Vikrant Shekhawat : May 17, 2022, 08:25 PM
Delhi: पिछले कुछ दिनों से डीजल और पेट्रोल के दाम (Diesel Petrol Prices) नहीं बढ़ने से लोग राहत की कुछ सांसें ले रहे हैं। हालांकि यह राहत अब बहुत दिनों तक नहीं टिकने वाली है। रिकॉर्ड खुदरा व थोक महंगाई के बाद अब डीजल-पेट्रोल जल्दी ही आम लोगों की जेब हल्की करने वाला है। इसका कारण है कि बहुत जल्द फिर से डीजल-पेट्रोल के दाम बढ़ने वाले हैं। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि इस बार डीजल के दाम में बढ़ोतरी पेट्रोल से ज्यादा होगी।
इतने रुपये बढ़ेंगे डीजल-पेट्रोल के दामसरकारी सूत्रों ने आज तक के सहयोगी चैनल बिजनेस टुडे टीवी को इस बारे में जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि इस बार भी डीजल और पेट्रोल की खुदरा कीमतें एक झटके में नहीं बढ़ेंगी, बल्कि पहले की तरह इन्हें धीरे-धीरे बढ़ाया जाएगा। इस बार फर्क बस इतना रहने वाला है कि डीजल के दाम पेट्रोल की तुलना में ज्यादा बढ़ने वाले हैं। इसका कारण है कि तेल बेचने वाली सरकारी कंपनियों को डीजल पर पेट्रोल से ज्यादा घाटा हो रहा है। उन्होंने बताया कि डीजल के दाम 3-4 रुपये बढ़ सकते हैं, जबकि पेट्रोल 2-3 रुपये महंगा हो सकता है।अभी कंपनियों को हो रहा इतना नुकसानएक अन्य सूत्र ने बताया कि दाम कितने बढ़ेंगे, इस पर अंतिम निर्णय जल्द होगा। हालांकि तेल बेचने वाली सरकारी कंपनियों को डीजल के मामले में प्रति लीटर 25-30 रुपये का और पेट्रोल के मामले में 9-10 रुपये का नुकसान हो रहा है, इनके दाम कुछ हद तक बढ़ाए जाएंगे, यह तय है। डीजल और पेट्रोल की मौजूदा कीमतों की बात करें तो दिल्ली में अभी पेट्रोल 105।41 रुपये लीटर बिक रहा है। इसी तरह डीजल की मौजूदा कीमत 96।67 रुपये लीटर है।
40 दिनों से नहीं बढ़े हैं डीजल-पेट्रोल के दामपांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के चलते नवंबर के बाद डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ाए नहीं जा रहे थे। पांचों राज्यों का चुनाव संपन्न हो जाने के कुछ ही दिनों बाद फिर से दोनों ईंधनों के दाम लगातार बढ़ाए जाने लगे। 22 मार्च से 06 अप्रैल के दौरान डीजल और पेट्रोल के दाम 14 बार बढ़ाए गए। इसके बाद पिछले 40 दिन से इनके दाम नहीं बढ़ाए गए हैं। अब फिर से यह राहत गायब होने वाली है।
FY22 में कच्चा तेल आयात पर इतना खर्चभारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल अन्य देशों से खरीदता है। इनमें से ज्यादातर कच्चा तेल पश्चिम एशियाई देशों और अमेरिका से आता है। रूस से भारत महज 2 फीसदी कच्चा तेल खरीदता है। भारत कच्चा तेल का दूसरा सबसे बड़ा आयातक है। पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के आंकड़ों के अनुसार, फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में भारत को कच्चा तेल खरीदने पर 119.2 बिलियन डॉलर खर्च करने पड़े थे। इससे पहले 2020-21 में भारत का कच्चा तेल आयात बिल 62.2 बिलियन डॉलर रहा था।
इतने रुपये बढ़ेंगे डीजल-पेट्रोल के दामसरकारी सूत्रों ने आज तक के सहयोगी चैनल बिजनेस टुडे टीवी को इस बारे में जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि इस बार भी डीजल और पेट्रोल की खुदरा कीमतें एक झटके में नहीं बढ़ेंगी, बल्कि पहले की तरह इन्हें धीरे-धीरे बढ़ाया जाएगा। इस बार फर्क बस इतना रहने वाला है कि डीजल के दाम पेट्रोल की तुलना में ज्यादा बढ़ने वाले हैं। इसका कारण है कि तेल बेचने वाली सरकारी कंपनियों को डीजल पर पेट्रोल से ज्यादा घाटा हो रहा है। उन्होंने बताया कि डीजल के दाम 3-4 रुपये बढ़ सकते हैं, जबकि पेट्रोल 2-3 रुपये महंगा हो सकता है।अभी कंपनियों को हो रहा इतना नुकसानएक अन्य सूत्र ने बताया कि दाम कितने बढ़ेंगे, इस पर अंतिम निर्णय जल्द होगा। हालांकि तेल बेचने वाली सरकारी कंपनियों को डीजल के मामले में प्रति लीटर 25-30 रुपये का और पेट्रोल के मामले में 9-10 रुपये का नुकसान हो रहा है, इनके दाम कुछ हद तक बढ़ाए जाएंगे, यह तय है। डीजल और पेट्रोल की मौजूदा कीमतों की बात करें तो दिल्ली में अभी पेट्रोल 105।41 रुपये लीटर बिक रहा है। इसी तरह डीजल की मौजूदा कीमत 96।67 रुपये लीटर है।
40 दिनों से नहीं बढ़े हैं डीजल-पेट्रोल के दामपांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के चलते नवंबर के बाद डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ाए नहीं जा रहे थे। पांचों राज्यों का चुनाव संपन्न हो जाने के कुछ ही दिनों बाद फिर से दोनों ईंधनों के दाम लगातार बढ़ाए जाने लगे। 22 मार्च से 06 अप्रैल के दौरान डीजल और पेट्रोल के दाम 14 बार बढ़ाए गए। इसके बाद पिछले 40 दिन से इनके दाम नहीं बढ़ाए गए हैं। अब फिर से यह राहत गायब होने वाली है।
FY22 में कच्चा तेल आयात पर इतना खर्चभारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल अन्य देशों से खरीदता है। इनमें से ज्यादातर कच्चा तेल पश्चिम एशियाई देशों और अमेरिका से आता है। रूस से भारत महज 2 फीसदी कच्चा तेल खरीदता है। भारत कच्चा तेल का दूसरा सबसे बड़ा आयातक है। पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के आंकड़ों के अनुसार, फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में भारत को कच्चा तेल खरीदने पर 119.2 बिलियन डॉलर खर्च करने पड़े थे। इससे पहले 2020-21 में भारत का कच्चा तेल आयात बिल 62.2 बिलियन डॉलर रहा था।