देश / पीएम चुप क्यों हैं?: अरुणाचल के पास चीनी गांवों की खबरों पर कांग्रेस

कांग्रेस ने गुरुवार को अरुणाचल प्रदेश के पास नए चीनी गांवों की खबरों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया। बकौल कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ, "हम चीन की इस चौतरफा आक्रामकता को क्यों बर्दाश्त कर रहे हैं...इसके बारे में कुछ भी नहीं कर रहे हैं? प्रधानमंत्री से आग्रह है...कि वे पर्दे के पीछे न छुपें और जवाब दें।"

Vikrant Shekhawat : Nov 19, 2021, 07:46 AM
नई दिल्ली: कांग्रेस ने गुरुवार को केंद्र सरकार पर देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता को लेकर समझौता करने का आरोप लगाया। यह सवाल किया कि डोकलाम के निकट चीन के गांव बसाए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप क्यों हैं? पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने दावा किया कि उपग्रह से ली गई ताजा तस्वीरों से पता चलता है कि चीन ने डोकलाम के निकट भूटान में चार गांव बसा लिए हैं और अतिक्रमण के जरिये 100 वर्ग किलोमीटर जमीन हथिया ली है।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘चीन लगातार अतिक्रमण कर रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री के मुंह से एक शब्द नहीं निकलता। प्रधानमंत्री जी, आप चीन का नाम क्यों नहीं लेते? हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर देश के लोगों को जवाब दें।’

कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता के साथ समझौता किया है जो अब बेनकाब हो चुका है। उन्होंने दावा किया, ‘प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने हमारे उन जवानों के पराक्रम और बलिदान को कमतर किया है जिन्होंने पिछले साल चीन की घुसपैठ का करारा जवाब दिया था।’

कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला भी ट्विटर पर उपग्रह की तस्वीरें साझा कीं और सवाल किया कि चीन की इस हरकत पर प्रधानमंत्री चुप क्यों हैं? उन्होंने यह भी पूछा, ‘हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा कौन करेगा?’’

वल्लभ ने कहा कि इन तस्वीरों से पता चलता है कि चीन द्वारा पिछले साल ये गांव भूटान की सीमा के भीतर बसाए गए हैं। उन्होंने कहा कि ये गांव उसी डोकलाम पठार के निकट बसाए गए हैं जहां 2017 में भारत और चीन के बीच कई दिनों तक गतिरोध चला था।

क्‍या है पूरा मामला?

चीन ने पिछले एक साल में डोकलाम के पास भूटान क्षेत्र में नए गांव बसाए हैं। नई उपग्रह तस्वीरों (सैटेलाइट इमेज) से इसकी पुष्टि हुई है। तस्वीरों से पता चलता है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की ओर से मई 2020 और नवंबर 2021 के बीच लगभग 100 वर्ग किमी में चार गांव बसाए गए हैं। ऐसा लगता है कि निर्माण उसी समय शुरू हुआ है, जब पीएलए ने पूर्वी लद्दाख और सिक्किम सेक्टर में कई स्थानों पर भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया था।

डोकलाम पठार 2017 में सुर्खियों में था, जब भारतीय सेना और चीन की पीएलए के बीच 70 दिनों से अधिक समय तक गतिरोध बना हुआ था। भारतीय सैनिकों की ओर से इलाके में तैनाती बढ़ाने और अपनी संप्रभुता के लिए डटे रहने के बाद चीनी सेना को क्षेत्र से पीछे हटना पड़ा था।

किस तरह का है क्षेत्र?

डोकलाम भारत, चीन और भूटान के बीच ट्राई-जंक्शन पर एक पठार और एक घाटी से युक्त 100 वर्ग किमी का क्षेत्र है। यह तिब्बत की चुंबी घाटी, भूटान की ही घाटी और भारतीय राज्य सिक्किम से घिरा हुआ है।

2017 में चीन डोकलाम में ढांचागत विकास कार्य कर रहा था, जिस पर भारत ने आपत्ति जताई थी। चीन ने तब दावा किया था कि भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद है और जिस पर भारत का कोई दावा नहीं है।

हालांकि, भारत ने इसका खंडन किया और 73 दिनों तक चीनी सैनिकों की तैनाती की बराबरी करते हुए उसके सैनिक वहीं डटे रहे। पिछले महीने चीन और भूटान ने अपने सीमा विवादों को हल करने के लिए तीन-चरणीय रोडमैप पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। जवाब में भारत ने कहा कि उसकी इस घटनाक्रम पर नजर बनी हुई है।

भूटान और चीन के बीच सीमा वार्ता 1984 में शुरू हुई थी और दोनों पक्षों ने विशेषज्ञ समूह स्तर पर 24 दौर की सीमा वार्ता और 10 दौर की बैठक की। इससे पहले भूटान अपनी जमीन पर चीनी घुसपैठ को लेकर कई बार आपत्ति जता चुका है।