Vikrant Shekhawat : Jul 30, 2024, 09:06 PM
UP Vidhan Sabha: लव जिहाद छोड़ दो या राम नाम सत्य के लिए तैयार रहो…ये बोल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के थे. सूबे के मुखिया अपनी इस चेतावनी को हकीकत में बदल रहे हैं. सोमवार को विधानसभा में यूपी विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक पेश किया गया था, जो कि मंगलवार को पास हो गया है. योगी सरकार ने 2017 के विधानसभा चुनाव में ‘लव जिहाद’ को चुनावी मुद्दा बनाया था. इसे रोकने के लिए 2020 में यूपी विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश पास किया था. 2021 में इसे विधानमंडल से पास कराकर विधिवत कानूनी जामा पहनाया गया था. तब इस कानून के तहत अधिकतम 10 साल की सजा और 50 हजार तक जुर्माना था. नए विधेयक में अपराध का दायरा और सजा दोनों ही बढ़ाने का प्रस्ताव है.संशोधित अधिनियम में छल कपट या जबर्दस्ती कराए गए धर्मांतरण के मामलों में कानून को पहले से सख्त बनाते हुए अधिकतम आजीवन कारावास या पांच लाख रुपये के जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है. संशोधित विधेयक में किसी महिला को धोखे से जाल में फंसाकर धर्मांतरण कर अवैध तरीके से विवाह करने और उत्पीड़न के दोषियों को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है. पहले इसमें अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान था.इन अपराध के लिए भी सजाइसमें प्रस्ताव किया गया है कि कोई व्यक्ति धर्मांतरण कराने के इरादे से किसी को अगर धमकी देता है, हमला करता है, विवाह करता या करने का वादा करता है या इसके लिए साजिश रचता है, महिला, नाबालिग या किसी की तस्करी करता है तो उसके अपराध को सबसे गंभीर श्रेणी में रखा जाएगा.संशोधित अधिनियम में ऐसे मामलों में 20 वर्ष कारावास या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है. जब यह विधेयक के रूप में पहली बार पारित करने के बाद कानून बना तब इसके तहत अधिकतम 10 साल की सजा और 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया था.अब कोई भी FIR करा सकेगासंशोधित प्रावधान के तहत यह व्यवस्था दी गई है कि धर्मांतरण मामलों में अब कोई भी व्यक्ति प्राथमिकी दर्ज करा सकेगा. इससे पहले मामले की सूचना या शिकायत देने के लिए पीड़ित व्यक्ति, उसके माता-पिता, भाई-बहन का होना जरूरी था, लेकिन अब दायरा बढ़ा दिया गया है. अब कोई भी इसकी सूचना लिखित तौर पर पुलिस को दे सकता है.संशोधित मसौदे में यह प्रस्ताव किया गया है कि ऐसे मामलों की सुनवाई सत्र अदालत से नीचे नहीं होगी और लोक अभियोजक को मौका दिए बिना जमानत याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा. प्रस्तावित मसौदे के तहत इसमें सभी अपराध गैर-जमानती बना दिए गए हैं.मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कथित ‘लव जिहाद’ पर अंकुश लगाने के इरादे से यह पहल की थी. नवंबर 2020 में इसके लिए अध्यादेश जारी किया गया और बाद में उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों से विधेयक पारित होने के बाद उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021 को कानूनी रूप में मान्यता मिली.विधेयक की खास बात क्या है?
- पहली बार आजीवन कारावास तक की सजा का प्रस्ताव
- जबरन धर्म परिवर्तन कर शादी पर उम्रकैद की सजा
- पहले से परिभाषित अपराधों में सजा दोगुनी की गई
- नए अपराध भी शामिल जिनमें ताउम्र जेल का प्रावधान
- धर्म परिवर्तन के लिए फंडिंग पर भी कसेगा शिकंजा
- विदेशी या अवैध संस्थाओं से हुई फंडिंग पर शिकंजा
- धर्म बदलने की नीयत से जीवन या संपत्ति पर हमला
- बल प्रयोग या शादी का वादा करने की साजिश पर सजा
- आजीवन कारावास के साथ जुर्माना भी भरना होगा
- कोर्ट पीड़ित के इलाज-पुनर्वास के लिए जुर्माना तय करेगी
- महिलाओं की गरिमा का ध्यान
- महिलाओं की सामाजिक स्थिति पर ध्यान
- SC-ST का अवैध धर्मांतरण रोकना