Starlink Satellite: अमेरिका में बहुप्रतिष्ठित तकनीकी उद्यमी एलन मस्क ने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के लिए खुलकर समर्थन किया। मस्क ने न केवल ट्रंप का समर्थन किया बल्कि उनकी जीत को संभव बनाने के लिए भारी मात्रा में डोनेशन भी दिया। इस समर्थन के बाद, मस्क को ट्रंप की जीत से खासा सुकून मिला। लेकिन इसके तुरंत बाद उनके लिए एक और बड़ी खुशखबरी भारत से आई है। मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट कंपनी,
स्टारलिंक, भारत में अपनी सेवाएं विस्तार करने की योजना बना रही है, और भारत सरकार के ताजा फैसले से उनके लिए यह रास्ता अब थोड़ा आसान हो गया है।
स्पेक्ट्रम का आवंटन: नीलामी नहीं, सीधा आवंटन
हाल ही में भारत के संचार मंत्री
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन पर महत्वपूर्ण निर्णय की घोषणा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम की नीलामी नहीं की जाएगी, बल्कि इसका प्रशासनिक आवंटन किया जाएगा। यह निर्णय भारत की प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों,
रिलायंस जियो और
एयरटेल के अनुरूप है, जो स्पेक्ट्रम आवंटन के पक्ष में रही हैं।सिंधिया ने आगे बताया कि स्पेक्ट्रम मुफ्त में नहीं दिया जाएगा।
टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) इसके लिए उचित मूल्य तय करेगा, ताकि इसमें पारदर्शिता बनी रहे। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि भारत सरकार का यह कदम सिर्फ स्टारलिंक ही नहीं, बल्कि देश की अन्य टेलीकॉम कंपनियों के हितों को भी ध्यान में रखता है।
अंतरराष्ट्रीय नीतियों का पालन
सिंधिया ने इस मौके पर यह भी कहा कि भारत
इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (ITU) के सिद्धांतों का पालन करेगा, जो सैटेलाइट और स्पेस से जुड़े स्पेक्ट्रम के आवंटन के मामले में स्पष्ट नीति बनाती है। उन्होंने कहा कि विश्वभर में अधिकतर देश सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीलामी नहीं करते, बल्कि इसका सीधा आवंटन ही करते हैं। आईटीयू के सिद्धांतों के मुताबिक, स्पेक्ट्रम का असाइनमेंट उन कंपनियों को सीधे किया जाता है जो इसके लिए पात्र होती हैं।
जियो और एयरटेल की माँग
रिलायंस जियो और
भारती एयरटेल जैसे प्रमुख टेलीकॉम ऑपरेटर्स इस मुद्दे पर लंबे समय से विचार कर रहे हैं। दोनों ही कंपनियों का मानना है कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम के लिए नीलामी करने की आवश्यकता है ताकि टेलीकॉम ऑपरेटर्स को भी समान अवसर मिल सकें। एयरटेल के मालिक सुनील मित्तल और जियो के मुकेश अंबानी ने कई बार इस मुद्दे को उठाया है, ताकि पुराने ऑपरेटर्स भी प्रतिस्पर्धा में अपनी हिस्सेदारी बना सकें।उनका मानना है कि नीलामी के बिना सैटेलाइट कंपनियों को सीधा आवंटन, टेरेस्ट्रियल वायरलेस नेटवर्क का उपयोग करने वाले ऑपरेटरों के साथ असमान प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे सकता है। हालांकि, सरकार के फैसले से अब यह संकेत मिल रहे हैं कि भारत सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के क्षेत्र में नई संभावनाओं का स्वागत करने के लिए तैयार है।
भारत में प्रवेश के लिए तत्पर स्टारलिंक
एलन मस्क की स्टारलिंक भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने के लिए तैयार है। अमेरिका में मस्क की कंपनी ने पहले ही स्टारलिंक के माध्यम से कई देशों में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा का विस्तार किया है और अब वह भारत जैसे बड़े और तेजी से बढ़ते इंटरनेट मार्केट में प्रवेश करने के लिए उत्सुक हैं।हालांकि, जियो और एयरटेल जैसे बड़े टेलीकॉम ऑपरेटर्स भी इस क्षेत्र में निवेश करने की योजना बना रहे हैं, जिससे मस्क की स्टारलिंक के सामने प्रतिस्पर्धा होगी। लेकिन सरकार के इस निर्णय से यह निश्चित है कि भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के क्षेत्र में नए अवसर तेजी से खुलेंगे।
निष्कर्ष
भारत सरकार के इस फैसले से एलन मस्क की स्टारलिंक और अन्य कंपनियों के लिए भारत में व्यापार की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। मस्क के लिए यह निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है, क्योंकि इससे उनकी कंपनी स्टारलिंक को भारत में अपनी सेवाएं स्थापित करने का मौका मिलेगा।