Vikrant Shekhawat : Apr 21, 2021, 04:16 PM
बिहार में उम्र कैद काट रहे एक युवक को वंश आगे बढ़ाने के लिए 15 दिन के पैरोल पर जेल से छोड़ने का आदेश दिया गया है। 2012 से जेल में बंद युवक की पत्नी ने पटना हाई कोर्ट में पैरोल के लिए याचिका दायर की थी। बिहारशरीफ जेल में बंद दोषी नालंदा जिले के उत्तरनावां का रहने वाला विक्की आनंद है। 26 साल का विक्की आनंद हत्या का आरोप साबित होने और दोषी ठहराए जाने के बाद उम्र कैद काट रहा है।
जेल में कैद बंदियों के हितों की रक्षा, उनके कानूनी अधिकार के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकार, नालंदा की ओर से नियुक्त जेल विजिटर अधिवक्ता देवेंद्र शर्मा की सलाह पर दायर याचिका पर कोर्ट ने विक्की आनंद को 15 दिन के पैरोल पर छोड़ने का आदेश दिया। 2019 में विक्की की पत्नी रंजीता पटेल ने अधिवक्ता गणेश शर्मा के माध्यम से पटना हाई कोर्ट में संतान के जन्म के लिए पति को पैरोल पर छोड़ने के लिए याचिका दायर की थी। पटना हाईकोर्ट ने रंजीता की दलील सुनने के बाद उसके सजायाफ्ता पति को 15 दिन के पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया है। कानून के जानकारों का मानना है कि बिहार में संतान के जन्म के मकसद से पैरोल दिए जाने का इस तरह का यह पहला आदेश है। सामान्य तौर पर अब तक कोर्ट बंदियों को करीबी रिश्तेदारों के अंतिम संस्कार या विवाह जैसे मौके के लिए पैरोल पर रिहा करने के आदेश देता रहा है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले कभी वंश वृद्धि के लिए पैरोल देने का मामला सामने नहीं आया।
जेल में कैद बंदियों के हितों की रक्षा, उनके कानूनी अधिकार के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकार, नालंदा की ओर से नियुक्त जेल विजिटर अधिवक्ता देवेंद्र शर्मा की सलाह पर दायर याचिका पर कोर्ट ने विक्की आनंद को 15 दिन के पैरोल पर छोड़ने का आदेश दिया। 2019 में विक्की की पत्नी रंजीता पटेल ने अधिवक्ता गणेश शर्मा के माध्यम से पटना हाई कोर्ट में संतान के जन्म के लिए पति को पैरोल पर छोड़ने के लिए याचिका दायर की थी। पटना हाईकोर्ट ने रंजीता की दलील सुनने के बाद उसके सजायाफ्ता पति को 15 दिन के पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया है। कानून के जानकारों का मानना है कि बिहार में संतान के जन्म के मकसद से पैरोल दिए जाने का इस तरह का यह पहला आदेश है। सामान्य तौर पर अब तक कोर्ट बंदियों को करीबी रिश्तेदारों के अंतिम संस्कार या विवाह जैसे मौके के लिए पैरोल पर रिहा करने के आदेश देता रहा है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले कभी वंश वृद्धि के लिए पैरोल देने का मामला सामने नहीं आया।