Vikrant Shekhawat : Apr 09, 2022, 12:17 PM
देश में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को कोरोना रोधी टीके की तीसरी खुराक देने की इजाजत से जहां लोगों की महामारी से सुरक्षा में इजाफा होगा, वहीं टीकाकरण अभियान में नया मोड़ आ जाएगा। टीके बनाने वाली कंपनियों की कमाई भी बढ़ेगी, क्योंकि तीसरी खुराक सशुल्क रहेगी। देश में अभी करीब 87 फीसदी वयस्कों ने कोविड वैक्सीन की दोनों खुराक ले ली है, जबकि मात्र 2.6 फीसदी लोग ही ऐहतियाती बूस्टर खुराक लगवा सके हैं। अब 18 साल से ज्यादा उम्र वाले सभी लोगों को बूस्टर खुराक की इजाजत से टीकों की मांग तेजी से बढ़ेगी। 91 करोड़ खुराक की जरूरत पड़ेगीकेंद्र सरकार ने शुक्रवार को 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को बूस्टर खुराक देने की अनुमति दे दी है। इससे कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट के नए स्ट्रैन एक्सई व अमूमन हर चार माह में आ रहे नए स्ट्रैन के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी। एक अनुमान के अनुसार बूस्टर डोज के लिए देश में 91 करोड़ से ज्यादा खुराक की जरूरत पड़ेगी। दूसरी खुराक को नौ माह पूरे होने पर ही बूस्टर डोजसरकार द्वारा तय बूस्टर खुराक के नियमों के अनुसार दूसरी खुराक लेने के तीन माह बाद ही कोई व्यक्ति तीसरा डोज ले सकेगा, इसलिए देश में टीकों की मांग तत्काल बढ़ जाएगी, ऐसा भी नहीं है। टीकों की मांग बढ़ेगी, लेकिन धीरे-धीरे। 7 अप्रैल तक देश के 81.53 करोड़ से ज्यादा लोगों या करीब 87 फीसदी आबादी को कोरोना रोधी टीकों की दोनों खुराकें लग चुकी हैं। देश की विशाल आबादी को देखते हुए यह बड़ा आंकड़ा है। यह सरकार के टीकाकरण अभियान की कामयाबी का भी संकेत देता है। लेकिन बूस्टर शॉट के मामले में रफ्तार कम है। हालांकि इसकी वजह यह भी है कि अब तक 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों या बीमारों को ही बूस्टर या तीसरी खुराक की इजाजत थी।अब तक मात्र 2.6 फीसदी वयस्कों को ही बूस्टर डोज लगे हैं। एक दिन में एक करोड़ से ज्यादा का बना रिकॉर्डदेश में महा टीकाकरण अभियान की शुरुआत में खूब झंडे गाड़े गए। लोगों में भी महामारी का खौफ था, इसलिए उन्होंने टीके लगवाने में तत्परता दिखाई। इसी कारण इस अभियान के दौरान एक दिन में एक करोड़ से ज्यादा टीके लगने का विश्व रिकॉर्ड भी बना। हालांकि हालिया दिनों में इसकी रफ्तार घटकर अधिकतम 14 लाख खुराक रोजाना तक आ गई है। अब 18 से ज्यादा उम्र के लोगों को बूस्टर खुराक की इजाजत से कंपनियों की भी कमाई बढ़ेगी। उनके पास मौजूद टीकों के विशाल भंडार का नागरिकों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में इस्तेमाल हो सकेगा। इसके जरिए कोरोना के भावी हमलों से निपटने में भी मदद मिलेगी।