विश्व / 16-वर्षीय ऐक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने 37 लाख का पुरस्कार लेने से किया इनकार

स्वीडन की 16-वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने ₹37 लाख का पर्यावरणीय पुरस्कार लेने से मना करते हुए कहा है कि पर्यावरण से जुड़े अभियान को पुरस्कार की ज़रूरत नहीं है। ग्रेटा ने कहा, "ज़रूरत है कि सत्ता में बैठे लोग पुरस्कारों नहीं बल्कि वैज्ञानिक उपायों की ओर ध्यान देें।" यह पुरस्कार उन्हें स्टॉकहोम में नॉर्डिक काउंसिल ने दिया था।

Live Hindustan : Oct 31, 2019, 10:14 AM
जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने मंगलवार को एक पर्यावरण पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि जलवायु अभियान में आवश्यकता इस बात की है कि सत्ता में बैठे लोग पुरस्कार देने के बजाए विज्ञान का अनुसरण प्रारंभ करें।  अंतर संसदीय सहयोग के लिए क्षेत्रीय संस्था नॉर्डिक परिषद की ओर से स्टॉकहोम में आयोजित समारोह में थनबर्ग को इस सम्मान के लिए चुना गया। थनबर्ग के प्रयासों के लिए उन्हें स्वीडन और नॉर्वे दोनों की ओर से नामित किया गया था। उन्होंने संगठन का सालाना पर्यावरण पुरस्कार जीता था।

लगभग 37 लाख रुपये नहीं लिए: स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पुरस्कार की घोषणा के बाद थनबर्ग के एक प्रतिनिधि ने दर्शकों को बताया कि वह यह पुरस्कार और 52,000 डॉलर (36, 85,917 रुपये) की राशि स्वीकार नहीं करेंगी। उन्होंने इंस्टाग्राम पर अपने इस फैसले को साझा किया।

सम्मान देने वालों की आलोचना भी की: थनबर्ग ने यह सम्मान देने के लिए नॉर्डिक परिषद का आभार व्यक्त किया, लेकिन जलवायु से जुड़े मुद्दों पर अपनी बात पर कायम नहीं रहने के लिए नॉर्डिक देशों की आलोचना भी की।

राजनेताओं को दो टूक: एक पोस्ट में उन्होंने लिखा कि जलवायु अभियान को और पुरस्कारों की आवश्यकता नहीं है। जरूरत इस बात की है कि सत्ता में बैठे लोग वर्तमान में उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ विज्ञान का अनुसरण करना शुरू कर दें।

लाखों लोग अभियान से जुड़े: स्वीडन की रहने वाली 16 वर्षीय थनबर्ग के ‘फ्राइडे फॉर फ्यूचर’ अभियान के पक्ष में लाखों लोग आ चुके हैं। वह तब चर्चा में आई थीं जब अगस्त, 2018 में हर शुक्रवार स्वीडन की संसद के बाहर धरना देना शुरू कर दिया था। वह हाथों में एक तख्ती लेकर वहां रहती थीं, जिस पर लिखा होता था जलवायु की खातिर स्कूल की हड़ताल।