AajTak : Jul 10, 2020, 04:51 PM
कानपुर शूटआउट के मास्टरमाइंड विकास दुबे का शुक्रवार सुबह एनकाउंटर कर दिया गया लेकिन उससे पहले वह कई अहम खुलासे करके गया था। उसने 8 पुलिसवालों की हत्या का जुर्म भी कबूला
गुरुवार को उज्जैन में गिरफ्तार होने के बाद विकास दुबे ने पुलिस को शहीद सीओ देवेंद्र मिश्र के बारे में बताया कि सीओ देवेंद्र मिश्र से मेरी नहीं बनती थी। कई बार वो मुझे देख लेने की धमकी दे चुके थे।पहले भी बहस हो चुकी थी।विकास ने बताया कि चौबेपुर थाना प्रभारी विनय तिवारी ने भी बताया था कि सीओ तुम्हारे ख़िलाफ़ है, लिहाजा मुझे सीओ पर ग़ुस्सा था।उसने बताया कि सीओ को सामने के मकान में मारा गया था। मैंने नहीं मारा सीओ को लेकिन मेरे साथ के आदमियों ने दूसरी तरफ़ के अहाते से कूदकर मामा के मकान के आंगन में उनपर हमला किया था।विकास के साथियों ने शहीद सीओ के पैर पर भी वार किया था। उसने कहा कि मुझे पता चला था कि वो बोलते हैं कि विकास का एक पैर गड़बड़ है, एक पैर से लंगड़ा है, दूसरा भी सही कर दूंगा। इसीलिए पैर पर वार किया गया। हालांकि विकास ने कहा कि सीओ का गला नहीं काटा था, गोली पास से सिर में मारी गई थी इसलिये आधा चेहरा फट गया था।\विकास दुबे ने बताया था कि उसके पास पहले से क्रूड बम भी थे जो सामने के घर में रखे थे। पहले उसका भी इस्तेमाल किया गया। बाद में गोलियां चलाई गईं।बता दें कि कानपुर के बिकारू गांव के रहने वाले विकास दुबे पर आठ पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या का आरोप था। पुलिस टीम उस पर दबिश देने गई थी, तभी पहले से घात लगाए विकास दुबे और उसके गुर्गों ने हमला बोल दिया था। 200 से 300 राउंड की फायरिंग की गई थी। इस दौरान सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।आठ पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या के बाद विकास दुबे और उसके गुर्गे फरार हो गए थे। विकास दुबे की तलाश में पूरे प्रदेश को छावनी में बदल दिया गया था। घटना के 6 दिन बाद विकास दुबे को उज्जैन के महाकाल मंदिर से पकड़ा गया था।जब यूपी एसटीएफ और पुलिस उसे पकड़कर कानपुर ले जा रही थी तो शुक्रवार सुबह कानपुर टोल नाके से 25 किलोमीटर दूर विकास दुबे को ला रही कार पलट गई। इस दौरान विकास दुबे ने हथियार छीनकर भागने की कोशिश की जिसके बाद उसका एनकाउंटर कर दिया गया।
गुरुवार को उज्जैन में गिरफ्तार होने के बाद विकास दुबे ने पुलिस को शहीद सीओ देवेंद्र मिश्र के बारे में बताया कि सीओ देवेंद्र मिश्र से मेरी नहीं बनती थी। कई बार वो मुझे देख लेने की धमकी दे चुके थे।पहले भी बहस हो चुकी थी।विकास ने बताया कि चौबेपुर थाना प्रभारी विनय तिवारी ने भी बताया था कि सीओ तुम्हारे ख़िलाफ़ है, लिहाजा मुझे सीओ पर ग़ुस्सा था।उसने बताया कि सीओ को सामने के मकान में मारा गया था। मैंने नहीं मारा सीओ को लेकिन मेरे साथ के आदमियों ने दूसरी तरफ़ के अहाते से कूदकर मामा के मकान के आंगन में उनपर हमला किया था।विकास के साथियों ने शहीद सीओ के पैर पर भी वार किया था। उसने कहा कि मुझे पता चला था कि वो बोलते हैं कि विकास का एक पैर गड़बड़ है, एक पैर से लंगड़ा है, दूसरा भी सही कर दूंगा। इसीलिए पैर पर वार किया गया। हालांकि विकास ने कहा कि सीओ का गला नहीं काटा था, गोली पास से सिर में मारी गई थी इसलिये आधा चेहरा फट गया था।\विकास दुबे ने बताया था कि उसके पास पहले से क्रूड बम भी थे जो सामने के घर में रखे थे। पहले उसका भी इस्तेमाल किया गया। बाद में गोलियां चलाई गईं।बता दें कि कानपुर के बिकारू गांव के रहने वाले विकास दुबे पर आठ पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या का आरोप था। पुलिस टीम उस पर दबिश देने गई थी, तभी पहले से घात लगाए विकास दुबे और उसके गुर्गों ने हमला बोल दिया था। 200 से 300 राउंड की फायरिंग की गई थी। इस दौरान सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।आठ पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या के बाद विकास दुबे और उसके गुर्गे फरार हो गए थे। विकास दुबे की तलाश में पूरे प्रदेश को छावनी में बदल दिया गया था। घटना के 6 दिन बाद विकास दुबे को उज्जैन के महाकाल मंदिर से पकड़ा गया था।जब यूपी एसटीएफ और पुलिस उसे पकड़कर कानपुर ले जा रही थी तो शुक्रवार सुबह कानपुर टोल नाके से 25 किलोमीटर दूर विकास दुबे को ला रही कार पलट गई। इस दौरान विकास दुबे ने हथियार छीनकर भागने की कोशिश की जिसके बाद उसका एनकाउंटर कर दिया गया।