नई दिल्ली / तीन तलाक पर बोले अमित शाह, करोड़ों महिलाओं को मिला हक, वोट बैंक की राजनीति ने रोक रखा था

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में तीन तलाक पर एक कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा, 'कुछ राजनीतिक पार्टियों को वोट बैंक की आदत पड़ गई थी। तुष्टिकरण की राजनीति के चलते तीन तलाक इतने साल तक चलता रहा। कुछ पार्टियों को वोट बैंक की चिंता थी, वोट बैंक के लिए इसका विरोध हुआ। तीन तलाक बिल पास होने से करोड़ों महिलाओं को उनका हक मिला।

Live Hindustan : Aug 18, 2019, 07:04 PM
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में तीन तलाक पर एक कार्यक्रम को संबोधित किया। तीन तलाक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, 'कुछ राजनीतिक पार्टियों को वोट बैंक की आदत पड़ गई थी। तुष्टिकरण की राजनीति के चलते तीन तलाक इतने साल तक चलता रहा। जब हम पूरे समाज की परिकल्पना लेकर चलते हैं तो हमें संवेदनाओं के बारे में सोचना पड़ता है।’ तीन तलाक बिल पर संसद की मंजूरी मिलने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अब जाकर मुस्लिम महिलाओं को उनका हक मिला। दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब में तीन तलाक पर अमित शाह ने संबोधन में कहा कि कुछ पार्टियों को वोट बैंक की चिंता थी, वोट बैंक के लिए इसका विरोध हुआ। तीन तलाक बिल पास होने से करोड़ों महिलाओं को उनका हक मिला। 

अमित शाह ने कहा कि तीन तलाक पर कई बार कई फोरम पर मेरा बोलना हुआ है। मगर आज तीन तलाक पर बोलते हुए मुझे बहुत अच्छा लग रहा है क्योंकि यह पारित हो चुका है। यह सर्वविदित है कि तीन तलाक प्रथा करोड़ों मुस्लिम महिलाओं के लिए एक दुस्वप्न जैसी थी। उनको अपने अधिकारों से वंचित रखने की प्रथा थी। जो तीन तलाक के पक्ष में खड़े हैं और जो इसके विरोध में खड़े हैं, उन दोनों के ही मन में इसको लेकर कोई संशय नहीं है कि तीन तलाक एक कुप्रथा है। 

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कोई भी कुप्रथा हो, जब उसे निर्मूल किया जाता है तो उसका विरोध नहीं होता बल्कि उसका स्वागत होता है लेकिन तीन तलाक कुप्रथा को हटाने के खिलाफ इतना विरोध हुआ। इसके लिए तुष्टिकरण की राजनीति, उसका भाव जिम्मेदार है। वोटबैंक के आधार पर सालोंसाल सत्ता में आने की आदत कुछ राजनीतिक पार्टियों को पड़ गई। इसी वजह से ऐसी कुप्रथाएं इस देश में चलती रहीं। 

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस देश के विकास और सामाजित समरसता के आड़े भी तुष्टिकरण की राजनीति आई है। इसके पक्ष में बात करने वाले कई तरह के तर्क देते हैं। उसके मूल में वोटबैंक की राजनीति और शॉर्टकट लेकर सत्ता हासिल करने की पॉलिटिक्स है। जब आप समाज के विकास की परिकल्पना लेकर जाते हैं तो उसके लिए मेहनत करनी पड़ती है, प्लानिंग करनी पड़ती है। इसके लिए आपके मन में संवेदना चाहिए, वोटों का लालच नहीं।