News18 : Jun 05, 2020, 10:55 AM
दिल्ली: देश में आज यानि 05 जून को दूसरा चंद्रग्रहण लगने जा रहा है। इसे भारत में देखा जा सकेगा। ये चंद्रग्रहण भारत में रात 11 बजे शुरू होगा और रात में 2 बजकर 34 मिनट तक चलेगा।
जानिए इस चंद्रग्रहण के बारे में 10 खास बातें1। 05 जून को लगने वाला चंद्रग्रहण करीब 03 घंटे तक प्रभावी रहेगा लेकिन रात 12 बजकर 54 मिनट पर इसका असर सबसे ज्यादा होगा। इसे भारत समेत एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में देखा जा सकेगा।2। ये चंद्रग्रहण पीनम्ब्रल यानी उप छाया ग्रहण बताया जा रहा है। यानि इसमें पृथ्वी की मुख्य छाया के बाहर का हिस्सा चांद पर पड़ेगा जिससे उसकी चमक फीकी पड़ जाएगी।3। चूंकि ये उप छाया ग्रहण है, इसलिए ग्रहण का असर बहुत ज़्यादा नहीं दिखेगा। चांद पर सिर्फ हल्की सी परछाई पड़ती दिखेगी, चांद बस थोड़ा-सा मटमैले रंग का दिखाई देगा।4। खगोलशास्त्रियों का कहना है कि ये ग्रहण इतनी आसानी से शायद नजर नहीं आए। अगर आसमान साफ होगा और आप पूरे ध्यान से देखेंगे तो इसके प्रभाव आपको नजर आएंगे। इसमें भी चांद के उत्तरी हिस्से की चमक और दक्षिणी हिस्से की चमक में अंतर दिखेगा।5। साल 2020 में कुल छह ग्रहण लगने हैं। इनमें से दो सूर्यग्रहण हैं। इसके अलावा चार चंद्रग्रहण होंगे। पहला चंद्रग्रहण 10 जनवरी को लग चुका है। ये दूसरा है।इसके बाद 5 जुलाई और 30 नवंबर को चंद्रग्रहण देखा जा सकेगा। वहीं इसी महीने एक और सूर्यग्रहण होगा, जो 21 जून को होगा। इसके बाद अगला सूर्यग्रहण 14 दिसंबर को होगा।कोई भी वस्तु जो प्रकाश को रोकती है, वो दो तरह की छाया उत्पन्न करेगी। एक जो अंधेरी और घनी होगी, उसे अम्ब्रल छाया कहते हैं। दूसरी वो जो हल्की और फैली हुई होगी, उसे पीनम्ब्रल कहते हैं। ये पीनम्ब्रल ग्रहण है।6। सूर्य की परिक्रमा के दौरान पृथ्वी, चांद और सूर्य के बीच में इस तरह आ जाती है कि चांद धरती की छाया से छिप जाता है। तब चंद्रग्रहण होता लेकिन यह तभी संभव है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा अपनी कक्षा में एक दूसरे के बिल्कुल सीध में हों। पूर्णिमा के दिन जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इससे चंद्रमा के छाया वाला भाग अंधकारमय रहता है। जब हम इस स्थिति में धरती से चांद को देखते हैं तो वह भाग हमें काला दिखाई पड़ता है। इसी वजह से इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है।7। जब पृथ्वी सूर्य की किरणों को पूरी तरह से रोक लेती है तो उसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं लेकिन जब चंद्रमा का सिर्फ एक भाग छिपता है तो उसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहते हैं।8। टेलिस्कोप की मदद से देखने से ये चंद्र ग्रहण बहुत खूबसूरत नजर आएगा। इसे आप www।virtualtelescope।eu पर वर्चुअल टेलिस्कोप की मदद से देख सकते हैं। इसके अलावा आप इसे यूट्यूब चैनल CosmoSapiens, Slooh पर लाइव देख सकते हैं।9। आयुर्वेद की दृष्टि से, ग्रहण से दो घंटे पहले हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन खाने की सलाह दी जाती है। ग्रहण के दौरान कुछ भी न खाएं और न ही पीएं।10। चंद्र ग्रहण के दौरान या चंद्र ग्रहण को सीधे तौर पर देखना, आपकी आंखों को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाता। जबकि, सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से देखने पर यह आपकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है।
