AajTak : Dec 07, 2019, 05:14 PM
दुनिया की सबसे बड़ी और सऊदी अरब की दिग्गज तेल कंपनी सऊदी अरामको ने गुरुवार को अपना आईपीओ (IPO) जारी किया है। कंपनी की कीमत 1.7 ट्रिलियन डॉलर आंकी गई और आईपीओ लिस्टिंग से कंपनी 25.6 अरब डॉलर जुटाएगी। दरअसल, यह दुनिया का सबसे बड़ा आईपीओ जारी हुआ है। अब अरामको मार्केट वैल्यू की लिहाज से एप्पल(1.17 ट्रिलियन डॉलर) को पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे महंगी कंपनी हो गई है। कंपनी ने करीब 1.5 फीसदी शेयर बाजार को बेचा है।समाचार एजेंसी आईएनएस की एक रिपोर्ट के अनुसार, अरामकों के शेयरों की ट्रेडिंग अगले हफ्ते शुरू होने की संभावना है, जिसकी घोषणा रियाद स्टॉक एक्सचेंज से होनी है। हालांकि अरामको ने पहले ही घोषणा कर रखी है कि इसके शेयर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा या जापान में पेश नहीं किए जाएंगे।क्या होता है आईपीओजब भी कोई कंपनी पहली बार बाहर के लोगों, संस्थाओं को अपने शेयर बेचने का प्रस्ताव रखती है तो इस प्रक्रिया को इनीशियल पब्लिक ऑफर या आईपीओ कहा जाता है। जब आप इन शेयर्स को खरीदते हैं तो आपको कंपनी में हिस्सेदारी दी जाती है।
सऊदी आरामको पर हुआ था हमला: पिछले दिनों सऊदी आरामको तब चर्चा में आई थी जब तेल कंपनी के दो तेल संयंत्रों पर ड्रोन और मिसाइल इसके बाद सऊदी अरब सहित कई देशों में तेल के दामों में जबरदस्त बढ़ोत्तरी देखी गई थी। इस हमले की जिम्मेदारी यमन के हूती विद्रोहियों ने ली थी। लेकिन अमेरिका और सऊदी अरब दोनों ने इसके लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया था। इसके बाद से ही ईरान और अमेरिका के बीच बयानबाजियां शुरू हुई थीं।सऊदी अरब ने दिए थे सबूत: हालांकि ईरान ने सऊदी और अमेरिका के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। उसने कहा था कि ये हमला हूती विद्रोहियों ने ही किया होगा। जबकि सऊदी ने तेल संयंत्रों पर हमलों के पीछे ईरान का हाथ होने का सबूत भी दिया था।
इतना ही नहीं ईरान ने अमेरिका को भेजे एक राजनयिक नोट में यह साफ कर दिया था कि वह किसी भी कार्रवाई का पूरी मजबूती से जवाब देगा। इसके बाद से ही अभी तक अमेरिका और ईरान में तनातनी देखी जा रही है।सऊदी अरामको पर हुए ड्रोन हमले के बाद सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने मामले पर देते हुए कहा है कि अगर ईरान को नहीं रोका गया तो युद्ध होगा और पूरी दुनिया प्रभावित हो जाएगी।
सऊदी आरामको पर हुआ था हमला: पिछले दिनों सऊदी आरामको तब चर्चा में आई थी जब तेल कंपनी के दो तेल संयंत्रों पर ड्रोन और मिसाइल इसके बाद सऊदी अरब सहित कई देशों में तेल के दामों में जबरदस्त बढ़ोत्तरी देखी गई थी। इस हमले की जिम्मेदारी यमन के हूती विद्रोहियों ने ली थी। लेकिन अमेरिका और सऊदी अरब दोनों ने इसके लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया था। इसके बाद से ही ईरान और अमेरिका के बीच बयानबाजियां शुरू हुई थीं।सऊदी अरब ने दिए थे सबूत: हालांकि ईरान ने सऊदी और अमेरिका के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। उसने कहा था कि ये हमला हूती विद्रोहियों ने ही किया होगा। जबकि सऊदी ने तेल संयंत्रों पर हमलों के पीछे ईरान का हाथ होने का सबूत भी दिया था।
इतना ही नहीं ईरान ने अमेरिका को भेजे एक राजनयिक नोट में यह साफ कर दिया था कि वह किसी भी कार्रवाई का पूरी मजबूती से जवाब देगा। इसके बाद से ही अभी तक अमेरिका और ईरान में तनातनी देखी जा रही है।सऊदी अरामको पर हुए ड्रोन हमले के बाद सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने मामले पर देते हुए कहा है कि अगर ईरान को नहीं रोका गया तो युद्ध होगा और पूरी दुनिया प्रभावित हो जाएगी।