- भारत,
- 12-Mar-2025 06:00 AM IST
Indusind Stock Crash: प्राइवेट सेक्टर के प्रमुख बैंक इंडसइंड बैंक का स्टॉक प्राइस एक ही दिन में 27% से अधिक गिर चुका है। इस भारी गिरावट ने न केवल बैंकिंग सेक्टर बल्कि संपूर्ण बाजार को प्रभावित किया है। निवेशकों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि क्या इसका हाल भी यस बैंक की तरह होगा? आइए समझते हैं इस संकट का कारण और संभावित प्रभाव।इंडसइंड बैंक का मालिकाना हक और इतिहास
इंडसइंड बैंक पर ब्रिटिश-भारतीय समूह ‘हिंदुजा ग्रुप’ का स्वामित्व है, जो ‘अशोक लीलैंड’ जैसी ऑटोमोटिव कंपनियों का संचालन भी करता है। बैंक की स्थापना 1994 में हुई थी और यह उन 9 निजी बैंकों में शामिल था, जिन्हें उस वर्ष लाइसेंस प्राप्त हुआ था।स्टॉक क्रैश का कारण
बीते एक साल में इंडसइंड बैंक के शेयर में 40% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। इस गिरावट की प्रमुख वजह बैंक के फॉरेक्स डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में 1,600 से 2,000 करोड़ रुपये की गड़बड़ी बताई जा रही है। यह राशि बैंक की कुल नेटवर्थ का लगभग 2.35% है। जब यह जानकारी सार्वजनिक हुई, तो निवेशकों की प्रतिक्रिया के रूप में बैंक के शेयर की कीमत तेजी से गिरी।यस बैंक से तुलना: क्या इतिहास दोहराएगा?
यस बैंक की विफलता मुख्य रूप से कॉरपोरेट गवर्नेंस में अनदेखी और लोन पोर्टफोलियो में गड़बड़ी के कारण हुई थी। हालांकि इंडसइंड बैंक का मामला इससे थोड़ा अलग है, लेकिन पारदर्शिता की कमी और वित्तीय अनियमितताओं की चिंता ने निवेशकों को सतर्क कर दिया है।फॉरेक्स डेरिवेटिव पोर्टफोलियो क्या होता है?
फॉरेक्स करेंसी डेरिवेटिव वित्तीय उपकरण होते हैं, जिनका मूल्य विदेशी मुद्रा विनिमय दरों पर निर्भर करता है। इनका उपयोग मुद्रा जोखिम को हेज करने के लिए किया जाता है। इंडसइंड बैंक की समस्या का मुख्य कारण यह है कि उसने अपने हेजिंग कॉस्ट का गलत अनुमान लगाया, जिससे पोर्टफोलियो का मूल्यांकन प्रभावित हुआ।गड़बड़ी कैसे उजागर हुई?
सितंबर 2023 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने डेरिवेटिव्स पर नए दिशा-निर्देश जारी किए। इसके बाद बैंक ने अपने लोन और डेरिवेटिव्स अकाउंट की जांच करवाई। 10 मार्च को स्टॉक एक्सचेंज को उपलब्ध कराई गई रिपोर्ट में 1,600 से 2,000 करोड़ रुपये की गड़बड़ी का खुलासा हुआ।निवेशकों पर प्रभाव
इस खबर के बाद न केवल इंडसइंड बैंक के शेयर बल्कि निफ्टी बैंकिंग इंडेक्स भी 0.75% गिर गया। बैंक के निवेशकों को 15,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। ब्रोकरेज फर्म्स ने भी बैंक के स्टॉक को लेकर अपने रेटिंग में बदलाव किया:
इंडसइंड बैंक ने स्थिति को सुधारने के लिए एक विस्तृत आंतरिक समीक्षा शुरू की है और एक बाहरी एजेंसी को जांच की जिम्मेदारी सौंपी है। यह एजेंसी सुनिश्चित करेगी कि बैंक की वित्तीय स्थिति स्थिर बनी रहे और निवेशकों का भरोसा बहाल हो।निष्कर्ष
फिलहाल इंडसइंड बैंक यस बैंक जैसी स्थिति में नहीं है, लेकिन वित्तीय अनियमितताओं के कारण निवेशकों की चिंता बढ़ गई है। बैंक की आगामी समीक्षा रिपोर्ट पर ही उसके भविष्य का निर्णय निर्भर करेगा। निवेशकों को फिलहाल सतर्कता बरतने और स्थिति पर नजर बनाए रखने की आवश्यकता है।
इंडसइंड बैंक पर ब्रिटिश-भारतीय समूह ‘हिंदुजा ग्रुप’ का स्वामित्व है, जो ‘अशोक लीलैंड’ जैसी ऑटोमोटिव कंपनियों का संचालन भी करता है। बैंक की स्थापना 1994 में हुई थी और यह उन 9 निजी बैंकों में शामिल था, जिन्हें उस वर्ष लाइसेंस प्राप्त हुआ था।स्टॉक क्रैश का कारण
बीते एक साल में इंडसइंड बैंक के शेयर में 40% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। इस गिरावट की प्रमुख वजह बैंक के फॉरेक्स डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में 1,600 से 2,000 करोड़ रुपये की गड़बड़ी बताई जा रही है। यह राशि बैंक की कुल नेटवर्थ का लगभग 2.35% है। जब यह जानकारी सार्वजनिक हुई, तो निवेशकों की प्रतिक्रिया के रूप में बैंक के शेयर की कीमत तेजी से गिरी।यस बैंक से तुलना: क्या इतिहास दोहराएगा?
