पश्चिम बंगाल / बीजेपी के सिपाही के रूप में मेरी लड़ाई जारी रहेगी: पार्टी छोड़ने की अफवाहों पर मुकुल

बीजेपी के उपाध्यक्ष मुकुल रॉय ने पार्टी छोड़ने संबंधी सभी अटकलों को शनिवार को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, "अपने राज्य में लोकतंत्र बहाल करने के लिए बीजेपी के एक सिपाही के रूप में मेरी लड़ाई जारी रहेगी।" गौरतलब है, रॉय पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने वाले बीजेपी विधायकों की पहली बैठक में शामिल नहीं हुए थे।

Vikrant Shekhawat : May 09, 2021, 10:22 AM
कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (Bengal Assembly Election Result) के नतीजे घोषित होने के बाद से अटकलें हैं कि चुनाव पूर्व जो नेता पार्टी छोड़कर भाजपा (BJP) में शामिल हो गए थे, उनके अब वापस ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee’s TMC) की पार्टी में लौटने की संभावना है. ऐसे नेताओं में एक नाम टीएमसी के कद्दावर रहे मुकुल रॉय (BJP Leader Mukul Roy) का भी है. पूर्व रेल मंत्री रॉय करीब चार साल पहले साल 2017 में भाजपा में शामिल हो गए थे. बाद में उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया. इसके अलावा बंगाल चुनाव में भाजपा के अहम रणनीतिकारों में से एक थे. उन्होंने राज्य में कृष्णानगर उत्तर से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

दरअसल मुकुल रॉय शुक्रवार को विधानसभा से जल्दी निकल गए थे और भाजपा विधायकों (Bengal BJP MLA) से मुलाकात के लिए भी वहां नहीं रुके. उनके ऐसा करने के बाद से ही अटकलें लगाई जाने लगी की वो दोबारा ममता बनर्जी के खेमे में लौट सकते हैं. हालांकि इन अटकलों पर उन्होंने अब विराम लगा दिया है. उन्होंने आज शनिवार को ट्वीट एक कर कहा- बंगाल में लोकतंत्र स्थापित करने के लिए भाजपा के सिपाही के रूप में मेरी लड़ाई जारी रहेगी. मेरी सभी से अपील है कि लोग ऐसी अफवाहों पर विराम लगाएं. मैं अपने राजनीतिक मार्ग पर दृढ़ हूं.

मालूम हो कि मुकुल रॉय के पार्टी छोड़ने की एक अफवाह ये भी थी कि बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में उनका नाम आगे नहीं किया गया. राज्य में विपक्ष के नेता के तौर वर्तमान में जिस नाम की चर्चा है, वो शुभेंदु अधिकारी है, जिन्होंने नंदीग्राम (Nandigram) ममता बनर्जी को हराया था. हालांकि खबर लिखे जाने तक भाजपा ने विपक्ष के किसी नेता का ऐलान नहीं किया है.

उल्लेखनीय है कि दो मई को भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) ने पश्चिम बंगाल विधानसभा के नतीजे घोषित कर दिए. इसमें टीएमसी ने रिकॉर्ड 213 सीटें जीत लीं. राज्य में 200 से अधिक सीटें जीतने का दावा कर रही भाजपा को 77 सीटों से ही संतोष करना पड़ा.