Starlink internet / मस्क की स्टारलिंक का रास्ता साफ! सरकार ने सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए बनाया नया प्लान

भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस जल्द शुरू होगी। अगले साल की शुरुआत में मोबाइल यूजर्स को सैटेलाइट इंटरनेट मिलेगा। दूरसंचार विभाग और TRAI ने लाइसेंस आवंटन के नियमों में बदलाव की योजना बनाई है, जिससे एयरटेल, जियो, और स्टारलिंक जैसी कंपनियों को राहत मिल सकती है।

Vikrant Shekhawat : Dec 06, 2024, 10:40 PM
Starlink internet: भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा का सपना जल्द ही हकीकत बनने वाला है। देश के करोड़ों मोबाइल उपयोगकर्ताओं को अगले साल की शुरुआत में सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवा का लाभ मिल सकता है। यह पहल खासतौर पर उन क्षेत्रों के लिए फायदेमंद होगी जहां अब तक ब्रॉडबैंड सेवाएं पहुंचने में मुश्किलें रही हैं।

दूरसंचार विभाग और ट्राई (TRAI) इस सेवा को सुचारू रूप से लागू करने के लिए लगातार योजना बना रहे हैं। साथ ही, सैटेलाइट लाइसेंस के नियमों में संभावित बदलाव और स्पेक्ट्रम अलोकेशन से संबंधित नई नीतियां भी तैयार की जा रही हैं।

सैटेलाइट ब्रॉडबैंड: एक डिजिटल क्रांति

सैटेलाइट इंटरनेट सेवा के तहत देश के सुदूर और ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। यह सेवा जमीन पर स्थापित टावरों की बजाय सैटेलाइट्स के जरिए इंटरनेट कनेक्शन प्रदान करेगी, जिससे कनेक्टिविटी के मौजूदा सीमित दायरे को काफी हद तक बढ़ाया जा सकेगा।

कंपनियां और प्रतिस्पर्धा

भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने की रेस में कई बड़ी कंपनियां शामिल हैं:

  • Airtel की OneWeb: जो सैटेलाइट नेटवर्क के जरिए वैश्विक कनेक्टिविटी प्रदान करने की योजना बना रही है।
  • Jio की SES: एक संयुक्त उद्यम जो सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाओं पर काम कर रही है।
  • Amazon की Kuiper: जो सैटेलाइट इंटरनेट के माध्यम से अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।
  • एलन मस्क की Starlink: जिसकी तकनीक पहले से ही कई देशों में लोकप्रिय है और भारत में तेजी से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की तैयारी में है।

स्पेक्ट्रम अलोकेशन और लाइसेंस नियमों में राहत

दूरसंचार विभाग ने सैटेलाइट इंटरनेट सेवा को आसान बनाने के लिए स्पेक्ट्रम अलोकेशन के नियमों में बदलाव का प्रस्ताव दिया है।

  • कंप्लायेंस में राहत: नियमों में बदलाव से कंपनियों के लिए रिमोट मैनेजमेंट और फिक्स्ड सैटेलाइट टर्मिनल स्थापित करना आसान हो जाएगा।
  • एडमिनिस्ट्रेटिव अलोकेशन: रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार स्पेक्ट्रम का आवंटन एडमिनिस्ट्रेटिव तरीके से करेगी, न कि नीलामी के जरिए। यह कदम सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं की तेज शुरुआत सुनिश्चित कर सकता है।

कंपनियों से मांगे गए सुझाव

सरकार ने सैटेलाइट इंटरनेट सेवा से जुड़े प्रस्तावों पर कंपनियों से इनपुट मांगा है।

  • Starlink: नियमों में बदलाव को लेकर सकारात्मक है और जल्द ही अपने सुझाव देने की बात कही है।
  • Amazon: ने इनपुट देने के लिए जनवरी तक का समय मांगा है।
  • Airtel और अन्य: Airtel ने सरकार से चर्चा की है, जबकि अन्य कंपनियां भी समय मांग रही हैं।

शीतकालीन सत्र में मिली जानकारी

लोकसभा के शीतकालीन सत्र में सरकार ने सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम अलोकेशन की प्रक्रिया तेज करने की बात कही। ट्राई 15 दिसंबर तक स्पेक्ट्रम अलोकेशन की शर्तों को अंतिम रूप देने वाला है।

भारत के लिए संभावनाएं और चुनौतियां

सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा से भारत की डिजिटल संरचना को नई ऊंचाइयां मिलेंगी। ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड की उपलब्धता से शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यापार में सुधार होगा।

हालांकि, स्पेक्ट्रम अलोकेशन प्रक्रिया और लाइसेंसिंग में सुधार के बावजूद कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा और तकनीकी चुनौतियां इस सेवा को लागू करने में देरी का कारण बन सकती हैं।

निष्कर्ष

भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा की शुरुआत डिजिटल इंडिया अभियान को नया आयाम देगी। यह सेवा न केवल दूरदराज के क्षेत्रों को इंटरनेट से जोड़ेगी, बल्कि देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगी। अगर सरकार और कंपनियां मिलकर इसे समय पर लागू करती हैं, तो 2024 भारत के लिए सैटेलाइट इंटरनेट का साल बन सकता है।