यस बैंक की विफलता मुख्य रूप से कॉरपोरेट गवर्नेंस में अनदेखी और लोन पोर्टफोलियो में गड़बड़ी के कारण हुई थी। हालांकि इंडसइंड बैंक का मामला इससे थोड़ा अलग है, लेकिन पारदर्शिता की कमी और वित्तीय अनियमितताओं की चिंता ने निवेशकों को सतर्क कर दिया है।फॉरेक्स डेरिवेटिव पोर्टफोलियो क्या होता है?
फॉरेक्स करेंसी डेरिवेटिव वित्तीय उपकरण होते हैं, जिनका मूल्य विदेशी मुद्रा विनिमय दरों पर निर्भर करता है। इनका उपयोग मुद्रा जोखिम को हेज करने के लिए किया जाता है। इंडसइंड बैंक की समस्या का मुख्य कारण यह है कि उसने अपने हेजिंग कॉस्ट का गलत अनुमान लगाया, जिससे पोर्टफोलियो का मूल्यांकन प्रभावित हुआ।गड़बड़ी कैसे उजागर हुई?
सितंबर 2023 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने डेरिवेटिव्स पर नए दिशा-निर्देश जारी किए। इसके बाद बैंक ने अपने लोन और डेरिवेटिव्स अकाउंट की जांच करवाई। 10 मार्च को स्टॉक एक्सचेंज को उपलब्ध कराई गई रिपोर्ट में 1,600 से 2,000 करोड़ रुपये की गड़बड़ी का खुलासा हुआ।निवेशकों पर प्रभाव
इस खबर के बाद न केवल इंडसइंड बैंक के शेयर बल्कि निफ्टी बैंकिंग इंडेक्स भी 0.75% गिर गया। बैंक के निवेशकों को 15,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। ब्रोकरेज फर्म्स ने भी बैंक के स्टॉक को लेकर अपने रेटिंग में बदलाव किया:
- Emkay Global ने स्टॉक की ‘बाय’ रेटिंग को ‘एड’ में बदला और टारगेट प्राइस 875 रुपये तय किया।
- Nuvama ने स्टॉक को होल्ड रखने या घटाने की सलाह दी और टारगेट प्राइस 750 रुपये तय किया।
- मोतीलाल ओसवाल ने इसे ‘न्यूट्रल’ रेटिंग दी और टारगेट प्राइस 925 रुपये रखा।
इंडसइंड बैंक ने स्थिति को सुधारने के लिए एक विस्तृत आंतरिक समीक्षा शुरू की है और एक बाहरी एजेंसी को जांच की जिम्मेदारी सौंपी है। यह एजेंसी सुनिश्चित करेगी कि बैंक की वित्तीय स्थिति स्थिर बनी रहे और निवेशकों का भरोसा बहाल हो।निष्कर्ष
फिलहाल इंडसइंड बैंक यस बैंक जैसी स्थिति में नहीं है, लेकिन वित्तीय अनियमितताओं के कारण निवेशकों की चिंता बढ़ गई है। बैंक की आगामी समीक्षा रिपोर्ट पर ही उसके भविष्य का निर्णय निर्भर करेगा। निवेशकों को फिलहाल सतर्कता बरतने और स्थिति पर नजर बनाए रखने की आवश्यकता है।