Vikrant Shekhawat : Apr 07, 2022, 12:12 PM
जाखो राखे साइयां, मार सकै न कोय। ये पंक्ति दिल्ली के एक नवजात शिशु की कहानी बयां कर रही है जो 80 दिन तक वेंटिलेटर पर रहते हुए अपनी जिंदगी के लिए लड़ता रहा।शिशु का भार महज 704 ग्राम था। जन्म लेते ही शिशु को कार्डिएक अरेस्ट आ गया। उसके कुछ समय बाद शिशु को ब्रेन हेमरेज तक हो गया। इसके बाद शिशु संक्रमण की चपेट में भी आया। उपचार के बाद उसे स्वस्थ घोषित किया गया।जानकारी के अनुसार दिल्ली के वसंतकुंज स्थित फोर्टिस अस्पताल में आईवीएफ के जरिए दो शिशु का जन्म हुआ थआ जिनमें से एक की मौत हुो गई। जबकि दूसरे शिशु में अलग अलग कई बीमारियों की पहचान हुई।महज 704 ग्राम वजन वाले इस शिशु के बारे में अस्पताल के वरिष्ठ डॉ. राहुल नागपाल ने बताया कि 115 दिन तक गहन उपचार के बाद शिशु को स्वस्थ घोषित किया गया। डॉ. नागपाल के अनुसार चिकित्सीय क्षेत्र में ऐसे बहुत कम मामले देखने को मिलते हैं जो एक लंबी लड़ाई के बाद सफलता हासिल कर वापस लौटते हैं। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के दौरान मां को कुछ परेशानियों के चलते समय से पहले प्रसूति करानी पड़ी। सामान्य तौर पर 25 सप्ताह गर्भधारण की प्रसूति कराने में काफी चुनौतियां रहती हैं।ऐसे मामलों में तात्कालिक मृत्यु दर 50 फीसदी होती है। चूंकि दूसरा कोई विकल्प भी नहीं था इसलिए डॉक्टरों ने पूरी योजना को तैयार कर जब डिलीवरी कराई तो जुड़वां शिशु का जन्म हुआ लेकिन इनमें से एक मृत था।