Vikrant Shekhawat : Aug 28, 2022, 04:18 PM
नोएडा का गगनचुंबी ट्विन टावर अब मलबे की ढेर में तब्दील हो चुका है। एक बटन दबाते ही यह टावर अदृश्य होकर धूल और मिट्टी में बदल गया। ट्विन टावर के साथ ही ढह गए 500 करोड़ रुपए, जो इस टावर को बनाने में खर्च हुए थे। नोएडा प्राधिकरण ने बताया कि ट्विन टावर के मलबे को बर्बाद नहीं किया जाएगा बल्कि इसे नोएडा के सेक्टर 80 ट्रीटमेंट प्लांट में इस्तेमाल योग्य बनाया जाएगा। ट्विन टावर के मलबे से कम से कम 28,000 मीट्रिक टन का निर्माण होगा।सुप्रीम कोर्ट के ट्विन टावर को ढहाए जाने वाले फैसलों को लेकर आम लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ लोगों का मानना है कि यह सही फैसला था बल्कि कुछ इस फैसले के विरोध में भी नजर आए।ब्लास्ट करने से अच्छा अस्पताल बनवानाएक्टिव सिटीजन टीम के संस्थापक सदस्य आलोक सिंह ने कहा कि ‘हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं लेकिन निर्माण पर खर्च किए गए पैसे को बचाने के लिए इस इमारत को सरकार को सौंप दिया जाना चाहिए था। सरकार इस टावर में शहर के बेघर लोगों का पुनर्वास कर सकती थी। इतना पैसा बर्बाद करने के बजाय ट्विन टावर को अस्पताल में बदला जा सकता था।धोखेबाजों के लिए बनेगी एक नजीरसेक्टर 135 के सुनील मिश्रा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश उन सभी को सबक देता है, जो कानून को हल्के में लेते हैं और पैसा बनाने के लिए नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं। ऐसे लोगों से घर खरीदारों को धोखा मिलता है, इसलिए यह फैसला सही था।ट्विन टावर की जमीन 25 करोड़ में खरीदी गई थीजिस जगह अभी ट्विन टावर का मलबा पड़ा हुआ है उस जमीन को सुपरटेक लिमिटेड ने 25 करोड़ में खरीदा था। इसी के साथ सुपरटेक लिमिटेड ने नोएडा प्राधिकरण से लेआउट मंजूरी प्राप्त करने के लिए 25 करोड़ और दिए थे। साल 2009 में सुपरटेक लिमिटेड ने ट्विन टावर के लिए 8000 वर्ग मीटर जमीन खरीदी थी। साथ ही 46000 वर्ग मीटर जमीन और खरीदी गई जहां आज एमराल्ड कोर्ट के 11 आवासीय टावर खड़े हैं। साल 2009 से 2014 तक ट्विन टावर का निर्माण होता रहा। करोडों रुपए लगाए जा रहे थे। इमारतें अभी बन ही रही थीं कि साल 2014 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भवन नियमों के उल्लंघन के लिए ट्विन टावर को ढहाने का आदेश दे दिया।ट्विन टावर को खड़ा करने में लगे 450 करोड़सुपरटेक लिमिटेड के चेयरमैन आरके अरोड़ा ने कहा कि हमने एपेक्स और सेयेन नाम के इन दो टावरों में स्टील, सीमेंट, रेत, लेबर, लोन और अन्य खर्चों सहित निर्माण सामग्री में 450 करोड़ रुपए का खर्च किया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद सुपरटेक लिमिटेड का 500 करोड़ रुपए बर्बाद हो गया। क्या कहा सुपरटेक लिमिटेड के चेयरमैन नेसुपरटेक लिमिटेड ने कहा कि ट्विन टावर ब्लास्ट से उनकी चल रही किसी भी परियोजनाओं के निर्माण पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बाकी इमारतों का निर्माण कार्य चलता रहेगा। सुपरटेक लिमिटेड ने ये भी कहा कि समय पर इमारतों की डिलीवरी देने के लिए कंपनी प्रतिबद्ध है।सुपरटेक लिमिटेड के चेयरमैन ने कहा कि पिछले 7 वर्षों के दौरान हमारे पास 40,000 से अधिक फ्लैट वितरित करने का मजबूत रिकॉर्ड है। इस साल के अंत तक सुपरटेक लिमिटेड ने 7000 फ्लैट वितरित करने का लक्ष्य रखा है।