दुबई / सऊदी अरब के बाद अब UAE की हालत ख़राब, बंद हो सकते हैं 70% बिजनेस

सऊदी अरब के गिरती अर्थव्यवस्था के मद्देनज़र वैट बढ़ाकर 15% करने के बाद अब संयुक्त अरब अमीरात की अर्थव्यवस्था पर भी आशंका के बदल घिरते नज़र आ रहे हैं। तेल आधारित अर्थव्यवस्था UAE भी कच्चे तेल की घटी मांग और दामों के चलते घाटा झेल रही है जिसके चलते अब दुबई में मौजूद बिजनेस बंद होने की कगार पर हैं।

News18 : May 22, 2020, 03:15 PM
दुबई। सऊदी अरब (Saudi Arabia) के गिरती अर्थव्यवस्था के मद्देनज़र वैट बढ़ाकर 15% करने के बाद अब संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की अर्थव्यवस्था पर भी आशंका के बदल घिरते नज़र आ रहे हैं। तेल आधारित अर्थव्यवस्था UAE भी कच्चे तेल (Crude Oil) की घटी मांग और दामों के चलते घाटा झेल रही है जिसके चलते अब दुबई (Dubai) में मौजूद बिजनेस बंद होने की कगार पर हैं। दुबई चेंबर ऑफ़ कॉमर्स के एक सर्वे में सामने आया है कि दुबई के तकरीबन 70 प्रतिशत बिज़नेस अगले छह महीने में कोरोना वायरस महामारी की वजह से बंद हो सकते हैं।

दुबई चेंबर ऑफ़ कॉमर्स का ये सर्वे गुरुवार शाम को जारी किया गया था। इस सर्वे में स्पष्ट कहा गया है कि दुबई की 90 प्रतिशत से अधिक कंपनियों के मुताबिक़ 2020 की पहली तिमाही में उनकी सेल और टर्नओवर में भारी गिरावट दर्ज की गई है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले वक़्त में इनमें से 70% कंपनियों पर ताला लग सकता है। इस सर्वे के मुताबिक कोरोना महामारी की वजह से हुई वैश्विक आर्थिक सुस्ती का माहौल है और इसका असर छोटे और मझौले उद्योगों पर सबसे ज्यादा पड़ रहा है।

रियल एस्टेट, होटल-रेस्टोरेंट उद्योग हुए बर्बाद

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पर्यटन, रियल एस्टेट, होटल- रेस्टोरेंट रिटेल उद्योग बुरी हालत में हैं। पर्यटन की लगभग सभी कंपनियां घाटे में हैं जबकि रियल एस्टेट की 50% कंपनियां दिवालिया हो सकती हैं। रिटेल उद्योंगों से जुड़े लोगों का कहना है कि उनके काम में 70 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है और दूसरी तिमाही के नतीजे और भी भयानक होंगे। सर्वे में शामिल हुईं 48 प्रतिशत कंपनियों ने कहा है कि उनके पास इस महामारी से पार पाने का कोई तैयार प्लान नहीं है।

हालांकि इनमें से कुछ कंपनियों ने का कहना है कि उन्होंने कोविड-19 के प्रकोप को सीमित करने के लिए कुछ उपाय किए हैं जिससे उनके यहां काम कर रहे लोगों पर इसका कम असर पड़े। कंपनियों को इस बारे में दुबई चेंबर ऑफ़ कॉमर्स ने कुछ सुझाव भी दिए हैं। संस्था ने कहा है कि कंपनियों को क़ानूनी कार्यवाहियों से राहत मिलनी चाहिए, किराये में कुछ रियायत मिलनी चाहिए, उससे जुड़े सरकारी ख़र्चों में कुछ कमी की जानी चाहिए, साथ ही सरकारी फ़ीस माफ़ी के अलावा इन्हें फ़ाइनेंस मुहैया कराने की ज़रूरत है।

सऊदी अरब के भी हालत बुरे

कोरोना संक्रमण के चलते सुनिया भर में लॉकडाउन की स्थिति है जिसमें कच्चे तेल की मांग और दामों पर काफी बुरा असर डाला है। UAE की तरह ही सऊदी अरब (Saudi Arabia) की हालत काफी ख़राब है और इस घाटे से उबरने के लिए उसने वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) पांच फ़ीसदी से बढ़ाकर 15 फ़ीसदी तक कर दिया है। इसके आलावा कर्मचारियों को दिए जाने वाले कई तरह के भत्ते भी फ़िलहाल ख़त्म कर दिए गए हैं। बता दें कि कच्चे तेल की कीमत बीते साल के मुकाबले अब आधे से भी कम रह गयीं हैं। तेल आधारित सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है और राजस्व में भी 22% की कमी दर्ज की गयी है। कच्चे तेल की क़ीमत में गिरावट की वजह से सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरामको की पहली तिमाही के मुनाफ़े में 25 फ़ीसदी की कमी आई है।