Vikrant Shekhawat : Oct 02, 2024, 03:40 PM
Israel-Iran War: ईरान और इजराइल के बीच का तनाव हाल के दिनों में तीव्र हो गया है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। हाल ही में, हमास के प्रमुख इस्माइल हानिया और हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद, ईरान ने इजराइल पर 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागकर अपनी स्थिति स्पष्ट की। इस संघर्ष में भारत के लिए चिंताएं बढ़ती जा रही हैं, क्योंकि दोनों देशों के साथ भारत के अच्छे संबंध रहे हैं।भारत के साथ संबंधभारत और इजराइल के बीच संबंध पिछले कुछ वर्षों में काफी मजबूत हुए हैं। 1992 में राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद से, द्विपक्षीय व्यापार में तेजी से वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में, इजराइल से भारत का निर्यात 8.45 अरब डॉलर था, जबकि आयात 2.3 अरब डॉलर था। यह दर्शाता है कि इजराइल भारत का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार बन चुका है। इसके अलावा, नरेंद्र मोदी का इजराइल दौरा भी दोनों देशों के बीच संबंधों की मजबूती को दर्शाता है।वहीं, ईरान के साथ भारत के संबंध ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहे हैं, विशेषकर ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में। भारत ने चाबहार बंदरगाह के संचालन का अधिकार हासिल किया है, जो ईरान के साथ उसके संबंधों को और मजबूती देता है। फिर भी, पिछले पांच वर्षों में ईरान के साथ व्यापार में गिरावट देखी गई है।तनाव का प्रभावईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव का सीधा असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ सकता है। भारत अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है, जिसमें प्रमुख सप्लायर सऊदी अरब, कुवैत और ईरान शामिल हैं। अगर संघर्ष बढ़ता है, तो कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है।इसके अलावा, भारत और इजराइल के बीच हथियारों का व्यापार भी अरबों डॉलर में है, जो इस संघर्ष से प्रभावित हो सकता है। यदि ईरान और इजराइल के बीच लड़ाई बढ़ती है, तो भारत को अपनी रक्षा संबंधों को पुनः विचार करने की आवश्यकता पड़ सकती है।भारत की नीतिभारत के लिए इस समय तटस्थता की नीति बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। यदि भारत इजराइल के साथ अपने संबंधों को बनाए रखने का प्रयास करता है, तो ईरान के साथ रिश्ते बिगड़ सकते हैं। दूसरी ओर, अगर भारत ईरान के करीब जाने का प्रयास करता है, तो उसे इजराइल और अमेरिका की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।निष्कर्षईरान और इजराइल के बीच बढ़ता तनाव न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित कर रहा है, बल्कि भारत के लिए भी कई चुनौतियां पैदा कर रहा है। भारत को चाहिए कि वह अपनी विदेश नीति को समझदारी से तय करे, ताकि अपने राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित रख सके। यह समय है सावधानी बरतने और सभी संभावित परिणामों पर विचार करने का, ताकि भारत अपने अच्छे संबंधों को दोनों देशों के साथ बनाए रख सके।