Rupee Decline Analysis / ये पांच दुश्मन कर रहे रुपए को घायल, इतना पहुंचा चुके हैं नुकसान

बीते दिनों रुपये में गिरावट देखी गई, गुरुवार को यह 24 पैसे टूटकर 85.93 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। इसके पांच कारण हैं—ट्रंप की टैरिफ नीति, बढ़ती महंगाई, डॉलर की बढ़ती मांग, लिक्विडिटी की कमी और कच्चे तेल की ऊंची कीमतें। विदेशी निवेश से कुछ राहत संभव है।

Rupee Decline Analysis: बीते कुछ दिनों में भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले लगातार दबाव में नजर आ रहा है। गुरुवार को कारोबार के दौरान रुपया 24 पैसे की गिरावट के साथ 85.93 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। यह गिरावट आकस्मिक नहीं है, बल्कि इसके पीछे पांच प्रमुख कारण काम कर रहे हैं, जिन्हें रुपए के "पांच दुश्मन" कहा जा सकता है।

रुपए में गिरावट के पांच प्रमुख कारण

  1. ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी
    अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा आयातित वाहनों पर 25% शुल्क लगाने की घोषणा के बाद डॉलर की मजबूती बढ़ी है। इस टैरिफ पॉलिसी के कारण भारतीय ऑटो सेक्टर के शेयर दबाव में आ गए हैं, जिसका असर रुपए पर भी देखने को मिल रहा है।

  2. डॉलर इंडेक्स में तेजी
    हाल के दिनों में डॉलर इंडेक्स में 1.5% से 2% की तेजी दर्ज की गई है। पहले यह 103 के स्तर से नीचे चला गया था, लेकिन अब यह 104.50 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। डॉलर इंडेक्स की मजबूती भारतीय मुद्रा पर दबाव बना रही है।

  3. कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा
    वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती बनी हुई है। मार्च के बाद से तेल की कीमतों में 5% से अधिक की बढ़त दर्ज की गई है, जिससे भारत का व्यापार घाटा बढ़ रहा है और रुपया कमजोर हो रहा है।

  4. डॉलर की बढ़ती मांग
    वित्तीय वर्ष के अंत में आमतौर पर डॉलर की मांग बढ़ जाती है, क्योंकि कंपनियां अपने वित्तीय समायोजन के लिए अधिक डॉलर खरीदती हैं। इससे रुपए पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

  5. लिक्विडिटी की कमी
    भारतीय मुद्रा बाजार में नकदी की किल्लत बनी हुई है, जिससे रुपये पर लगातार दबाव बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि लिक्विडिटी की समस्या बनी रहती है, तो निकट भविष्य में रुपया और अधिक गिर सकता है।

बाजार की मौजूदा स्थिति

इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज मार्केट में रुपया 85.90 पर खुला और गिरकर 85.93 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। पिछले सत्र में यह 85.69 पर बंद हुआ था। सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के एमडी अमित पाबारी के अनुसार, मौजूदा बाजार परिस्थितियों को देखते हुए अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये को 85.40-85.50 के स्तर पर समर्थन मिल सकता है, लेकिन यह 86.50 के स्तर तक भी जा सकता है।

क्या आगे स्थिति सुधर सकती है?

हालांकि, विदेशी निवेशकों का निवेश निचले स्तर पर रुपया को समर्थन दे सकता है। बुधवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने 2,240.55 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, जिससे बाजार में थोड़ी स्थिरता देखी गई।

इस बीच, डॉलर सूचकांक 0.22% गिरकर 104.32 पर आ गया, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड 73.88 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। भारतीय शेयर बाजार में भी सकारात्मक रुझान देखने को मिला, जहां सेंसेक्स 284.21 अंक बढ़कर 77,572.71 पर और निफ्टी 73.50 अंक बढ़कर 23,560.35 पर पहुंच गया।