देश / 18 मई के बाद इस कंपनी के शेयरों में नहीं होगी खरीद-बिक्री, स्टॉक मार्केट से होगी डिलिस्ट

वेदांका रिसोर्सेज ग्रुप की कंपनी वेदांता लिमिटेड बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज से डिलिस्ट होगी। अरबपति कारोबारी अनिल अग्रवाल ने घोषणा की कि वह भारत में लिस्टेड कंपनी वेदांता लिमिटेड के सभी पब्लिक शेयर वापस खरीद कर इसे अपनी निजी कंपनी बनाएंगे। इससे पहले जुलाई 2018 में अनिल अग्रवाल ने ये कहते हुए लंदन स्टॉक एक्सचेंज से वेदांता रिसोर्सेज को डिलिस्ट कराने का ऐलाना किया था

News18 : May 13, 2020, 11:05 AM
नई दिल्ली। वेदांका रिसोर्सेज ग्रुप की कंपनी वेदांता लिमिटेड (Vedanta Limited) बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) से डिलिस्ट होगी। अरबपति कारोबारी अनिल अग्रवाल ने घोषणा की कि वह भारत में लिस्टेड कंपनी वेदांता लिमिटेड के सभी पब्लिक शेयर वापस खरीद कर इसे अपनी निजी कंपनी बनाएंगे। अग्रवाल के नियंत्रण वाली वेदांता रिसोर्सेज ग्रुप की कंपनी वेदांता लिमिटेड अपने करीब 49 फीसदी पब्लिक शेयरहोल्डर्स से शेयर खरीदने के लिए 87.50 रुपये प्रति शेयर की खरीद पेशकश करेगी।

वेदांता लिमिटेड ने नियामकी सूचना में कहा, उसके प्रवर्तक समूह वेदांता रिसोर्सेज अकेले अथवा समूह की एक अथवा अधिक अनुषंगियों के साथ मिलकर कंपनी के सभी पूर्ण चुकता इक्विटी शेयरों का अधिग्रहण करेगी। इसमें कंपनी के पब्लिक शेयरहोल्डर्स के पास रखे सभी शेयरों की खरीद की जाएगी। प्रवर्तक समूह के अन्य सदस्यों के साथ वेदांता रिसोर्सेज लिमिडेट (VRL) के पास वर्तमान में वेदांता लिमिटेड के 51.06 फीसदी शेयर हैं जबकि पब्लिक शेयरहोल्डर्स के पास कंपनी के 169.10 करोड़ यानी 48.94 फीसदी शेयर हैं। वेदांता के इस ऑफर के लिए जेपी मॉर्गन को फाइनेंशियल एडवाइजर नियुक्त किया गया है

वेदांता रिसोर्सेज की डिलिस्टिंग

इससे पहले जुलाई 2018 में अनिल अग्रवाल ने ये कहते हुए लंदन स्टॉक एक्सचेंज से वेदांता रिसोर्सेज को डिलिस्ट कराने का ऐलाना किया था कि अब ये जरूरी नहीं लगता कि कंपनी को पूंजी जुटाने के लिए लंदन लिस्टिंग जरूरी है। 1 अक्टूबर 2018 को वेदांता रिसोर्सेज को लंदन स्टॉक एक्सचेंज से डिलिस्ट करवा लिया गया था। 2003 में लंदन स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने वाली वेदांता रिसोर्सेज पहली भारतीय कंपनी थी।

कंपनियां क्यों अपनाती हैं डिलिस्टिंग का विकल्प?

आमतौप पर कंपनियां डिलिस्टिंग का विकल्प तब अपनाती हैं जब वो कंपनी का विस्तार करना चाहती हैं या पुनर्गठन करना चाहती हैं, या कोई दूसरी कंपनी उनका अधिग्रहण कर लेती है या प्रोमोटर कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहते हैं। कंपनी अपने शेयरों को स्टॉक एक्सचेंजों से स्वैच्छिक रूप से डिलिस्ट करने के लिए पब्लिक शेयरहोल्डर्स को बाजार भाव से ज्यादा भाव खरीदने का प्रस्ताव रखती हैं।