- भारत,
- 19-Apr-2025 01:40 PM IST
Gautam Adani News: केदारनाथ धाम की कठिन यात्रा अब पहले जैसी नहीं रहेगी। तीर्थयात्रियों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। अब 8-9 घंटे की पैदल चढ़ाई को महज 36 मिनट में तय किया जा सकेगा, वो भी अत्याधुनिक रोपवे के माध्यम से। इस महत्वाकांक्षी परियोजना को सरकार ने 4,081 करोड़ रुपये की लागत से PPP (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर मंजूरी दी है। इसका निर्माण कार्य अगले छह वर्षों में पूरा किया जाएगा, और इसके बाद 35 वर्षों तक संचालन निजी क्षेत्र के हाथों में रहेगा।
अडानी एंटरप्राइजेज का बड़ा प्रस्ताव
इस प्रोजेक्ट में अडानी एंटरप्राइजेज ने सरकार के साथ 42% रेवेन्यू शेयरिंग का प्रस्ताव रखा है, जो कि एक बड़ी आर्थिक भागीदारी को दर्शाता है। कुल चार में से तीन बोलीदाताओं ने NHLML (नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड) के साथ रेवेन्यू साझा करने में रुचि दिखाई है। यह सरकार के लिए बिना पूंजी निवेश के आय अर्जन का एक प्रभावशाली मॉडल है।
तकनीक और क्षमता
यह रोपवे प्रोजेक्ट Tri-cable Detachable Gondola (3S) तकनीक पर आधारित होगा, जो दुनिया की सबसे उन्नत रोपवे तकनीकों में से एक है। इस सिस्टम में एक बार में 36 यात्रियों को ले जाने की क्षमता होगी। इसके माध्यम से प्रतिदिन लगभग 18,000 तीर्थयात्री, और साल भर में करीब 32 लाख श्रद्धालु यात्रा कर सकेंगे।
दुनिया का सबसे लंबा रोपवे
यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में से एक है। यह दुनिया का सबसे लंबा रोपवे होगा, जो सोनप्रयाग से लेकर केदारनाथ धाम तक बनेगा। पहले चरण में गौरीकुंड से केदारनाथ तक 9.7 किमी लंबा रोपवे तैयार किया जाएगा, जो कठिन पहाड़ी यात्रा को बेहद आसान और सुलभ बना देगा।
हेमकुंड साहिब के लिए भी प्रस्ताव
सरकार की योजना सिर्फ केदारनाथ तक सीमित नहीं है। गोविंदघाट से घांघरिया होते हुए हेमकुंड साहिब तक एक और 12.4 किमी लंबा रोपवे प्रोजेक्ट प्रस्तावित है, जिसकी अनुमानित लागत 2,730 करोड़ रुपये है। इसके जरिये प्रतिदिन 11,000 यात्री यात्रा कर सकेंगे।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा बल
इस तरह के रोपवे प्रोजेक्ट्स से न केवल तीर्थयात्रियों को राहत मिलेगी, बल्कि उत्तराखंड की पर्यटन उद्योग और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। रोजगार के नए अवसर, छोटे व्यापारियों के लिए बढ़ती मांग और बुनियादी ढांचे का विकास – ये सब इस परियोजना के दूरगामी लाभ हैं।