Vikrant Shekhawat : Dec 28, 2020, 06:38 PM
नई दिल्ली: साढ़े तीन हजार साल पुरानी माया सभ्यता का कैलेंडर (Calendar) आज लोगों के मन में दोबारा प्रलय (End of the World) का डर बना रहा है. इसमें ये दावा किया गया है कि दुनिया (World) का अंत निकट है. कोरोना महामारी के चलते 2021 में दुनिया का अंत हो जाएगा. इससे पहले 21 दिसंबर 2012 को प्रलय का दावा करते हुए ये कैलेंडर सबसे ज्यादा चर्चाओं में आया था. उस वक्त आलम ये था कि प्रोग्रेसिव माने जाने वाले हॉलीवुड ने भी 2012 के नाम से फिल्म बनाकर इस डर को सच साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी.
2012 में भी की थी महाप्रलय की भविष्यवाणी:
दरअसल, ईसा मसीह के जन्म से करीब 1500 साल पहले मैक्सिको और अमेरिका में विकसित इस माया सभ्यता के कैलेंडर (Mayan Calendar) में 21 दिसंबर 2012 के आगे की कोई तारीख नहीं थी. इसी के आधार पर यह अफवाह फैलाई गई थी कि 2012 में दुनिया खत्म हो जाएगी. आसमान से उल्का बरसेंगे. तारा टूटकर धरती पर गिरेगा. धरती के नीचे से जलजला उठेगा. और इस सब में कोई जिंदा नहीं बचेगा.
हर किसी के मन में घूम रहा था यही सवाल:
ये अफवाह आग की तरह तेजी से पूरी दुनिया में फैल गई. हर कोई डरा हुआ था. सभी के मन में सिर्फ प्रलय का ही सवाल घूम रहा था कि क्या दुनिया खत्म हो जाएगी? क्या 21 दिसंबर को वाकई महाप्रलय आएगा? हालांकि न महाप्रलय आई और न ही माया कैलेंडर की भविष्यवाणी सच हुई. ये मात्र एक अफवाह बनकर रह गई. जानकारों की मानें तो यह पूरी सभ्यता 800 AD के आसपास खत्म हो गई थी.
2020 में भी किया गया था प्रलय का दावा:
हालांकि ये माया सभ्यता का ये दावे अभी खत्म नहीं हुए. विद्वानों ने ये दावा किया गया कि कोरोना वायरस (Coronavirus) महासंकट के बीच 21 जून 2020 को दुनिया खत्म हो जाएगी. वैज्ञानिक पाओलो तगलोगुइन ने भी इस दावे के समर्थन में ट्वीट किया. हालांकि बाद में उन्होंने ट्वीट डिलीट कर दिया. ये तारीख कब की गुजर गई, लेकिन दुनिया आज भी कायम है और अब 2021 को लेकर एक बार फिर अफवाहों का बाजार गर्म है.
2021 में प्रलय को लेकर बनाया जा रहा माहौल:
कैलेंडर बनाने वाले को प्रलय की तारीख मालूम थी या नहीं, ये पक्के तौर पर कोई नहीं जानता. लेकिन उनके कैलेंडर में 21 दिसंबर 2012 से आगे की कोई तारीख नहीं थी. जिसके बाद 2012 और फिर 2020 में प्रलय की भविष्यवाणी की गई. हालांकि, एक बार फिर 2021 को लेकर ऐसा ही माहौल बनाया जा रहा है.
कैलेंडर में क्यों नहीं थी 2012 से आगे की तारीख?
जिस तरह ग्रेगोरियन कैलेंडर में 31 दिसंबर साल की आखिरी तारीख होती है. उसी तरह माया कैलेंडर में 21 दिसंबर 2012 एक युग के खत्म होने की आखिरी तारीख थी. वहीं गोल पत्थर पर खुदे इस कैलेंडर में आगे की तारीखों के लिए कोई जगह ही नहीं बची थी. इसलिए आगे की किसी तारीख का जिक्र नहीं था.
2012 में भी की थी महाप्रलय की भविष्यवाणी:
दरअसल, ईसा मसीह के जन्म से करीब 1500 साल पहले मैक्सिको और अमेरिका में विकसित इस माया सभ्यता के कैलेंडर (Mayan Calendar) में 21 दिसंबर 2012 के आगे की कोई तारीख नहीं थी. इसी के आधार पर यह अफवाह फैलाई गई थी कि 2012 में दुनिया खत्म हो जाएगी. आसमान से उल्का बरसेंगे. तारा टूटकर धरती पर गिरेगा. धरती के नीचे से जलजला उठेगा. और इस सब में कोई जिंदा नहीं बचेगा.
हर किसी के मन में घूम रहा था यही सवाल:
ये अफवाह आग की तरह तेजी से पूरी दुनिया में फैल गई. हर कोई डरा हुआ था. सभी के मन में सिर्फ प्रलय का ही सवाल घूम रहा था कि क्या दुनिया खत्म हो जाएगी? क्या 21 दिसंबर को वाकई महाप्रलय आएगा? हालांकि न महाप्रलय आई और न ही माया कैलेंडर की भविष्यवाणी सच हुई. ये मात्र एक अफवाह बनकर रह गई. जानकारों की मानें तो यह पूरी सभ्यता 800 AD के आसपास खत्म हो गई थी.
2020 में भी किया गया था प्रलय का दावा:
हालांकि ये माया सभ्यता का ये दावे अभी खत्म नहीं हुए. विद्वानों ने ये दावा किया गया कि कोरोना वायरस (Coronavirus) महासंकट के बीच 21 जून 2020 को दुनिया खत्म हो जाएगी. वैज्ञानिक पाओलो तगलोगुइन ने भी इस दावे के समर्थन में ट्वीट किया. हालांकि बाद में उन्होंने ट्वीट डिलीट कर दिया. ये तारीख कब की गुजर गई, लेकिन दुनिया आज भी कायम है और अब 2021 को लेकर एक बार फिर अफवाहों का बाजार गर्म है.
2021 में प्रलय को लेकर बनाया जा रहा माहौल:
कैलेंडर बनाने वाले को प्रलय की तारीख मालूम थी या नहीं, ये पक्के तौर पर कोई नहीं जानता. लेकिन उनके कैलेंडर में 21 दिसंबर 2012 से आगे की कोई तारीख नहीं थी. जिसके बाद 2012 और फिर 2020 में प्रलय की भविष्यवाणी की गई. हालांकि, एक बार फिर 2021 को लेकर ऐसा ही माहौल बनाया जा रहा है.
कैलेंडर में क्यों नहीं थी 2012 से आगे की तारीख?
जिस तरह ग्रेगोरियन कैलेंडर में 31 दिसंबर साल की आखिरी तारीख होती है. उसी तरह माया कैलेंडर में 21 दिसंबर 2012 एक युग के खत्म होने की आखिरी तारीख थी. वहीं गोल पत्थर पर खुदे इस कैलेंडर में आगे की तारीखों के लिए कोई जगह ही नहीं बची थी. इसलिए आगे की किसी तारीख का जिक्र नहीं था.