AajTak : Aug 09, 2020, 08:18 PM
China: कोरोना वायरस की शुरुआत वुहान से हुई। वुहान के एक लैब को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी विवाद हुआ था। यह लैब पूरे कोरोना काल में खुला रहा। अब तक इस लैब को लेकर यह विवाद हो रहा था कि कोविड-19 महामारी की शुरुआत इसी प्रयोगशाला से हुई थी। कोविड-19 सबसे पहले इसी प्रयोगशाला में पिछले साल दिसंबर में खोजा गया था।कोविड-19 के वायरस को सबसे पहले डॉ। ली वेनलियांग ने नोटिस किया था। उन्होंने अपने वीबो पोस्ट में ये बात लिखी थी। उसके बाद उन्होंने वुहान सिटी सेंट्रल हॉस्पिटल में काम करने वाले अपने सहयोगी को इसके बारे में बताया। जिसके बाद ली वेनलियांग को पुलिस ने राष्ट्रविरोधी गतिविधि के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। मामले ने तब तूल पकड़ा जब 6 फरवरी 2020 को डॉ। ली वेनलियांग की कोरोना से मौत हो गई।इंडिया टु़डे OSINT टीम ने वुहान के इस विवादित पी3 और पी4 प्रयोगशालाओं की जानकारी खंगाली। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि दोनों प्रयोगशालाएं पूरे कोरोना काल में खुली हुई थीं। जबकि, इन्हें लेकर काफी विवाद हो रहा था। वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (Wuhan Institute of Virology) को 1956 में स्थापित किया गया था। यह चीन के इकलौता संस्थान है जहां वायरस पर रिसर्च होती है।चाइना सेंटर फॉर वायरस कल्चर कलेक्शन भी वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी का ही हिस्सा है। जो चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन द्वारा अधिकृत कल्चर कलेक्शन सेंटर है। यहां पर ही 1500 से ज्यादा प्रकार के वायरस रखे हैं। यह एशिया की सबसे बड़ी लैब है जहां इतनी बड़ी मात्रा में वायरस जमा किए गए हैं।नेशनल बायोसेफ्टी लेबोरेट्री की शुरुआत 2008 में हुई थी। यह 2013 में बनकर पूरी हुई थी। इसे 2015 में बायोसेफ्टी लेवल-4 मिला। इन दोनों प्रयोगशालाओं को पी4 और पी3 के नाम से जाना जाता है। अमेरिकी अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट ने रेडियो फ्री एशिया से सबूत जुटाकर इन दोनों प्रयोगशालाओं पर आरोप लगाया था कि पी4 लैब में बायोलॉजिकल यानी जैविक हथियार बनाए जाते हैं।हाल ही में आई मीडिया रिपोर्टस में भी यह दावा किया गया है कि वैक्सीन बनाने और उसकी गुणवत्ता जांचने के लिए भी इन चीन की सरकार इन प्रयोगशालाओं का उपयोग करती है। इसलिए पूरे कोरोना काल में चीन की ये दोनों प्रयोगशालाएं खुली हुई थीं।मेजर जनरल चेन वेई बायोलॉजिकल हथियारों की एक्सपर्ट हैं। साथ ही वायरोलॉजिस्ट और महामारी विशेषज्ञ भी हैं। उन्होंने इस प्रयोगशाला की कमान युआन झिमिंग से जनवरी के मध्य में ली। इस प्रयोगशाला की कमान बदलने का मतलब था कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की चाल का खुलासा होने का डर था। यह डर भी था कि कहीं लैब से कोई जानकरी बाहर न निकल जाए।मई में युआन झिमिंग ने एक इंटरव्यू में बताया था कि शायद वो वापस अपना पद पा लेंगे। वो इस इंटरव्यू में पूरे मामले को दबाते नजर आ रहे थे। साथ ही उन्होंने लैब के ऊपर लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि पी3 और पी4 लैब 2015 में बनकर पूरी हुई। पी3 लैब 2010 में काम करना शुरू कर चुकी थी। जबकि, पी4 लैब में साल 2013 में काम शुरू हुआ था।25 फरवरी 2020 को लिए गए सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि पी4 लैब के आसपास बड़ी गाड़ियों की आवाजाही बढ़ी हुई थी। कुछ छोटी पिकअप गाड़ियां और कुछ सरकारी कारें भी लैब के पास मौजूद थीं।12 मई 2020 को ली गई सैटेलाइट तस्वीरों में ये बात स्पष्ट हो गई कि पूरे कोरोना काल में लैब में काम चल रहा था। लॉकडाउन के बावजूद इस लैब में काम किया जा रहा था।