Vikrant Shekhawat : Jul 25, 2021, 05:44 PM
Delhi: कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर (Second Wave) मंद पड़ने के बाद स्कूलों (School Re-Open) को फिर से खोले जाने की बात चलने लगी है। कई राज्यों ने स्कूलों को खोलने को लेकर फैसला ले लिया है। हालांकि, अब भी कई पैरेंट्स ऐसे हैं, जो कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं हैं। पैरेंट्स में बच्चों की महामारी से सुरक्षा को लेकर पूरा विश्वास नहीं आ पा रहा है।
दरअसल, इसके पीछे एक बड़ी वजह अभी तक देश में बच्चों के कोरोना वायरस की कोई वैक्सीन नहीं होना है। 18 साल से अधिक उम्र के लोगों का टीकाकरण तो हो रहा है, लेकिन बच्चों के लिए अभी टीका बाजार में नहीं आया है। इस वजह से लोग आशंकित हैं। एम्स के डायरेक्टर डॉ। रणदीप गुलेरिया भी कह चुके हैं कि उन इलाकों में स्कूलों को खोलने पर विचार करना चाहिए, जहां अभी कोविड की पॉजिटिविटी रेट 5 फीसदी से कम है। पिछले साल मार्च में कोविड -19 के प्रसार को रोकने के लिए पहले देशव्यापी लॉकडाउन के बाद से भारत के अधिकांश स्कूल बंद चल रहे हैं। डॉ। रणदीप गुलेरिया ने कहा कि भारत में कई बच्चे वायरस के संपर्क में आ चुके हैं और उनमें से कई लोगों ने नैचुरल इम्युनिटी डेवलप कर ली है। उन्होंने बताया कि सितंबर महीने तक बच्चों के लिए कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी। कोवैक्सीन के बच्चों पर हो रहे क्लीनिकल ट्रायल के शुरुआती डेटा काफी उत्साहित करने वाले हैं। ऐसे में हम आपको उन वैक्सीन्स के बारे में बता रहे हैं, जिनके आगामी समय में आने की संभावनाएं हैं।।।कोवैक्सीन: न्यूज एजेंसी एएनआई ने एम्स के निदेशक डॉ। रणदीप गुलेरिया के हवाले से कहा है कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का बच्चों पर ट्रायल चल रहा है और सितंबर तक नतीजे आने की उम्मीद है। रणदीप गुलेरिया का यह बयान ऐसे समय आया है, जब कोवैक्सीन की दूसरी खुराक अगले सप्ताह ट्रायल्स में 2-6 साल के बच्चों को दिए जाने की संभावना है। दिल्ली एम्स में 6-12 साल की उम्र के बच्चों को कोवैक्सीन की दूसरी खुराक पहले ही दी जा चुकी है।
जाइडस कैडिला: जाइडस कैडिला ने 12-18 आयु वर्ग के लिए अपने डीएनए-आधारित कोविड -19 टीके ZyCoV-D का क्लीनिकल ट्रायल समाप्त कर लिया है और यह जल्द ही देश में उपलब्ध हो सकता है। 15 जुलाई को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंडर सचिव सत्येंद्र सिंह ने एक हलफनामे में कहा, "यह सब्मिट किया गया है कि डीएनए वैक्सीन विकसित करने वाली जाइडस कैडिला ने 12-18 आयु वर्ग के लिए अपना क्लीनिकल ट्रायल सफलतापूर्वक समाप्त कर लिया है।" सिंह ने आगे कहा कि अहमदाबाद स्थित जाइडस कैडिला की डीएनए वैक्सीन स्टैचुअरी परमिशन के अधीन है और यह निकट भविष्य में 12-18 आयु वर्ग के बच्चों के लिए उपलब्ध हो सकती है।
फाइजर: डॉ। रणदीप गुलेरिया ने कहा कि अगर भारत में फाइजर-बायोएनटेक के टीके को हरी झंडी मिल जाती है तो वह भी बच्चों के लिए एक विकल्प हो सकता है। अमेरिकी वैक्सीन निर्माता मॉडर्ना और फाइजर भारत को अपने कोविड 19 टीकों की सप्लाई करने से पहले एक इंडेम्निटी क्लॉज पर जोर दे रहे हैं। हालांकि, मॉडर्ना और स्पूतनिक-वी के भारत में बच्चों के लिए टीकों की कोई बात नहीं हो रही है।मॉडर्ना: यूरोप में शुक्रवार को 12 से 17 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए मॉडर्ना के कोरोना वायरस वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी मिल गई है। यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (ईएमए) ने मॉडर्ना के ब्रांड नाम का इस्तेमाल करते हुए कहा, "12 से 17 साल की उम्र के बच्चों में स्पाइकवैक्स वैक्सीन का इस्तेमाल 18 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों की तरह ही होगा।''हालांकि, ऐसे में देखना होगा कि भारत में यह वैक्सीन आती है कि नहीं और अगर आती है तो कब तक उपलब्ध हो सकेगी।
