Ashwini Vaishnaw / अमेरिकी उपराष्ट्रपति के भारत विजिट से क्या होगा फायदा? अश्विनी वैष्णव ने जतायी यह उम्मीद

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की भारत यात्रा से सकारात्मक परिणाम की उम्मीद जताई। उन्होंने भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का विश्वसनीय केंद्र बताया। चीन से डंपिंग और निर्यात प्रतिबंधों पर बोले—भारत तैयार है, उद्योग विकल्प खोजने में सक्षम है।

Ashwini Vaishnaw: अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की आगामी भारत यात्रा से पहले देश के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को इस उच्चस्तरीय दौरे से 'सकारात्मक परिणाम' मिलने की उम्मीद जताई है। वैश्विक तकनीकी परिदृश्य में बदलते समीकरणों के बीच यह यात्रा भारत-अमेरिका के बीच बढ़ती तकनीकी साझेदारी को नई दिशा दे सकती है।

भारत बना भरोसेमंद टेक्नोलॉजी हब

वीवीडीएन टेक्नोलॉजीज के एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बातचीत में वैष्णव ने कहा कि भारत अब इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का एक विश्वसनीय केंद्र बन चुका है। उन्होंने भारत की नीतियों, व्यावहारिक दृष्टिकोण और अमेरिका के साथ निरंतर संवाद को रेखांकित करते हुए कहा, "इस यात्रा के निश्चित रूप से सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे, क्योंकि हमने इसे काफी व्यावहारिक और सक्रिय रूप में लिया है।"

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विदेश नीति में लाई गई स्पष्टता और स्थिरता को भी उन्होंने वैश्विक भरोसे का कारण बताया। उनका कहना था कि वैश्विक मंच पर भारत की साख बढ़ी है और यह अब अंतरराष्ट्रीय व्यापार सहयोगों में एक निर्णायक भूमिका निभा रहा है।

चीन से चुनौती: क्या डंपिंग की आशंका?

चीन के साथ चल रहे ट्रेड और टैरिफ विवाद के बीच इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की भारत में डंपिंग की आशंका पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए वैष्णव ने आश्वासन दिया कि देश किसी भी स्थिति के लिए तैयार है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि इस विषय में अंतिम निर्णय और जानकारी वाणिज्य मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आता है।

उनका यह बयान ऐसे समय पर आया है जब वैश्विक स्तर पर चीन की घटती आर्थिक पारदर्शिता और बढ़ती संरक्षणवादी नीतियों पर चिंता जताई जा रही है।

दुर्लभ मृदा खनिजों पर चीन के प्रतिबंध का असर?

महत्वपूर्ण दुर्लभ मृदा खनिजों (rare earth minerals) के निर्यात पर चीन के संभावित प्रतिबंध को लेकर भी चर्चा हुई। इस पर वैष्णव ने कहा कि भारतीय उद्योग विकल्पों की तलाश में जुटा है और कोविड महामारी ने उन्हें वैल्यू चेन में विविधता लाने की जरूरत का अहसास कराया है।

“महामारी ने सिखाया कि विविध आपूर्ति श्रृंखलाएं बनाना जरूरी है। इसी वजह से दुनिया अब एकल निर्भरता की बजाय विविध स्रोतों की ओर बढ़ रही है,” उन्होंने कहा।

भारत-अमेरिका टेक सहयोग की नई परिभाषा?

जेडी वेंस की यह यात्रा भारत और अमेरिका के बीच तकनीकी और रणनीतिक सहयोग को नई दिशा देने के लिहाज से अहम मानी जा रही है। भारत की सेमीकंडक्टर नीति, डिजिटल इंडिया अभियान और वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग में बढ़ती हिस्सेदारी ऐसे क्षेत्र हैं, जहां दोनों देशों के बीच मजबूत समझौते हो सकते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस यात्रा में तकनीकी निवेश, शोध सहयोग और सप्लाई चेन विविधता जैसे मुद्दों पर प्रगति होती है, तो यह भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स और तकनीकी नवाचार का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।