीं है। ऐसी दुनिया में जो 2030 तक सतत विकास का एक महत्वाकांक्षी, परिवर्तनकारी एजेंडा अर्जित करने के लिए प्रतिबद्ध हो,इस तरह की उत्तेजक गतिविधियां प्रगति को धीमा कर सकती है। राष्ट्रपति ने भारत के संवाद, समृद्धि, संस्कृति और सम्मान जैसे कुछ दृष्टिकोणों का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारा विश्वास है कि हमारे पास एक समग्र, मुक्त और स्वतंत्र प्रणाली होनी चाहिए जो सभी देशों के साथ समान और निष्पक्ष व्यवहार करती है और इसका उद्देश्य सहयोग के लिए परस्पर लाभ दायक मंच स्थापित करना है। हम ऐसा विश्व देखना चाहते हैं जिसमें सभी के लिए सुरक्षा और विकास सुनिश्चित हो।उन्होंने एस्टोनिया के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ व्यापक रूप से बातचीत की। एस्टोनिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत के स्थायी सदस्यता के दावे का समर्थन करने और आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के वैश्विक प्रयासों को तेज करने का संकल्प लिया। नायडू और एस्टोनिया की राष्ट्रपति सुश्री केर्तिकालजुलैद और प्रधानमंत्री जूरीरतास ने सभी क्षेत्रों, विशेष रूप से आर्थिक सांस्कृतिक और सूचना प्रौद्योगिकी में द्विपक्षीय संबंधों का विस्तार करने के बारे में सहमति व्यक्त की।भारत द्वारा लंबे समय से सीमापार आंतकवाद का सामना करने का जिक्र करते हुए श्री नायडू ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा आंतकवादी समूहों और व्यक्तियों की गतिविधियों से निपटने के लिए अधिक प्रयास किये जाने की जरूरत है।उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सूचीबद्ध आतंकवादियों से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अनुमोदन समिति के कामकाज में अधिक से अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता लाए जाने की जरूरत है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों से अनुरोध किया कि 1996 में भारत द्वारा प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौते को जल्द से जल्द अपनाने के लिए सामूहिक राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करना चाहिए। उन्होंने एस्टोनिया के गणमान्य व्यक्तियों से कहा कि भारत अपने पड़ोसियों सहित सभी देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंधों में विश्वास करता है। भारत साझा चिंता के सभी क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों का बाल्टिक देशों और यूरोपीय संघ के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने का इच्छुक है।उन्होंने कहा कि हम अंतर्राष्ट्रीय कानून और राष्ट्रीय संप्रभुता के सम्मान के लिएवैश्विक आदेश के निर्माण के महत्व को महत्व देते हैं। उन्होंने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसे आम चिंता के मुद्दों के बारे में भी विचार-विमर्श किया। उन्होंने एस्टोनिया को अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होने का निमंत्रण देते हुए कहा कि भारत इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत-एस्टोनिया व्यापार फोरम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत कई वर्षों से 7 प्रतिशत से अधिक की दर से आर्थिक प्रगति दर्ज कर रहा है। 2025 तक भारत की अर्थव्यवस्था 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि एस्टोनिया की आईटी क्षमताओं और व्यापक नवाचार माहोल को देखते हुए भारत और एस्टोनिया की साइबर सुरक्षा और संबंधित क्षेत्रों में आईटी कंपनियों के बीच प्रौद्योगिकी साझेदारी केनिर्माण की व्यापक संभावना है।उन्होंने एस्टोनिया की ई-निवास योजना की सराहना की। भारत और एस्टोनिया के बीच 172 बिलियन अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार का उल्लेख करते हुए उन्होंने दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया। भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने भारत सरकार द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए भारतीय प्रवासियों से भारत के विकास की पटकथा लिखने में सहयोग देने का आह्वान किया ताकि भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियिन अमेरिकी डॉलर की ओर अग्रसर हो सके।उपराष्ट्रपति की यात्रा के अवसर पर साइबर सुरक्षा और राजनयिक पासपोर्ट धारकों के लिए वीज़ा आवश्यकता की छूट के बारे में भारत और एस्टोनिया के अधिकारियों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। ई-गवर्नेंस के बारे में भी एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए।उपराष्ट्रपति ने वाबाडुज स्क्वायर स्थित स्मारक पर माल्यार्पण कर एस्टोनिया के स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों को भी श्रद्धांजलि दी।