News18 : Jul 14, 2020, 04:43 PM
बेंगलुरु। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु (Bengaluru) में कोविड-19 (Covid-19) के हालात अनलॉक (Unlock) के बाद बिगड़ते जा रहे हैं। इसी के मद्देनजर आज रात से शहर में एक हफ्ते का सख्त लॉकडाउन (1 Week Strict Lockdown) घोषित कर दिया गया है। हालांकि लॉकडाउन के इस फैसले का असर गरीब तबके पर पड़ा है। कहा जा रहा है कि बीते तीन दिन के भीतर शहर से करीब पांच लाख लोग 'धोखा देने' का आरोप लगाकर अपने घरों को लौट गए हैं। दरअसल इस तबके को उम्मीद थी कि अनलॉकिंग की प्रक्रिया शुरू होते ही उन्हें रोजगार मिलेगा लेकिन अब एक हफ्ते के लॉकडाउन ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
सकते में आ गए हैं कई वर्गगौरतलब है कि राज्य के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा लगातार लोगों को आश्वासन देते रहे हैं कि अब राजधानी में लॉकडाउन नहीं लगाया जाएगा। लेकिन सरकार को कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर अपने इस वादे को तोड़ना पड़ा है। सीएम के इस निर्णय की वजह से बिजनेसमैन, अप्रवासी मजदूर, गरीब और लोअर मिडिल क्लास के लोग सकते में आ गए हैं।
येदियुरप्पा की हुई है प्रशंसाकोरोना वायरस की रोकथाम के लिए येदियुरप्पा सरकार द्वारा शुरुआती तीन महीनों में उठाए गए कदमों की खूब प्रशंसा भी हुई है। लेकिन अनलॉकिंग की प्रक्रिया ने स्थितियों को बिगाड़ दिया है। येदियुरप्पा ने व्यापारिक गतिविधियों को दोबारा शुरू करने की जोरदार वकालत भी की थी।जून में जीएसटी कलेक्शन में हुआ था सुधारअप्रैल और मई के 100 करोड़ जीएसटी कलेक्शन की तुलना में जून महीने में राज्य से 7 हजार करोड़ का कलेक्शन हुआ। बिजनेस में तेजी के साथ सुधार हुआ। अब लॉकडाउन के निर्णय की वजह से रिकवरी की उम्मीद लगाए बैठा उद्योगजगत चिंतित है।अग्रणी संस्था ने की खुली आलोचनाकर्नाटक चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने इस निर्णय की खुले तौर पर आलोचना भी की है। संस्था ने कहा है कि कोरोना वायरस फैलने के लिए उद्योगजगत जिम्मेदार नहीं है। लॉकडाउन की वजह से पहले ही बड़े स्तर पर नुकसान हो चुका है। हालांकि सीएम येदियुरप्पा के मुताबिक ये लॉकडाउन मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के लिए किया गया है और इसे एक हफ्ते से अधिक नहीं किया जाएगा।
पार्टी पर पकड़ बनाने का कदम!हालांकि यह भी कहा जा रहा है की सीएम येदियुरप्पा ने ये निर्णय पार्टी में अपनी पकड़ मजबूत रखने के लिए लिया है। दरअसल बेंगलुरु से ताल्लुक रखने वाले तीन मंत्री आर। अशोक, डॉ। सीएन अश्वथनारायण और डॉ। के सुधारकण के बीच शहर प्रशासन पर नियंत्रण को लेकर खींचतान चल रही है। वहीं हेल्थ मिनिस्टर बी श्रीरामुलु पर भी विपक्षी पार्टी कांग्रेस लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है।
सकते में आ गए हैं कई वर्गगौरतलब है कि राज्य के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा लगातार लोगों को आश्वासन देते रहे हैं कि अब राजधानी में लॉकडाउन नहीं लगाया जाएगा। लेकिन सरकार को कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर अपने इस वादे को तोड़ना पड़ा है। सीएम के इस निर्णय की वजह से बिजनेसमैन, अप्रवासी मजदूर, गरीब और लोअर मिडिल क्लास के लोग सकते में आ गए हैं।
येदियुरप्पा की हुई है प्रशंसाकोरोना वायरस की रोकथाम के लिए येदियुरप्पा सरकार द्वारा शुरुआती तीन महीनों में उठाए गए कदमों की खूब प्रशंसा भी हुई है। लेकिन अनलॉकिंग की प्रक्रिया ने स्थितियों को बिगाड़ दिया है। येदियुरप्पा ने व्यापारिक गतिविधियों को दोबारा शुरू करने की जोरदार वकालत भी की थी।जून में जीएसटी कलेक्शन में हुआ था सुधारअप्रैल और मई के 100 करोड़ जीएसटी कलेक्शन की तुलना में जून महीने में राज्य से 7 हजार करोड़ का कलेक्शन हुआ। बिजनेस में तेजी के साथ सुधार हुआ। अब लॉकडाउन के निर्णय की वजह से रिकवरी की उम्मीद लगाए बैठा उद्योगजगत चिंतित है।अग्रणी संस्था ने की खुली आलोचनाकर्नाटक चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने इस निर्णय की खुले तौर पर आलोचना भी की है। संस्था ने कहा है कि कोरोना वायरस फैलने के लिए उद्योगजगत जिम्मेदार नहीं है। लॉकडाउन की वजह से पहले ही बड़े स्तर पर नुकसान हो चुका है। हालांकि सीएम येदियुरप्पा के मुताबिक ये लॉकडाउन मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के लिए किया गया है और इसे एक हफ्ते से अधिक नहीं किया जाएगा।
पार्टी पर पकड़ बनाने का कदम!हालांकि यह भी कहा जा रहा है की सीएम येदियुरप्पा ने ये निर्णय पार्टी में अपनी पकड़ मजबूत रखने के लिए लिया है। दरअसल बेंगलुरु से ताल्लुक रखने वाले तीन मंत्री आर। अशोक, डॉ। सीएन अश्वथनारायण और डॉ। के सुधारकण के बीच शहर प्रशासन पर नियंत्रण को लेकर खींचतान चल रही है। वहीं हेल्थ मिनिस्टर बी श्रीरामुलु पर भी विपक्षी पार्टी कांग्रेस लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है।