जानिए इस चंद्रग्रहण के बारे में 10 खास बातें1। 05 जून को लगने वाला चंद्रग्रहण करीब 03 घंटे तक प्रभावी रहेगा लेकिन रात 12 बजकर 54 मिनट पर इसका असर सबसे ज्यादा होगा। इसे भारत समेत एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में देखा जा सकेगा।2। ये चंद्रग्रहण पीनम्ब्रल यानी उप छाया ग्रहण बताया जा रहा है। यानि इसमें पृथ्वी की मुख्य छाया के बाहर का हिस्सा चांद पर पड़ेगा जिससे उसकी चमक फीकी पड़ जाएगी।3। चूंकि ये उप छाया ग्रहण है, इसलिए ग्रहण का असर बहुत ज़्यादा नहीं दिखेगा। चांद पर सिर्फ हल्की सी परछाई पड़ती दिखेगी, चांद बस थोड़ा-सा मटमैले रंग का दिखाई देगा।4। खगोलशास्त्रियों का कहना है कि ये ग्रहण इतनी आसानी से शायद नजर नहीं आए। अगर आसमान साफ होगा और आप पूरे ध्यान से देखेंगे तो इसके प्रभाव आपको नजर आएंगे। इसमें भी चांद के उत्तरी हिस्से की चमक और दक्षिणी हिस्से की चमक में अंतर दिखेगा।5। साल 2020 में कुल छह ग्रहण लगने हैं। इनमें से दो सूर्यग्रहण हैं। इसके अलावा चार चंद्रग्रहण होंगे। पहला चंद्रग्रहण 10 जनवरी को लग चुका है। ये दूसरा है।इसके बाद 5 जुलाई और 30 नवंबर को चंद्रग्रहण देखा जा सकेगा। वहीं इसी महीने एक और सूर्यग्रहण होगा, जो 21 जून को होगा। इसके बाद अगला सूर्यग्रहण 14 दिसंबर को होगा।कोई भी वस्तु जो प्रकाश को रोकती है, वो दो तरह की छाया उत्पन्न करेगी। एक जो अंधेरी और घनी होगी, उसे अम्ब्रल छाया कहते हैं। दूसरी वो जो हल्की और फैली हुई होगी, उसे पीनम्ब्रल कहते हैं। ये पीनम्ब्रल ग्रहण है।6। सूर्य की परिक्रमा के दौरान पृथ्वी, चांद और सूर्य के बीच में इस तरह आ जाती है कि चांद धरती की छाया से छिप जाता है। तब चंद्रग्रहण होता लेकिन यह तभी संभव है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा अपनी कक्षा में एक दूसरे के बिल्कुल सीध में हों। पूर्णिमा के दिन जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इससे चंद्रमा के छाया वाला भाग अंधकारमय रहता है। जब हम इस स्थिति में धरती से चांद को देखते हैं तो वह भाग हमें काला दिखाई पड़ता है। इसी वजह से इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है।7। जब पृथ्वी सूर्य की किरणों को पूरी तरह से रोक लेती है तो उसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं लेकिन जब चंद्रमा का सिर्फ एक भाग छिपता है तो उसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहते हैं।8। टेलिस्कोप की मदद से देखने से ये चंद्र ग्रहण बहुत खूबसूरत नजर आएगा। इसे आप www।virtualtelescope।eu पर वर्चुअल टेलिस्कोप की मदद से देख सकते हैं। इसके अलावा आप इसे यूट्यूब चैनल CosmoSapiens, Slooh पर लाइव देख सकते हैं।9। आयुर्वेद की दृष्टि से, ग्रहण से दो घंटे पहले हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन खाने की सलाह दी जाती है। ग्रहण के दौरान कुछ भी न खाएं और न ही पीएं।10। चंद्र ग्रहण के दौरान या चंद्र ग्रहण को सीधे तौर पर देखना, आपकी आंखों को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाता। जबकि, सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से देखने पर यह आपकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है।