US Presidential Election: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का दिन करीब आ गया है, और कुछ ही घंटों में अमेरिकी जनता अपने अगले राष्ट्रपति का चुनाव करेगी। चुनावी मैदान में इस बार रिपब्लिकन पार्टी के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी की मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के बीच कांटे की टक्कर है। अगर कमला हैरिस इस चुनाव में जीतती हैं, तो वह अमेरिका की पहली महिला और भारतीय-अफ्रीकी मूल की पहली राष्ट्रपति बनेंगी। वहीं, यदि ट्रंप दोबारा जीतते हैं, तो वह अमेरिका के इतिहास में दूसरी बार राष्ट्रपति पद संभालने वाले एक प्रभावशाली नेता बन जाएंगे।
चुनाव का बदलता परिदृश्य
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का यह दौर एक बार फिर इतिहास रचने की कगार पर है। पिछले चुनावों की तुलना में इस बार का परिदृश्य काफी अलग है। साल 2020 के चुनाव में कोविड-19 महामारी सबसे बड़ा मुद्दा थी, जिसने देश की अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य सेवाओं और रोजगार पर गंभीर प्रभाव डाला था। लेकिन इस बार चुनावी मुद्दे बदल चुके हैं। स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, रोजगार, और शिक्षा के साथ-साथ गर्भपात और प्रवास जैसे संवेदनशील मुद्दे चुनावी माहौल को तय कर रहे हैं।
अमेरिकी जनता के मुद्दे
अमेरिकी जनता के चुनावी मुद्दे विविधतापूर्ण हैं। यह देश बाहरी दुनिया के लिए व्हाइट हाउस और न्यूयॉर्क स्काईलाइन का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन अमेरिकी जनता की प्राथमिकताएं रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, और लोन माफी जैसी समस्याओं के इर्द-गिर्द घूमती हैं। वहीं, कुछ महत्वपूर्ण "स्विंग स्टेट्स" हैं जहां की जनता चुनाव परिणाम में निर्णायक भूमिका निभाती है। यहां गर्भपात और प्रवास जैसे मुद्दे अहमियत रखते हैं, जिन पर दोनों उम्मीदवारों का ध्यान केंद्रित है।
उम्मीदवारों की रणनीति
चुनावी अभियान के दौरान डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस दोनों ने एक-दूसरे पर तीखे हमले किए हैं। कमला हैरिस महिलाओं के अधिकारों और गर्भपात के मुद्दे को अपने अभियान का मुख्य हिस्सा बनाकर समर्थन जुटाने का प्रयास कर रही हैं। वहीं, ट्रंप अपने समर्थकों को चेताते हुए कह रहे हैं कि कमला हैरिस की जीत अमेरिका की परंपरागत पहचान के लिए खतरा हो सकती है। उन्होंने प्रवासियों के मुद्दे को अपने पक्ष में भुनाने का प्रयास किया है। ऐसे में चुनावी माहौल काफी तनावपूर्ण और आक्रामक हो चुका है।
वैश्विक प्रभाव
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम का असर न केवल अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा। चाहे कमला हैरिस जीतें या डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका की वैश्विक नीतियों में कोई बड़ा परिवर्तन देखने को नहीं मिलेगा। अमेरिका का पहला उद्देश्य अपने हितों की रक्षा करना है। यदि ट्रंप दोबारा जीतते हैं, तो चीन और ईरान जैसे देशों के साथ उनके टकराव का बढ़ना संभावित है, जबकि हैरिस के सत्ता में आने पर रूस के साथ अमेरिका का संबंध अधिक तनावपूर्ण हो सकता है। यह चुनाव वैश्विक शांति को नया मोड़ दे सकता है, लेकिन संघर्ष के मोर्चे किस दिशा में होंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।
भारत के लिए चुनाव का महत्व
भारत-अमेरिका संबंधों पर भी इन चुनावी परिणामों का गहरा असर पड़ सकता है। हालांकि अमेरिका का हर निर्णय सीधे भारत को प्रभावित नहीं करता, लेकिन दोनों देशों के बीच व्यापारिक और सामरिक साझेदारी को यह चुनावी नतीजे मजबूती देंगे। चाहे ट्रंप जीतें या हैरिस, भारत के साथ सहयोग को स्थिर बनाए रखना एक प्रमुख बिंदु रहेगा, खासकर एशिया में चीन की बढ़ती ताकत के चलते। भारत-अमेरिका संबंधों में इस चुनाव से जो स्थिरता आएगी, वह भारत की विदेशी नीति और सुरक्षा के लिए सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।