Mallikarjun Kharge: कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने गृह मंत्री अमित शाह के हालिया बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। खरगे ने इसे निंदनीय बताते हुए कहा कि यह बयान न केवल संविधान का अपमान है बल्कि भारतीय समाज के एकता और समावेशिता के मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और उनके नेता संविधान की मूल भावना को समझने और मानने में असफल रहे हैं।
अमित शाह के बयान पर खरगे की आलोचना
खरगे ने कहा कि गृह मंत्री ने जिस प्रकार का बयान दिया, वह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। उनका आरोप था कि अमित शाह ने स्वर्ग और नर्क की बात करके संविधान की जगह मनुस्मृति के विचारों को बढ़ावा देने की कोशिश की है। उन्होंने इसे बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर और अन्य दलित नायकों का अपमान करार दिया।खरगे ने कहा, "यह मानसिकता भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में साफ झलकती है। ये लोग संविधान को नहीं मानते हैं। वे मनुस्मृति के अनुयायी हैं, जिसमें समाज को विभाजित करने की बातें हैं।" उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नेता गांधी, नेहरू और अंबेडकर जैसे महान नेताओं की विचारधारा के खिलाफ बयानबाजी करते रहते हैं।
संविधान और युवा पीढ़ी का संदर्भ
खरगे ने संविधान पर बहस के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी, जो आज़ादी के बाद पैदा हुई है, संविधान निर्माण की प्रक्रिया और उसके महत्व से अनभिज्ञ है। संविधान सभा में हुई बहसों और विचार-विमर्श के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए देशव्यापी चर्चा और मंथन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह पहल भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए आवश्यक है।
प्रधानमंत्री पर सवाल
खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "मोदी जी ने अमित शाह के बयान का बचाव करने के लिए छह ट्वीट किए। यह दर्शाता है कि वे भी इस मानसिकता का समर्थन करते हैं।" खरगे ने पूछा कि अगर प्रधानमंत्री अंबेडकर के प्रति सच्ची श्रद्धा रखते हैं, तो वे ऐसे मंत्री को कैबिनेट में क्यों बनाए हुए हैं जो बाबा साहेब का अपमान करते हैं।
अमित शाह का इस्तीफा मांगा
कांग्रेस अध्यक्ष ने अमित शाह से इस्तीफे की मांग की। उन्होंने कहा कि जो लोग अंबेडकर का अपमान करते हैं, उन्हें सरकार में रहने का कोई अधिकार नहीं है। खरगे ने प्रधानमंत्री से अपील की कि वे अमित शाह को बर्खास्त करें और अंबेडकर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता साबित करें।
खरगे का संदेश
खरगे ने कहा कि भाजपा का यह रवैया देश की एकता और संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। उन्होंने विपक्ष और जनता से अपील की कि वे संविधान और देश के संस्थापकों के सम्मान की रक्षा के लिए एकजुट हों।खरगे के इस बयान से सियासी हलकों में गर्मागर्मी बढ़ गई है। आगामी दिनों में इस मुद्दे पर और तीखी बहस देखने को मिल सकती है।