दावा / कोरोना से उबरने के बाद टीका लेने वाले डेल्टा वेरिएंट से ज्यादा सुरक्षित

अध्ययन में यह पाया गया कि टीकाकरण के बाद संक्रमित होने वाले और संक्रमित होने के बाद एक या दोनों डोज लेने वाले लोग उन लोगों की तुलना में डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ ज्यादा सुरक्षित हैं जिन्होंने कोविशील्ड की एक या दोनों डोज ली है। अध्ययन में कहा गया है कि डेल्टा वैरिएंट के ज्यादा प्रसार से भारत में महामारी की दूसरी लहर पैदा हुई, जिसने लाखों लोगों को प्रभावित किया।

Vikrant Shekhawat : Jul 06, 2021, 08:58 AM
नई दिल्ली | टीकाकरण के बाद संक्रमित होने वाले और संक्रमण से उबरने के बाद वैक्सीन की एक या दोनों डोज लेने वाले लोग उनकी तुलना में कोरोना वायरस के खतरनाक डेल्टा वैरिएंट से ज्यादा सुरक्षित हैं जिन्होंने कोविशील्ड की एक या दोनों डोज ले ली है। एक नवीनतम अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) द्वारा किए गए इस अध्ययन में कहा गया है कि हुमोरल और सेलुलर इम्यून कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जो अन्य म्यूटेडेट स्ट्रेंस की तुलना में अधिक संक्रमणीय और विषाणुजनित है। इस अध्ययन में कोविशील्ड की एक या दोनों डोज लेने वालों, कोरोना से ठीक होने के बाद एक डोज लेने वालों, कोरोना से उबरने के बाद दोनों डोज लेने वालों और टीकाकरण के बाद संक्रमित होने वाले लोगों में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का आकलन किया गया है।

अध्ययन में यह पाया गया कि टीकाकरण के बाद संक्रमित होने वाले और संक्रमित होने के बाद एक या दोनों डोज लेने वाले लोग उन लोगों की तुलना में डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ ज्यादा सुरक्षित हैं जिन्होंने कोविशील्ड की एक या दोनों डोज ली है। अध्ययन में कहा गया है कि डेल्टा वैरिएंट के ज्यादा प्रसार से भारत में महामारी की दूसरी लहर पैदा हुई, जिसने लाखों लोगों को प्रभावित किया।

आगे अध्ययन में कहा गया है कि भारत में बी.1.617 के मामलों में हालिया उभार के बाद जन स्वास्थ्य के लिए नई चिंताएं पैदा हो गई हैं। इस वैरिएंट में आगे बी.1.617.1 (कप्पा), बी.1.617.2 (डेल्टा) और बी.1.617.3 बदलाव हुआ। जाहिर है, डेल्टा वैरिएंट धीरे-धीरे दूसरे वैरिएंट पर हावी हो गया है। इसी के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे चिंता का विषय बताया है।