कोरोना वायरस / दिल्ली में कोविड-19 से 67 बच्चे हुए अनाथ; 1311 बच्चों ने अपने पिता को खोया: मंत्री

दिल्ली सरकार में मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने गुरुवार को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 से अब तक 67 बच्चे अनाथ हुए हैं। उन्होंने कहा, "दिल्ली में कोविड-19 से 651 बच्चों ने अपनी मां व कम-से-कम 1311 बच्चों ने अपने पिता को खोया है।" वहीं, दिल्ली में कोविड-19 से गुरुवार तक 24,981 लोगों की मौत हो चुकी है।

Vikrant Shekhawat : Jul 02, 2021, 09:15 AM
Covid-19 Orphans in Delhi: दिल्ली में कोरोना वायरस महामारी (Covid-19 Pandemic in Delhi) की वजह से अनाथ हुए बच्चों के लिए केजरीवाल सरकार (Kejriwal Government) एक खास योजना शुरू करने जा रही है. आज गुरुवार को दिल्ली सरकार में मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने इस संबंध में अहम जानकारी दी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 की वजह से 67 बच्चे अनाथ हुए हैं. कोरोना की वजह से 651 बच्चों की मां और 1311 बच्चों के पिता का निधन हो गया. उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों को आर्थिक सहायता देने के लिए सरकार एक योजना शुरू करेगी. दिल्ली छोड़ चुके लोग भी इसमें आवेदन कर सकते हैं.

राजेंद्र गौतम ने आगे कहा कि माता या पिता में ऐसे किसी एक खोने वाले बच्चों को पचास हजार रुपए की आर्थिक मदद दी जाएगी. अनाथ हुए बच्चों को हर महीने 2,500 रुपए की राशि के साथ एक लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा. मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने कल बुधवार को ही इस संबंध में अहम सुनवाई की थी. कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) को राहत के न्यूनतम मानक प्रदान करने के लिए वैधानिक रूप से बाध्य किया गया है, जिसमें उन लोगों के परिवार के लिए अनुग्रह राशि शामिल होनी चाहिए, जिन्होंने कोविड के कारण अपनी जान गंवाई है.

जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अनुग्रह राशि प्रदान नहीं करके, एनडीएमए अपने वैधानिक कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रहा है. जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने एनडीएमए को राहत के न्यूनतम मानकों के अनुसार कोविड के कारण मरने वाले व्यक्तियों के परिवार के सदस्यों के लिए मुआवजे के लिए दिशा-निर्देश बनाने का निर्देश दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने जोर दिया कि दिशानिर्देशों को छह महीने के भीतर लागू किया जाना चाहिए. पीठ ने कहा कि क्या उचित राशि प्रदान की जानी है, यह राष्ट्रीय प्राधिकरण के विवेक पर छोड़ दिया गया है. यह कहते हुए कि अदालत के लिए मुआवजे की एक विशेष राशि का निर्देश देना उचित नहीं है. पीठ ने कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 12 में इस्तेमाल किया गया शब्द ‘होगा(शैल)’ है, जो अनिवार्य है, और ‘होगा’ शब्द को ‘हो सकता है(में)’ के रूप में जोड़ा गया है, जो प्रावधान के उद्देश्य को समाप्त कर देगा.