Vikrant Shekhawat : Mar 11, 2022, 03:39 PM
प्रधानमंत्री मोदी ने चार राज्यों में जीत मिलने के अवसर पर भाजपा कार्यकर्तांओं को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें एक दिन भी आराम नहीं करना है, बल्कि तुरंत अगली चुनौती के लिए डट जाना है। उन्होंने यह संदेश केवल आम कार्यकर्ताओं को ही नहीं दिया, बल्कि स्वयं भी इस फॉर्मूले पर अमल किया। रातोंरात कार्यक्रम बनाकर पीएम मोदी शुक्रवार सुबह गुजरात पहुंच गए और वहां एक विजयी रोड शो किया। इसे उनकी गुजरात विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है।गुजरात विधानसभा के चुनाव इसी साल के अंत में होने हैं। इसमें एक तरफ चार राज्यों में एतिहासिक जीत हासिल कर जोश से लबरेज भाजपा होगी, तो दूसरी तरफ इन्हीं राज्यों में अपनी घटती हैसियत को बचाने के लिए संघर्ष करती कांग्रेस होगी। क्या राहुल गांधी की टीम इस चुनाव में भाजपा को रोकने में कामयाब हो सकेगी, जिसने पिछले चुनाव में भाजपा को नाको चने चबाने के लिए मजबूर कर दिया था। भाजपा पिछले चुनाव में केवल 99 सीटों पर सिमट गई थी और सामने दिख रही हार को बचाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को गुजरात में लगातार कैंप करना पड़ा था। भाजपा की ताकतपीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की करिश्माई जोड़ी के होने और राज्य में संगठन की मजबूती के चलते भाजपा यहां लगभग अपराजेय की स्थिति में आ गई है। लेकिन इस बार स्थिति पूरी तरह उसके अनुकूल नहीं है। मोदी-शाह के केंद्रीय सत्ता में आने और आनंदीबेन पटेल के सक्रिय राजनीति से दूर होने के बाद राज्य में भाजपा के पास मजबूत स्थानीय चेहरे की बड़ी कमी है।मुख्यमंत्री न बन पाने की टीस पाले नितिन पटेल और कमजोर प्रदर्शन के आधार पर सत्ता से हटा दिए गए रूपाणी भी भाजपा के लिए भितरघात कर सकते हैं। वर्तमान सीएम की छवि मजबूत नहीं है तो बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी सरकार की समस्या बढ़ा रही है। ऐसे माहौल में यदि कांग्रेस जरा भी रणनीति के साथ मैदान में उतरी तो राज्य में उसके लिए बेहतर संभावनाएं बन सकती हैं।कांग्रेस की कमजोरी लेकिन क्या कांग्रेस इस स्थिति में है। पिछले 25 सालों में कांग्रेस भाजपा को गुजरात में मजबूत चुनौती देने में नाकाम साबित हुई है। आज की तारीख में उसके पास अहमद पटेल जैसा खांटी राजनेता भी मौजूद नहीं है, जो अमित शाह की हर तिकड़म को समझते हुए उसके हिसाब से अपने प्यादे फिट कर भाजपा को रोकने के लिए मजबूत चुनौती दे सके। लंबे समय से सत्ता में न होने के कारण पार्टी के कैडर में भी कमजोरी आई है, जो उसकी योजनाओं को जनता तक पहुंचाने और अपने मतदाताओं को बूथ तक लाने की भूमिका निभा सकें। ऐसे में क्या कांग्रेस के पास भाजपा को रोकने का कोई प्लान है?जीत का दावा गुजरात के कांग्रेस नेता और राज्य सभा सदस्य शक्ति सिंह गोहिल ने अमर उजाला से कहा कि सच्चाई यह है कि पिछले चुनाव में ही कांग्रेस ने भाजपा को रोक लिया था। अंतिम समय में प्रधानमंत्री के पूरी ताकत लगा देने के बाद भी भाजपा 100 के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच सकी। प्रधानमंत्री ने अपनी निजी राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा को गुजरात अस्मिता के साथ जोड़ा। इस भावनात्मक अपील के कारण कुछ मतदाताओं ने उनके लिए वोट कर दिया।उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने द्वारका में तीन दिन का प्रवास कर इस बात पर गंभीरता से विचार किया है कि पार्टी गुजरात चुनाव में किन मुद्दों के साथ जमीन पर उतरेगी। हमारे पास नए उत्साही अध्यक्ष और कार्यकर्ता हैं जिनके बल पर हम जीत हासिल कर सकते हैं। सरकार की कोरोना काल की असफलता से लेकर बेरोजगारी और अहमदाबाद-सूरत में व्यापार ठप होने के कारण उपजी समस्या हमारे प्रमुख मुद्दे होंगे। केजरीवाल की चुनौतीनई परिस्थितियों में अरविंद केजरीवाल भी गुजरात चुनाव में मजबूती के साथ उतरने की तैयारी कर रहे हैं। नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी को मिली सफलता ने भाजपा-कांग्रेस दोनों के ही कान खडे कर दिए हैं। जिस तरह आम आदमी पार्टी खुद को गैर-भाजपाई वोटरों की स्वाभाविक पसंद घोषित कर कांग्रेस का विकल्प बनने की कोशिश कर रही है, वह दिल्ली-पंजाब के बाद गुजरात में उसके लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। पिछला चुनावगुजरात की 14वीं विधानसभा के लिए 09-14 दिसंबर 2017 को चुनाव हुए थे। 182 सदस्यों की विधानसभा में भाजपा को बेहद सीमित बढ़त के साथ 99 सीटें हासिल हुई थीं। भाजपा की सीटों की संख्या में 16 की कमी आई, लेकिन इसके बाद भी वह 49.05 फीसदी वोट हासिल करने में कामयाब रही। कांग्रेस ने अपनी सीटों की संख्या में बढ़ोतरी की, लेकिन इसके बाद भी वह सरकार बनाने की स्थिति में नहीं आ पाई और उसे केवल 77 सीटों से संतोष करना पड़ा। बदले माहौल में कांग्रेस भाजपा कितनी मजबूत चुनौती पेश कर पाएगी, यह देखने वाली बात होगी।