Economy of India / भारत की इकोनॉमी रॉकेट की रफ्तार से भागेगी, बस करना होगा ये काम

भारतीय अर्थव्यवस्था 2025-26 में 6.5% की दर से बढ़ेगी। ईवाई इकनॉमी वॉच के अनुसार, संतुलित राजकोषीय नीति और मानव पूंजी में निवेश दीर्घकालिक वृद्धि को बढ़ावा देंगे। शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में अधिक निवेश आवश्यक होगा। सरकारी खर्च और निजी उपभोग व्यय बढ़ाने की जरूरत बताई गई है।

Economy of India: भारतीय अर्थव्यवस्था अगले वित्त वर्ष (2025-26) में 6.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि करेगी, ऐसा प्रतिष्ठित परामर्श फर्म ईवाई (EY) की 'इकनॉमी वॉच' रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, एक संतुलित राजकोषीय रणनीति, जो वित्तीय विवेक को बनाए रखते हुए मानव पूंजी विकास का समर्थन करती है, दीर्घकालिक वृद्धि की संभावनाओं को बढ़ाने में मदद करेगी।

आर्थिक वृद्धि के अनुमानों पर दृष्टि

ईवाई इकनॉमी वॉच के मार्च संस्करण में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि अगले वित्त वर्ष 2025-26 के लिए इसे 6.5 प्रतिशत आंका गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वृद्धि को बनाए रखने के लिए भारत की राजकोषीय नीति को देश के विकसित भारत मिशन के अनुरूप बनाना आवश्यक होगा।

सरकारी व्यय में वृद्धि की आवश्यकता

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी संशोधित राष्ट्रीय लेखा खाता आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 से 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर क्रमशः 7.6 प्रतिशत, 9.2 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही की वृद्धि 6.2 प्रतिशत अनुमानित है, जिसका अर्थ है कि वार्षिक 6.5 प्रतिशत वृद्धि दर को बनाए रखने के लिए चौथी तिमाही में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि दर आवश्यक होगी।

रिपोर्ट के अनुसार, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निजी अंतिम उपभोग व्यय में 9.9 प्रतिशत की वृद्धि आवश्यक होगी। हाल के वर्षों में इतनी उच्च वृद्धि नहीं देखी गई है, इसलिए इसका एक अन्य उपाय निवेश व्यय को बढ़ाना हो सकता है, जिसमें सरकार की पूंजीगत व्यय वृद्धि एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश की आवश्यकता

भारत की बढ़ती आबादी और विकसित आर्थिक संरचना को ध्यान में रखते हुए, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में अधिक निवेश करना आवश्यक होगा। ईवाई इंडिया की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि भारत को अगले दो दशकों में अपने सरकारी शिक्षा और स्वास्थ्य खर्च को धीरे-धीरे बढ़ाना होगा, ताकि वह उच्च आय वाले देशों के स्तर के करीब पहुंच सके।

भारत की युवा जनसंख्या और बढ़ती कार्यबल आवश्यकताओं को देखते हुए, सरकार को शिक्षा पर खर्च को वित्त वर्ष 2047-48 तक जीडीपी के मौजूदा 4.6 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत करना होगा। स्वास्थ्य सेवा तक बेहतर पहुंच और बेहतर स्वास्थ्य परिणाम सुनिश्चित करने के लिए, सरकार के स्वास्थ्य व्यय को 2021 के 1.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 2047-48 तक 3.8 प्रतिशत करने की आवश्यकता होगी।

नौकरियों और मानव संसाधन विकास पर जोर

रिपोर्ट के अनुसार, दीर्घकालिक आर्थिक विकास के लिए भारत को श्रमबल की गुणवत्ता को सुधारने के साथ-साथ नए रोजगार सृजन पर भी ध्यान देना होगा। नई नौकरियों के अवसर उत्पन्न करने के लिए कौशल विकास कार्यक्रमों और नवाचार को बढ़ावा देने की जरूरत है। इसके अतिरिक्त, सरकारी और निजी क्षेत्र की साझेदारी से स्टार्टअप्स और छोटे उद्यमों को समर्थन देना भी आवश्यक होगा।