देश / 27 पूर्व आईपीएस अफसरों ने पंजाब में पीएम की सुरक्षा में हुई चूक पर राष्ट्रपति को लिखा पत्र

27 पूर्व आईपीएस अफसरों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई 'सोची-समझी व सुनियोजित' चूक के मामले में तत्काल कार्रवाई करने की अपील की है। पत्र में लिखा है, "यह प्रधानमंत्री को नुकसान पहुंचाने के लिए राज्य के प्रशासन और तथाकथित प्रदर्शनकारियों के बीच मिलीभगत का शर्मनाक व खुला प्रदर्शन था।"

Vikrant Shekhawat : Jan 07, 2022, 04:47 PM
PM Modi Security Lapse: प्रधानमंत्री (Prime Minister) की सुरक्षा (Security) की चूक मामले में 16 पूर्व डीजीपी (DGP) सहित 27 आईपीएस (IPS) अफ़सरों ने राष्ट्रपति (President) को चिट्ठी लिखी है. पत्र में प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान पंजाब (Punjab) में तथाकथित प्रदर्शनकारियों के साथ मिलकर पंजाब सरकार द्वारा जानबूझकर और योजनाबद्ध सुरक्षा चूक की तत्काल कार्रवाई करने का अनुरोध किया है. इस सूची में पंजाब के दो पूर्व डीजीपी पीसी डोगरा और एपी पांडेय सहित कुल 16 डीजीपी शामिल हैं. सख़्त करवाई की मांग करते हुए चिट्ठी की कॉपी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के चीफ जस्टिस (CJI) को भी भेजी गई है.

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में भारी चूक देखने को मिली. प्रधानमंत्री को फ़िरोज़पुर के रास्ते में शहीद स्मारक जाते वक्त प्यारेआना गांव में 20 मिनट तक इंतज़ार करने के बाद वापस लौटना पड़ा. पीएम ने वापस आते वक्त भटिंडा एयरपोर्ट पर अधिकारियों से कहा था, ''अपने मुख्यमंत्री को धन्यवाद कहना, कि मैं ज़िंदा भटिंडा लौट आया.''

पूर्व आईपीएस अधिकारियों ने ख़त में लिखा है कि मीडिया रिपोर्टों से साफ पता चलता है कि यह न केवल राज्य सरकार द्वारा प्रदर्शित एक बड़ी लापरवाही है, बल्कि राज्य के पदाधिकारियों की स्पष्ट भागीदारी प्रतीत होती है. इसी के परिणामस्वरूप सुरक्षा उल्लंघन की यह भयावह घटना हुई है. जिन्हें प्रधानमंत्री की यात्रा के लिए सुरक्षा समन्वय में नियोजित किया गया था वे राज्य के वैकल्पिक मार्गों से अच्छी तरह वाकिफ थे.

आगे ख़त में पूर्व अधिकारी लिखते हैं कि हम आपसे इसलिए संपर्क कर रहे हैं कि इस देश के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ. पत्र में लिखा गया है कि राज्य की एजेंसियां ​​बहाना बना रही हों और मुख्यमंत्री के स्तर पर भी प्रधानमंत्री के मार्ग को लेकर विरोधाभासी बयानबाजी हो रही हो जिसे तथाकथित प्रदर्शनकारियों ने ब्लॉक कर दिया था. यदि यह समझ में नहीं आता है कि प्रदर्शनकारियों को मार्ग के बारे में कैसे पता था, जिसकी जानकारी केवल राज्य पुलिस अधिकारियों और दूसरों को तभी पता होती है जब तथाकथित के साथ साझा की जाती है.

आईपीएस अधिकारियों ने चिट्ठी में एबीपी न्यूज़ की क्लिप का भी हवाला दिया है. ख़त में लिखते हुए पूर्व आईपीएस अधिकारियों ने लिखा है कि टेलीविजन चैनलों और प्रिंट मीडिया में वीडियो स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि कोई भी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौके पर मौजूद नहीं था, बल्कि आश्चर्यजनक रूप से पुलिस अधिकारी तथाकथित प्रदर्शनकारियों को हटाने के प्रयास करने के बजाय केवल चाय का आनंद ले रहे थे, जो उनके इरादों को साफ़ साफ़ बता देता है.

पत्र में यह भी लिखा गया है कि जब पीएम का क़ाफ़िला खुली सड़क पर प्रदर्शनकरियों के आगे बेबस था तब वहां स्थानीय पुलिस और प्रदर्शनकारी के बीच दोस्ताना माहौल चला रहा था. पुलिसकर्मी वहां प्रदर्शनकारियों की चाय पी रहे थे. उनकी दिलचस्पी क़तई रूट साफ़ कराने में नहीं थी. ऐसे में कोई भी मौक़े का लाभ उठा कर पीएम की जान के लिए ख़तरा पैदा कर सकता था.

आपको बता दें कि दुनिया भर की सुरक्षा एजेंसियां मानती है कि प्रधानमंत्री मोदी दुनिया में सबसे ज़्यादा ख़तरे में जीने वाले राजनेता हैं. जहां ये घटना हुई वो जगह पाकिस्तान सीमा से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर है और पाकिस्तान की नज़र सदा इस सीमाई राज्य पर आतंक फ़ैलाने में लगी रहती है.

ख़त में आगे लिखा है कि पंजाब में चुनाव होने जा रहे हैं और ऐसे में वहां कई राजनीतिक दलों के नेताओं का आना-जाना रहेगा, सभी की सुरक्षा करना राज्य की मशीनरी की ज़िम्मेदारी है. राज्य में सुरक्षा के माहौल में चुनाव हो इसलिए कड़ी करवाई की जाए.