देश / अब ये कैसी मुसीबत? नहीं हुआ कोरोना,फिर भी 32 लोगों में मिला ब्लैक फंगस

भारत के लिए बड़ी तबाही बने कोरोना वायरस के कहर से निकलने के बाद कई मरीज म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस की चपेट में आ रहे हैं। कोरोना मरीजों के लिए ये नई बीमारी बड़ा सिरदर्द बन गई है। लेकिन हाल में उससे भी अधिक डराने वाली खबर सामने आई है। दरअसल पंजाब में अब तक ब्लैक फंगस के 158 से ज्यादा मरीज सामने आ चुके हैं। लेकिन इनमें से 32 मरीज ऐसे हैं जिन्हें कभी भी कोरोना का संक्रमण नहीं हुआ था।

Vikrant Shekhawat : May 27, 2021, 09:50 AM
नई दिल्ली | भारत के लिए बड़ी तबाही बने कोरोना वायरस के कहर से निकलने के बाद कई मरीज म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस की चपेट में आ रहे हैं। कोरोना मरीजों के लिए ये नई बीमारी बड़ा सिरदर्द बन गई है। लेकिन हाल में उससे भी अधिक डराने वाली खबर सामने आई है। दरअसल पंजाब में अब तक ब्लैक फंगस के 158 से ज्यादा मरीज सामने आ चुके हैं। लेकिन इनमें से 32 मरीज ऐसे हैं जिन्हें कभी भी कोरोना का संक्रमण नहीं हुआ था। इस बात से आम लोगों की चिंता बढ़ गई है।

नहीं हुआ कोरोना फिर भी ब्लैक फंगस ने घेरा

अब तक तो यही माना जा रहा था कि जिन लोगों को कोरोना हुआ था उन्हें इलाज के दौरान स्टेरॉयड दिए गए, जिस वजह से उन्में ब्लैक फंगस का संक्रमण फैला। लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि ये 32 मरीज ऐसे हैं जिन्हें दूसरी बीमारियों के इलाज के दौरान स्टेरॉयड दिए गए थे। इसलिए ऐसा नहीं है कि कोरोना से ठीक होने वालों में ही ब्लैक फंगस का संक्रमण बढ़ने का खतरा है।

 छूने से नहीं फैलता ब्लैक फंगस 

इंडिया टुडे की खबर के अनुसार ब्लैक फंगस के लिए पंजाब में नोडल अधिकारी बनाए गए डॉ. गगनदीप सिंह कहते हैं कि जिस भी व्यक्ति की इम्युनिटी कमजोर है, उसे ये बीमारी होने का खतरा है। वो बताते हैं, "ब्लैक फंगस छूने से नहीं फैलता है और अगर समय पर इसकी पहचान कर ली जाए तो इसका इलाज संभव है। कोई भी व्यक्ति जिसे किसी बीमारी के इलाज के दौरान ज्यादा स्टेरॉयड दिए गए हैं, वो ब्लैक फंगस का शिकार बन सकता है।" बता दें कि पंजाब में 19 मई को एपिडेमिक डिसीज एक्ट के तहत म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया था 

क्या होता है ब्लैक फंगस?

म्यूकोरमाइकोसिस एक तरह का काफी दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है जो शरीर में बहुत तेजी से फैलता है। इसे ब्लैक फंगस भी कहा जाता है। म्यूकोरमाइकोसिस इंफेक्शन दिमाग, फेफड़े या फिर स्किन पर भी हो सकता है। इस बीमारी में कई के आंखों की रौशनी चली जाती है वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है। अगर समय रहते इसे कंट्रोल न किया गया तो इससे मरीज की मौत भी हो सकती है। यह मुख्य रूप से उन लोगों को प्रभावित करता है जो स्वास्थ्य समस्याओं के लिए दवा पर हैं जो पर्यावरणीय रोगजनकों से लड़ने की उनकी क्षमता को कम करता है।

अधिक खतरे में डायबिटीज के मरीज

आम तौर पर जिन लोगों में इम्यूनिटी बहुत कम होती है, म्यूकोरमाइकोसिस उन लोगों को तेजी से अपना शिकार बनाती है। कोरोना के दौरान या फिर ठीक हो चुके मरीजों का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर होता है इसलिए वो आसानी से इसकी चपेट में आ जा रहे हैं। खासतौर से कोरोना के जिन मरीजों को डायबिटीज है, शुगर लेवल बढ़ जाने पर उनमें म्यूकोरमाइकोसिस खतरनाक रूप ले सकता है।