Zee News : Jun 20, 2020, 09:21 AM
नई दिल्ली: चीन के साथ बढ़ते सीमा विवाद के बीच भारत ने रूस से 30 से अधिक लड़ाकू विमान खरीदने के योजना बनाई है। रूस भी जल्द से जल्द इन विमानों की आपूर्ति के लिए तैयार हो गया है। इसमें 12 सुखाई (Sukhoi Su-30MKIs) और 21 मिग (MiG-29s) विमान शामिल हैं। इन विमानों के भारतीय बेड़े में शामिल हो जाने के बाद वायुसेना (IAF) की ताकत और बढ़ जाएगी।
ZEE NEWS के सहयोगी चैनल WION के मुताबिक, रूस नए विमानों की जल्द आपूर्ति के लिए तैयार हो गया है। वह पहले से ही मिग -29 के आधुनिकीकरण कार्यक्रम में भारतीय वायुसेना की मदद कर रहा है। IAF को 1985 में अपना पहला मिग -29 मिला था और आधुनिकीकरण के बाद मिग -29 की लड़ाकू क्षमता में बढ़ोतरी हो जाएगी। आधुनिकीकरण के बाद मिग-29 एक तरह से चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में शुमार हो जाएगा। यह रूस के साथ-साथ विदेशी हथियारों को ले जाने में सक्षम होगा। बेहद तेज गति के बीच भी यह एरियल टारगेट को ट्रैक कर पाएगा। इतना ही नहीं विमान heat-contrasting air objects को ट्रैक करके उन पर छिपकर हमला करने में भी सक्षम होगा, वो भी रडार के इस्तेमाल के बिना। आधुनिक सामग्री और तकनीक के चलते मिग-29 का जीवनकाल भी बढ़ जाएगा। सुखोई की बात करें तो वायुसेना ने जनवरी 2020 में सुपरसोनिक ब्रह्मोस-ए क्रूज मिसाइल से लैस Su-30MKI के अपने पहले स्क्वाड्रन को तंजावुर वायु सेना स्टेशन पर तैनात किया है। सुखोई जेट के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह भारतीय वायुसेना का एकमात्र लड़ाकू विमान है जो ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों को लॉन्च करने में सक्षम है। IAF को Su-30MKI प्रदान करने के पहले अनुबंध पर 30 नवंबर 1996 को हस्ताक्षर हुए थे। इसके बाद 32 अन्य विमानों पर बात हुई, जो 2002-2004 में निर्मित किए गए। सुखाई विमान जल्द ही भारतीय वायुसेना के बेड़े के प्रमुख अंग बन गए। विमान के प्रदर्शन से संतुष्ट होने के बाद भारतीय रक्षा मंत्रालय ने नए विमानों का ऑर्डर दिया। दिसंबर 2000 में, दोनों पक्षों ने भारत के HAL में Su-30MKI के लाइसेंस प्राप्त उत्पादन के एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। 2012 में Su-30MKI की तकनीकी किट के लिए एक और अनुबंध किया गया। वास्तव में Su-30MKI प्रोजेक्ट किसी विदेशी देश के साथ भारत के सैन्य सहयोग के इतिहास का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट बना गया है और इसने अन्य देशों के लिए Su-30MK परिवार के विमानों की बिक्री में भी योगदान दिया है। इसके अलावा, इस प्रोजेक्ट ने सीधे तौर पर Su-30SM फाइटर जेट के विकास को भी प्रभावित किया है।
ZEE NEWS के सहयोगी चैनल WION के मुताबिक, रूस नए विमानों की जल्द आपूर्ति के लिए तैयार हो गया है। वह पहले से ही मिग -29 के आधुनिकीकरण कार्यक्रम में भारतीय वायुसेना की मदद कर रहा है। IAF को 1985 में अपना पहला मिग -29 मिला था और आधुनिकीकरण के बाद मिग -29 की लड़ाकू क्षमता में बढ़ोतरी हो जाएगी। आधुनिकीकरण के बाद मिग-29 एक तरह से चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में शुमार हो जाएगा। यह रूस के साथ-साथ विदेशी हथियारों को ले जाने में सक्षम होगा। बेहद तेज गति के बीच भी यह एरियल टारगेट को ट्रैक कर पाएगा। इतना ही नहीं विमान heat-contrasting air objects को ट्रैक करके उन पर छिपकर हमला करने में भी सक्षम होगा, वो भी रडार के इस्तेमाल के बिना। आधुनिक सामग्री और तकनीक के चलते मिग-29 का जीवनकाल भी बढ़ जाएगा। सुखोई की बात करें तो वायुसेना ने जनवरी 2020 में सुपरसोनिक ब्रह्मोस-ए क्रूज मिसाइल से लैस Su-30MKI के अपने पहले स्क्वाड्रन को तंजावुर वायु सेना स्टेशन पर तैनात किया है। सुखोई जेट के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह भारतीय वायुसेना का एकमात्र लड़ाकू विमान है जो ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों को लॉन्च करने में सक्षम है। IAF को Su-30MKI प्रदान करने के पहले अनुबंध पर 30 नवंबर 1996 को हस्ताक्षर हुए थे। इसके बाद 32 अन्य विमानों पर बात हुई, जो 2002-2004 में निर्मित किए गए। सुखाई विमान जल्द ही भारतीय वायुसेना के बेड़े के प्रमुख अंग बन गए। विमान के प्रदर्शन से संतुष्ट होने के बाद भारतीय रक्षा मंत्रालय ने नए विमानों का ऑर्डर दिया। दिसंबर 2000 में, दोनों पक्षों ने भारत के HAL में Su-30MKI के लाइसेंस प्राप्त उत्पादन के एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। 2012 में Su-30MKI की तकनीकी किट के लिए एक और अनुबंध किया गया। वास्तव में Su-30MKI प्रोजेक्ट किसी विदेशी देश के साथ भारत के सैन्य सहयोग के इतिहास का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट बना गया है और इसने अन्य देशों के लिए Su-30MK परिवार के विमानों की बिक्री में भी योगदान दिया है। इसके अलावा, इस प्रोजेक्ट ने सीधे तौर पर Su-30SM फाइटर जेट के विकास को भी प्रभावित किया है।