Vikrant Shekhawat : Feb 06, 2024, 04:15 PM
Delhi Politics: दिल्ली के 10 इलाकों सहित 12 अलग-अलग जगहों पर आज सुबह से प्रवर्तन निदेशालन की छापेमारी हो रही है। जानकारी के मुताबिक ईडी जल बोर्ड घोटाला मामले में हुए भ्रष्टाचार को लेकर छापेमारी कर रही है। मामले के सिलसिले में एजेंसी ने पिछले महीने जल बोर्ड के पूर्व मुख्य अभियंता को पीएमएलए कानून के तहत गिरफ्तार किया था। उन्होंने इसी तरह के आरोप के तहत एक व्यवसायी को भी गिरफ्तार किया था। इंटरपोल एक्सचेंज के तहत केजरीवाल के पीएस बिभव कुमार को दिल्ली जल बोर्ड का बंगला दिया गया था.जबकि वो सरकारी कर्मचारी नहीं हैं।क्या है जल बोर्ड घोटाला मामलाइस मामले में 2023 में विजिलेंस ने उनसे पूछताछ शुरू की थी और चंद्रावल वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, सिविल लाइंस के अंदर D2 सरकारी आवास विभव को मिला हुआ है।ट्रीटमेंट प्लांट के गेट पर दिल्ली पुलिस मौजूद है,और विभव के सरकारी आवास पर ED की टीम मौजूद है। विजिलेंस की तरफ से विभव कुमार को लेकर दिल्ली सचिवालय को एक शिकायत भी दी गयी थी कि दिल्ली जल बोर्ड में किसी पद पर न होते हुए भी उन्हें जल बोर्ड का फ्लैट अलॉट किया गया है।ये शिकायत एडिशनल चीफ सैकेट्री को दी गई थी जिसमे लिखा था कि गलत तरीके से इंचरपोल एक्सचेंज किया गया है, यानी PwD की जगह जल बोर्ड में फ्लैट दिया गया है। एजेंसी के अनुसार, जगदीश कुमार अरोड़ा, जो उस समय दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य अभियंता थे, ने कथित तौर पर एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को विद्युत चुम्बकीय प्रवाह मीटर की आपूर्ति, स्थापना, परीक्षण और कमीशनिंग के लिए 38 करोड़ रु. का ठेका दिया था। कंपनी तकनीकी पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करने के बावजूद ये ठेका दिया गया था। ईडी की जांच में पता चला कि एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने फर्जी या गलत दस्तावेज जमा कर बोली हासिल की थी।आगे की जांच से पता चला कि एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने अनिल कुमार अग्रवाल के स्वामित्व वाली कंपनी इंटीग्रल स्क्रूज़ लिमिटेड को काम का उपठेका दिया। धनराशि प्राप्त करने पर, अग्रवाल ने कथित तौर पर नकदी और बैंक लेनदेन सहित विभिन्न माध्यमों से जगदीश कुमार अरोड़ा को रिश्वत के रूप में लगभग ₹3 करोड़ हस्तांतरित किए। यह भी पता चला कि अरोड़ा के सहयोगियों और रिश्तेदारों के बैंक खातों का उपयोग रिश्वत की रकम स्थानांतरित करने के लिए किया गया था।ईडी ने दायर की थी याचिकादिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले में पांचवीं बार समन जारी न करने पर प्रवर्तन निदेशालय ने केजरीवाल के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत में याचिका दायर की थी। एजेंसी ने सीआरपीसी की धारा 190 (1)(ए) के तहत एक नई शिकायत दर्ज की। आर/डब्ल्यू. धारा 200 सीआर.पी.सी., 1973 आर/डब्ल्यू। धारा 174 आईपीसी, 1860 आर/डब्ल्यू। धारा 50, पीएमएलए, 2002 के अनुपालन में गैर-उपस्थिति के लिए पीएमएलए, 2002 की धारा 63 (4)। केजरीवाल ने समन को राजनीति से प्रेरित बताया है।