Vikrant Shekhawat : Sep 05, 2023, 05:50 PM
Article-1 News: देश के नाम को लेकर नई बहस शुरू हो गई है. हाल में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने जनता से अपील करते हुए कहा था, देश के लिए इंडिया नहीं भारत शब्द का इस्तेमाल करें. अब G20 की बैठक के लिए जो न्यौता भेजा जा रहा है, उससे बहस और तेज हो गई है. सोशल मीडिया पर घमासान मच गया है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दावा किया है कि जी20 की बैठक के लिए भेजे गए न्यौते में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा गया है.
जयराम रमेश ने अपने ट्वीट में लिखा है कि पहले भेजे जाने वाले राजकीय निमंत्रण में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया लिखा जाता था. उन्होंने अपने ट्वीट में इशारा करते हुए सवाल उठाए हैं कि क्या देश का नाम बदलने वाला है. इसी बहस के बीच भारतीय संविधान के आर्टिकल-1 की चर्चा शुरू हो गई है.
जानिए क्या है आर्टिकल-1, इसका देश के नाम से क्या कनेक्शन है और विपक्ष अपने ट्वीट में इसका जिक्र क्यों कर रहा है?
क्या है आर्टिकल-1?
भारतीय संविधान का आर्टिकल-1 यानी अनुच्छेद 1 कहता है कि भारत राज्यों का संघ होगा. सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेटआशीष पांडे कहते हैं, संविधान में भारत और इंडिया को एक ही माना गया है. अंग्रेजी में इसे इंडिया और हिन्दी में इसे भारत कहा गया है. इसे जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल किया जा सकता है. ऐसा बिल्कुल नहीं है कि इसे इंडिया ही इस्तेमाल किया जाना है या भारत ही लिखा जाएगा. भाषा और संदर्भ के मुताबिक, दोनों में से किसी भी शब्द का इस्तेमाल कर सकते हैं.
प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत, सही या गलत?
विशेषज्ञ कहते हैं, सरकार ने G20 के न्यौते में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत शब्द का इस्तेमाल किया गया है, संवैधानिक तौर पर इसे गलत नहीं ठहराया जा सकता. संविधान कहता है, इंडिया की जगह भारत शब्द इस्तेमाल किया जा सकता है.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट में किया आर्टिकल-1 का जिक्र
Mr. Modi can continue to distort history and divide India, that is Bharat, that is a Union of States. But we will not be deterred.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 5, 2023
After all, what is the objective of INDIA parties?
It is BHARAT—Bring Harmony, Amity, Reconciliation And Trust.
Judega BHARAT
Jeetega INDIA! https://t.co/L0gsXUEEEK
संविधान में इंडिया शब्द को क्यों इतनी अहमियत मिली?
एडवोकेट आशीष पांडे कहते हैं, देश के लीगल सिस्टम से लेकर संविधान तक, कई चीजें ब्रिटिश दौर की हैं. भारतीय संविधान में कई ऐसे अनुच्छेद हैं जो ब्रिटिशराज से प्रेरित हैं. अंग्रेजों ने भारत के लिए हमेशा इंडिया शब्द का इस्तेमाल किया. एक यह भी वजह हो सकती है कि क्यों संविधान में भी इस शब्द को बरकरार रखा गया. संविधान लागू होने के बाद संस्थान के नाम और पदों में भी इंडिया का इस्तेमाल किया गया. जैसे- सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया, इंडियन पेनल कोड और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया.
हालांकि कई राजनीतिक दलों ने अपने घोषणा पत्र में यह कहा था कि वो सत्ता में आईं तो संविधान में इंडिया का नाम बदलकर भारत करेंगी. हालांकि यह इतनी आसानी से संभव नहीं.
कितना मुश्किल इंडिया को भारत में बदलना?
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने जिस इंडिया को भारत में बदलने की आशंका जाहिर की है, वो किस हद तक संभव है. अब इसे भी समझ लेते हैं. एडवोकेट आशीष पांडे कहते हैं, अगर ऐसा कदम उठाया जाता है तो बहुत सी चीजों में बदलाव करना होगा. एक उदाहरण से समझें तो देश के कानून की एक्ट से लेकर दूसरे नियमों में भी इंडिया शब्द का इस्तेमाल किया गया है. इसे भी बदलना होगा. इसलिए यह प्रक्रिया इतनी भी आसान नहीं होगी कि एक दिन में बदलाव लाया जा सके.
अगर भविष्य में ऐसा बदलाव होता है तो पूरी तरह इंडिया शब्द को हटाकर भारत को ही इस्तेमाल करना पड़ेगा. इसमें कई तरह की असुविधाएं भी होंगी.इसके लिए सरकार को अपने हर दस्तावेज में हर जगह इंडिया की जगह भारत शब्द का इस्तेमाल करना होगा. यह बदलाव होगा.
नाम को बदलने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा. सरकार को इसके लिए संविधान संशोधन बिल जाना होगा. इसे दोनों सदनों में पारित करने के बाद राष्ट्रपति की मुहर लगेगी. इसके बाद ही ऐसा संभव हो पाएगा.