Vikrant Shekhawat : Jun 07, 2023, 07:44 AM
WTC Final: साउथ लंदन का ओवल मैदान हमेशा से इतिहास का गवाह बना है. दुनिया के सबसे पुराने क्रिकेट स्टेडियम में इसका शुमार है. इंग्लैंड में पहली बार कोई टेस्ट मैच 143 साल पहले यहीं खेला गया था. इसी मैदान से 1882 में एशेज की जंग का जन्म हुआ था. इसके बाद भी बहुत कुछ हुआ और इस लिस्ट में 7 जून से शुरू हो रहा वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल भी शामिल हो जाएगा, जो अपने आप में ऐतिहासिक होगा ही, साथ ही उसका इस फाइनल पर असर भी होगा.भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बुधवार यानी आज से टेस्ट चैंपियनशिप का ये फाइनल खेला जाएगा. ये सिर्फ दूसरी टेस्ट चैंपियनशिप है. पिछला फाइनल 2021 में इंग्लैंड के ही साउथैंप्टन में खेला गया था. जून का ही महीना था. इस बार भी खिताबी मुकाबला इंग्लैंड में ही जून के महीने में खेला जा रहा है.143 साल में पहली बार हो रहा खास मैचये जून का महीना ही वो डोर है, जो ओवल को एक और इतिहास से जोड़ने जा रहा है. असल में भारत-ऑस्ट्रेलिया का ये फाइनल ओवल मैदान के इतिहास में ऐसा पहला टेस्ट मैच है, जो जून के महीने में खेला जाएगा. 1880 में पहले टेस्ट मैच से लेकर 2023 तक यहां कोई भी टेस्ट मैच में जुलाई से पहले नहीं खेला गया.इससे पहले ओवल में सबसे जल्दी खेला गया टेस्ट 1982 में भारत-इंग्लैंड का था, जो 8 जुलाई से शुरू हुआ था. ओवल का इतिहास रहा है कि यहां टेस्ट मैच आम तौर पर अगस्त में होते हैं. कुछ ही मैच रहे हैं, जो जुलाई के अंतिम 10-15 दिनों में या सितंबर के शुरुआती हफ्ते में हुए हैं.टेस्ट मैचों पर दिखता है असरइसका असर ओवल मैदान की परिस्थितियों पर भी पड़ता है. असल में आम तौर पर इंग्लैंड में जून के महीने से इंटरनेशनल क्रिकेट का आगाज होता है, जिसे ‘इंग्लिश क्रिकेट समर’ कहते हैं. इंग्लैंड में इस वक्त पर ही गर्मियों की शुरुआत भी होती है और बरसात भी कम होने लगती है. अगस्त तक गर्मी काफी बढ़ जाती है और इसलिए साउथ लंदन के इस मैदान की पिच हमेशा से बल्लेबाजों के लिए बेहतर रहती है.ओवल में अभी तक जितने भी टेस्ट हुए हैं, उनमें 28 बार एक पारी में 500 से ज्यादा के स्कोर बने हैं. वजह, मैचों का अगस्त-सितंबर में खेला जाना. सिर्फ बैटिंग ही नहीं, बल्कि ये परिस्थितियां स्पिनरों के मुफीद भी रही है, क्योंकि इस वक्त तक पिच सूखने लगती है.यही कारण है कि पूर्व क्रिकेटर और विशेषज्ञ ओवल में कम से कम दो स्पिनरों को खिलाने का पक्ष लेते हैं.फाइनल में बदल जाएंगे हालातअब पहली बार ओवल में जून में कोई टेस्ट खेला जा रहा है और यही कारण है कि इस मुकाबले को ओवल की पारंपरिंक परिस्थितियों से जोड़कर देखना मुश्किल है. फाइनल में इसका असर पड़ना तय है क्योंकि लंदन में अभी भी अधिकतम तापमान 20 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच है. यानी सुबह के वक्त हवा में नमी की उम्मीद है. फिर जिस तरह की तस्वीरें घसियाली पिच की आई हैं, उससे पिच में भी नमी बने रहने की उम्मीद है.सिर्फ इतना ही नहीं, ये फाइनल इंग्लैंड में होने वाले अन्य टेस्ट मैचों (भारतीय समयानुसार दोपहर 3.30 बजे) से आधा घंटा पहले (दोपहर 3 बजे) शुरू हो रहा है. यानी थोड़ी और ठंड, थोड़ी ज्यादा हवा और नमी. ऐसे में इसका असर साफ है कि तेज गेंदबाजों को मदद मिलेगी और पहले गेंदबाजी करने वाली टीम को फायदा मिलना तय है. कुल मिलाकर ओवल में यादगार इतिहास लिखा जाएगा.