विदेश / मैंने आखिरी बार 3 साल पहले खरीदे थे नए कपड़े, वे भी सेकेंड हैंड थे: ग्रेटा थनबर्ग

18-वर्षीय स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने वोग स्कैंडिनेविया पत्रिका से कहा है कि उन्होंने आखिरी बार 3 साल पहले नए कपड़े खरीदे थे और 'वे कपड़े सेकेंड हैंड (इस्तेमाल हो चुके) थे।' उन्होंने कहा, "मैं सिर्फ उन लोगों से चीज़ें...लेती हूं जिन्हें...जानती हूं।" ग्रेटा ने दुनियाभर में कपड़ों के उत्पादन और उपभोग के तरीके में बदलाव का आह्वान किया।

Vikrant Shekhawat : Aug 10, 2021, 05:54 PM
स्टॉकहोम: पर्यावरन एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने प्रसिद्ध फैशन मैग्जीन 'वोग' को दिए एक इंटरव्यू में फैशन इंडस्ट्री की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने अपने इंटरव्यू में कहा कि जलवायु परिवर्तन के लिए फैशन इंडस्ट्री 'बड़े पैमाने पर जिम्मेदार' है। उन्होंने 'फास्ट फैशन' की आलोचना करते हुए इसे भी बंद करने पर जोर दिया। फास्ट फैशन शब्द का प्रयोग सभी मौसमों में अलग-अलग तरह के वस्त्रों के धड़ल्ले से होने वाले प्रोडक्शन के लिए किया जाता है। इस तरह बनने वाला कपड़ा सस्ता होता है परन्तु उसका पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

वोग मैग्जीन ने उनका इंटरव्यू छापते हुए ग्रेटा थनबर्ग को अपने स्वीडन एडीशन के फ्रंट पेज पर जगह दी है। इस कवर पेज पर वह चारों ओर हरियाली के मध्य एक घोड़े पर हाथ फेरती दिखाई दे रही हैं। 18 वर्षीय ग्रेटा ने अपने इंटरव्यू में कहा कि मैंने तीन वर्ष पूर्व एक सेकेंड हैंड कपड़ा खरीदा था और मैं अपने जानने वालों से कपड़े उधार लेती हूं।

उन्होंने कहा कि बड़े फैशन ब्रॉन्ड्स को अपने प्रोडक्ट्स के कारण पृथ्वी की जलवायु पर पड़ रहे दुष्प्रभाव की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि कुछ कंपनियां अपने कपड़ों को पर्यावरण के अनुकूल दिखाने के लिए 'ग्रीनवॉश' विज्ञापन की मुहिम चलाती हैं ताकि उनके कपड़े ज्यादा बिक सके।

इस संबंध में उन्होंने कई ट्वीट भी किए जिनमें उन्होंने लिखा कि फैशन इंडस्ट्री डिस्पोजेबल कपड़ों के जरिए दुनिया में जलवायु संकट का कारण बन रही हैं। इनके जरिए अनगिनत मजदूरों और समुदायों का भी शोषण किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी फैशन इंडस्ट्री को विश्व में सर्वाधिक प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्री का दर्जा दिया है।