Vikrant Shekhawat : Mar 22, 2022, 10:35 AM
भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहीं और अवैध रूप से देश के बाहर ले जाई गईं 29 पुरातात्विक वस्तुएं ऑस्ट्रेलिया ने लौटा दी हैं। इनमें 9वीं शताब्दी की दंडपाणि (शैव भैरव), 10वीं शताब्दी की लक्ष्मी-नारायण और 12वीं शताब्दी की बाल संत संबंदार की प्रतिमाओं सहित कई कलाकृतियां, चित्र और सजावटी वस्तुएं शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन का सोमवार को हुई ऑनलाइन बैठक में धरोहर वापसी के लिए विशेष धन्यवाद दिया।पीएम मोदी ने कहा, यह कलाकृतियां राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों से अवैध तरीके से देश के बाहर भेजी गई थीं। ऑस्ट्रेलिया के इस कदम के लिए सभी भारतवासियों की ओर से पीएम ने मॉरिस का आभार जताया। साथ ही बताया, सभी कलाकृतियों को उचित जगह पर पहुंचाकर प्रदर्शित किया।2014 से अब तक 228 कलाकृतियां हुईं वापस, उसके पहले 13 ही लौटी थीं : भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसे ‘संस्कृति का पुनर्निर्माण’ बताया। कहा, 2014 से अब तक 228 कलाकृतियां भारत वापस लाई गई हैं। इससे पहले 1976 से 2013 तक 13 ही कलाकृतियां भारत वापस लाई जा सकी थीं।6 वर्गों की कलाकृतियांलौटाई गई कलाकृतियां 6 वर्गों में हैं। इनमें शिव व भक्तगण, शक्ति, भगवान विष्णु, उनके अवतार, जैन परंपरा, पोट्रेट व सजावटी वस्तुएं शामिल हैं। यह बलुआ पत्थर, संगमरमर, कांसे, पीतल, कागज से निर्मित हैं। पीएम द्वारा उल्लेखित राज्यों के अलावा यह उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और मध्य प्रदेश से ताल्लुक रखती हैं।ये कलाकृतियां विशेष1. शिव भैरव : 9वीं-10वीं शताब्दी की राजस्थान की इस प्रतिमा में दंडपाणि कहे जाने वाले भैरव अपने हाथों में त्रिशूल, डमरू, कपाल और सर्प लिए हुए हैं। शैव परंपरा में उन्हें शिव का प्रचंड प्रतिरूप माना जाता है।2. नृत्यरत संबंदार : तमिलनाडु की 14वीं सदी की यह प्रतिमा पीतल की बनी है। इसमें सातवीं सदी के बाल संत संबंदार नृत्यरत दर्शाए गए हैं। 16 वर्ष की आयु तक ही जीवित रहे इन संत को शिव स्तुति में 16,000 पद्य रचने वाला माना जाता है। उनकी कुल तीन प्रतिमाएं भारत लौटी हैं।3. शक्ति : 12वीं से 13वीं शताब्दी की यह गुजरात की प्रतिमा है। इसमें देवी शक्ति को महिषासुरमर्दिनी दुर्गा रूप में दर्शाया गया है। चेहरे पर आक्रामकता दर्शाते हुए उनकी जिव्हा बाहर है और उन्होंने महिषासुर को बालों से पकड़ा हुआ है।4. लक्ष्मी-नारायण : 10वी से 11वीं शताब्दी की प्रतिमा यूपी या राजस्थान की होने का अनुमान है। इसमें दैवीय लक्ष्मी व नारायण के दोनों ओर खड़े होकर ब्रह्मा व शिव उन्हें सम्मानित कर रहे हैं।