NavBharat Times : Aug 06, 2020, 04:06 PM
नई दिल्ली: Google ने चीन से जुड़े करीब 2,500 से ज्यादा यूट्यूब चैनल डिलीट कर दिए हैं। टेक दिग्गज का कहना है कि इन चैनल्स को भ्रामक जानकारी फैलाने के चलते विडिय शेयरिंग प्लैटफॉर्म से हटाया गया है। एल्फाबेट के मालिकाना हक वाली कंपनी गूगल ने बताया कि इन यूट्यूब चैनल को अप्रैल और जून के बीच यूट्यूब से हटाया गया। ऐसा चीन से जुड़े इन्फ्लुएंस ऑपरेशंस के लिए चल रही हमारी जांच के तहत किया गया।
यूट्यूब ने बताया कि इन चैनल्स पर आमतौर पर स्पैमी, नॉन-पॉलिटिकल कॉन्टेंट पोस्ट किया जा रहा था। लेकिन इनमें पॉलिटिक्स से जुड़ी कुछ बातें भी थीं। गूगल ने अपने भ्रामक जानकारी के लिए चलने वाले ऑपरेशन के तिमाही बुलेटन में यह जानकारी दी।गूगल ने हालांकि इन चैनलों के नाम का खुलासा नहीं किया लेकिन कुछ दूसरी जानकारियां दी। कंपनी ने बताया कि ट्विटर पर भी ऐसी ही ऐक्टिविटी वाले विडियो के लिंक देखे गए। सोशल मीडिया ऐनालिटिक्स कंपनी Graphika ने अप्रैल में डिसइन्फर्मेशन कैंपेन में इनकी पहचान की।अमेरिका में चीनी दूतावास ने इस बारे में अभी कोई टिप्पणी नहीं की है। इससे पहले चीन भ्रामक और गलत जानकारी फैलाने से जुड़े सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर चुका है।बता दें कि गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियां लगातार भ्रामक जानकारी और फेक न्यूज पर अपडेट देकर बता रहे हैं कि वे कैसे ऑनलाइन प्रोपैगेंडा से लड़ रहे हैं। 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ऑनलाइन प्रोपैगेंडा को दोहराने से बचने के लिए पिछले 4 सालों में कई प्रयास किए गए हैं। गूगल ने अपने बुलेटिन में इरान और रूस से जुड़ी ऐक्टिविटी का भी जिक्र किया।गौर करने वाली बात है कि हाल ही में भारत ने भी चीन के कई ऐप्स को बैन किया है। इसके अलावा कई दूसरे चीनी ऐप्स पर कड़ी नजर रखी जा रही है। चीनी शॉर्ट विडियो प्लैटफॉर्म टिकटॉक को भी चीन में बैन कर दिया गया है।
यूट्यूब ने बताया कि इन चैनल्स पर आमतौर पर स्पैमी, नॉन-पॉलिटिकल कॉन्टेंट पोस्ट किया जा रहा था। लेकिन इनमें पॉलिटिक्स से जुड़ी कुछ बातें भी थीं। गूगल ने अपने भ्रामक जानकारी के लिए चलने वाले ऑपरेशन के तिमाही बुलेटन में यह जानकारी दी।गूगल ने हालांकि इन चैनलों के नाम का खुलासा नहीं किया लेकिन कुछ दूसरी जानकारियां दी। कंपनी ने बताया कि ट्विटर पर भी ऐसी ही ऐक्टिविटी वाले विडियो के लिंक देखे गए। सोशल मीडिया ऐनालिटिक्स कंपनी Graphika ने अप्रैल में डिसइन्फर्मेशन कैंपेन में इनकी पहचान की।अमेरिका में चीनी दूतावास ने इस बारे में अभी कोई टिप्पणी नहीं की है। इससे पहले चीन भ्रामक और गलत जानकारी फैलाने से जुड़े सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर चुका है।बता दें कि गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियां लगातार भ्रामक जानकारी और फेक न्यूज पर अपडेट देकर बता रहे हैं कि वे कैसे ऑनलाइन प्रोपैगेंडा से लड़ रहे हैं। 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ऑनलाइन प्रोपैगेंडा को दोहराने से बचने के लिए पिछले 4 सालों में कई प्रयास किए गए हैं। गूगल ने अपने बुलेटिन में इरान और रूस से जुड़ी ऐक्टिविटी का भी जिक्र किया।गौर करने वाली बात है कि हाल ही में भारत ने भी चीन के कई ऐप्स को बैन किया है। इसके अलावा कई दूसरे चीनी ऐप्स पर कड़ी नजर रखी जा रही है। चीनी शॉर्ट विडियो प्लैटफॉर्म टिकटॉक को भी चीन में बैन कर दिया गया है।