- भारत,
- 27-Mar-2025 03:40 PM IST
US-Iran War: हाल ही में अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर एक महत्वपूर्ण खुलासा हुआ है। सैटेलाइट तस्वीरों से संकेत मिला है कि अमेरिका ने हिंद महासागर में स्थित डिएगो गार्सिया एयरबेस पर अत्याधुनिक B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स और KC-135 रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट की तैनाती कर दी है। इसके साथ ही, अमेरिका ने 1 मई तक एयरबेस के दो प्रमुख रैंप स्लॉट (B1 और B2) को बंद कर दिया है, जिससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि यह किसी बड़े सैन्य अभियान की तैयारी हो सकती है।
क्या 1 मई को ईरान पर हमला होगा?इस घटनाक्रम के बाद कई विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर हमले के लिए 1 मई की तारीख तय कर दी है। दो महीने पहले ही ट्रंप प्रशासन ने ईरान को एक अल्टीमेटम दिया था, जिसकी समय सीमा अब समाप्त हो रही है।डिएगो गार्सिया एयरबेस के लिए जारी NOTAM (Notice to Air Missions) भी इस ओर इशारा करता है कि उस दिन कुछ बड़ा होने वाला है। आमतौर पर, इस प्रकार के नोटिस तभी जारी किए जाते हैं जब किसी बड़े सैन्य अभियान की योजना बनाई जा रही हो।अमेरिका ईरान पर हमला क्यों करेगा?ईरान और अमेरिका के बीच तनाव पिछले कई वर्षों से जारी है, लेकिन वर्तमान में यह संघर्ष और अधिक गहरा होता जा रहा है। इसके पीछे पाँच प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं:- परमाणु कार्यक्रम - ईरान लगातार अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहा है, जिससे अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को खतरा महसूस हो रहा है।
- हूती विद्रोही हमले - अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हूती विद्रोहियों और ईरान समर्थित मिलिशिया के हमले हुए हैं, जिसके जवाब में अमेरिका ने कई बार जवाबी कार्रवाई की है।
- आतंकी संगठनों को समर्थन - अमेरिका का आरोप है कि ईरान इजराइल विरोधी समूहों, जैसे कि हिजबुल्लाह को समर्थन दे रहा है।
- तेल व्यापार में हस्तक्षेप - अमेरिका ने ईरान पर अंतरराष्ट्रीय तेल व्यापार को बाधित करने के आरोप लगाए हैं।
- राजनीतिक लाभ - राष्ट्रपति ट्रंप आगामी चुनावों में मजबूती दिखाने के लिए एक सफल सैन्य अभियान को अपने पक्ष में इस्तेमाल कर सकते हैं।
- कतर - अल उदैद एयरबेस (CENTCOM हेडक्वार्टर)
- बहरीन - अमेरिकी नौसेना का 5वां बेड़ा
- यूएई - अल धाफरा एयरबेस (F-22 रैप्टर और MQ-9 रीपर ड्रोन)
- इराक - अमेरिकी सेना के कई छोटे-बड़े ठिकाने
- कुवैत - अरीफजान बेस (13,000 से अधिक अमेरिकी सैनिक)
- जॉर्डन - मुबारेक और किंग फहद एयरबेस
- तुर्की - इनसर्लिक एयरबेस (परमाणु हथियार मौजूद)
- यह एयरबेस ईरान की मिसाइल रेंज से बाहर है, जिससे यहां से ऑपरेशन करना सुरक्षित रहेगा।
- B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स सीधे ईरान तक हमला कर सकते हैं और सुरक्षित वापस लौट सकते हैं।
- यह बेस गोपनीय सैन्य अभियानों के लिए आदर्श है, क्योंकि इसकी निगरानी करना कठिन है।
- अमेरिकी युद्धपोत और पनडुब्बियां पहले से ही इस क्षेत्र में तैनात हैं, जो किसी भी ऑपरेशन में सपोर्ट दे सकती हैं।
- यदि अमेरिका हमला करता है, तो यह संभवतः एक सटीक एयरस्ट्राइक ऑपरेशन होगा, जिसमें B-2 बॉम्बर्स का उपयोग किया जाएगा।
- यदि अमेरिका हमला नहीं करता, तो यह ईरान को दबाव में लाने की रणनीति हो सकती है, जिससे वह अपने परमाणु कार्यक्रम और अन्य आक्रामक गतिविधियों को नियंत्रित करे।