दरअसल, इसके पीछे एक बड़ी वजह अभी तक देश में बच्चों के कोरोना वायरस की कोई वैक्सीन नहीं होना है। 18 साल से अधिक उम्र के लोगों का टीकाकरण तो हो रहा है, लेकिन बच्चों के लिए अभी टीका बाजार में नहीं आया है। इस वजह से लोग आशंकित हैं। एम्स के डायरेक्टर डॉ। रणदीप गुलेरिया भी कह चुके हैं कि उन इलाकों में स्कूलों को खोलने पर विचार करना चाहिए, जहां अभी कोविड की पॉजिटिविटी रेट 5 फीसदी से कम है। पिछले साल मार्च में कोविड -19 के प्रसार को रोकने के लिए पहले देशव्यापी लॉकडाउन के बाद से भारत के अधिकांश स्कूल बंद चल रहे हैं। डॉ। रणदीप गुलेरिया ने कहा कि भारत में कई बच्चे वायरस के संपर्क में आ चुके हैं और उनमें से कई लोगों ने नैचुरल इम्युनिटी डेवलप कर ली है। उन्होंने बताया कि सितंबर महीने तक बच्चों के लिए कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी। कोवैक्सीन के बच्चों पर हो रहे क्लीनिकल ट्रायल के शुरुआती डेटा काफी उत्साहित करने वाले हैं। ऐसे में हम आपको उन वैक्सीन्स के बारे में बता रहे हैं, जिनके आगामी समय में आने की संभावनाएं हैं।।।कोवैक्सीन: न्यूज एजेंसी एएनआई ने एम्स के निदेशक डॉ। रणदीप गुलेरिया के हवाले से कहा है कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का बच्चों पर ट्रायल चल रहा है और सितंबर तक नतीजे आने की उम्मीद है। रणदीप गुलेरिया का यह बयान ऐसे समय आया है, जब कोवैक्सीन की दूसरी खुराक अगले सप्ताह ट्रायल्स में 2-6 साल के बच्चों को दिए जाने की संभावना है। दिल्ली एम्स में 6-12 साल की उम्र के बच्चों को कोवैक्सीन की दूसरी खुराक पहले ही दी जा चुकी है।
जाइडस कैडिला: जाइडस कैडिला ने 12-18 आयु वर्ग के लिए अपने डीएनए-आधारित कोविड -19 टीके ZyCoV-D का क्लीनिकल ट्रायल समाप्त कर लिया है और यह जल्द ही देश में उपलब्ध हो सकता है। 15 जुलाई को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंडर सचिव सत्येंद्र सिंह ने एक हलफनामे में कहा, "यह सब्मिट किया गया है कि डीएनए वैक्सीन विकसित करने वाली जाइडस कैडिला ने 12-18 आयु वर्ग के लिए अपना क्लीनिकल ट्रायल सफलतापूर्वक समाप्त कर लिया है।" सिंह ने आगे कहा कि अहमदाबाद स्थित जाइडस कैडिला की डीएनए वैक्सीन स्टैचुअरी परमिशन के अधीन है और यह निकट भविष्य में 12-18 आयु वर्ग के बच्चों के लिए उपलब्ध हो सकती है।
फाइजर: डॉ। रणदीप गुलेरिया ने कहा कि अगर भारत में फाइजर-बायोएनटेक के टीके को हरी झंडी मिल जाती है तो वह भी बच्चों के लिए एक विकल्प हो सकता है। अमेरिकी वैक्सीन निर्माता मॉडर्ना और फाइजर भारत को अपने कोविड 19 टीकों की सप्लाई करने से पहले एक इंडेम्निटी क्लॉज पर जोर दे रहे हैं। हालांकि, मॉडर्ना और स्पूतनिक-वी के भारत में बच्चों के लिए टीकों की कोई बात नहीं हो रही है।मॉडर्ना: यूरोप में शुक्रवार को 12 से 17 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए मॉडर्ना के कोरोना वायरस वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी मिल गई है। यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (ईएमए) ने मॉडर्ना के ब्रांड नाम का इस्तेमाल करते हुए कहा, "12 से 17 साल की उम्र के बच्चों में स्पाइकवैक्स वैक्सीन का इस्तेमाल 18 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों की तरह ही होगा।''हालांकि, ऐसे में देखना होगा कि भारत में यह वैक्सीन आती है कि नहीं और अगर आती है तो कब तक उपलब्ध हो सकेगी।