AMAR UJALA : Feb 14, 2020, 12:06 PM
Mahashivratri 2020 | महाशिवरात्रि का पर्व देवों के देव महादेव और मां पार्वती को समर्पित है। इस दिन शिवभक्त भोलेनाथ की आराधना में व्रत रखकर उनकी उपासना करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। इस संबंध में शास्त्रों में बड़ी ही रोचक कथा है, जो इस प्रकार है।धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक देवी पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी और सभी देवी देवता भी यही चाहते थे कि पर्वत राजकन्या पार्वती का विवाह शिव से हो जाए। देवताओं ने देवी पार्वती से विवाह का प्रस्ताव लेकर कन्दर्प को भगवान शिव के पास भेजा, जिसे शिव ने ठुकरा दिया और उसे अपनी तीसरी आंख से भस्म कर दिया।देवी पार्वती ने तो भोलेनाथ को अपना पति मान ही लिया था। पार्वती ने शिव को अपना वर बनाने के लिए कठोर तपस्या शुरू की। उनकी तपस्या से सभी जगह हाहाकार मच गया। बड़े बड़े पर्वतों की नींव भी डगमगाने लगी। तब शिव ने अपनी आंख खोली और पार्वती से कहा कि वो किसी राजकुमार से शादी कर लें। क्योंकि उनके साथ रहना सरल नहीं हैं।मगर पार्वती ने कहां कि अगर वो विवाह करेंगी तो सिर्फ शिव से ही करेंगी। पार्वती का प्रेम देख शिव उनसे विवाह करने के लिए तैयार हो गए। शिव जब पार्वती से विवाह करने गए तब उनके साथ भूत प्रेत और आत्माएं भी साथ में गई।जब शिव की अनोखी बारात पार्वती के घर पहुंची तब सभी देवता हैरान हो गए। मां पार्वती भी भोलेनाथ की बारात देखकर डर गईं। शिव को इस विचित्र रूप में पार्वती की मां स्वीकार नहीं कर पाईं और उन्होंने अपनी बेटी का हाथ देने से मना कर दिया।वही स्थितियां बिगड़ती देख मां पार्वती ने शिव से प्रार्थना की कि वो उनके रीति रिवाजों के मुताबिक तैयार होकर आएंं शिव ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की और सभी देवताओं को फरमान दिया कि वो उनको खूबसूरत से तैयार करें। ये सुन सभी देवता हरकत में आ गए और उन्हें तैयार करने में जुट गए।शिव को दैवीय जल से नहलाया गया और शेशम के पुष्पों से सजाया गया। जब शिव इस दिव्य रूप में पहुंचे तो पार्वती की मां ने उन्हें तुरंत ही स्वीकार कर लिया और ब्रह्मा जी की उपस्थिति में विवाह समारोह आरंभ हो गया। मां पार्वती और भोलेनाथ ने एक दूसरे को वर माला पहनाई और ये विवाह संपन्न हुआ।