Covid-19 / बाजार में आया गन्ने के वेस्ट से बना फेस मास्क, 30 बार कर सकते हैं इस्तेमाल

कोरोना की वजह से जहां मास्क की मांग बढ़ी है वहीं एक नए तरह का संकट यानी बायोमेडिकल वेस्ट का संकट भी पैदा हो गया है फेंके गए फेस मास्क, ग्लव्स स्वास्थय के लिए एक बहुत बड़ी समस्या बनते जा रही है हालांकि इस समस्या का समाधान भी खोजा जा रहा है दिल्ली की एक कंपनी Effibar ने एक ऐसा बायोमास्क बनाया है जो गन्ने के वेस्ट से बना है, और 30 बार इस्तेमाल के बाद अगर आप इसे जमीन में डाल दें तो ये डिकंपोज हो जाता है

Vikrant Shekhawat : Jul 19, 2020, 09:47 PM

नई दिल्ली. कोरोना (Coronavirus) की वजह से जहां मास्क की मांग बढ़ी है वहीं एक नए तरह का संकट यानी बायोमेडिकल वेस्ट का संकट भी पैदा हो गया है. फेंके गए फेस मास्क (Mask), ग्लव्स स्वास्थय के लिए एक बहुत बड़ी समस्या बनते जा रही है. हालांकि इस समस्या का समाधान भी खोजा जा रहा है. दिल्ली की एक कंपनी Effibar ने एक ऐसा बायोमास्क (Biomask) बनाया है जो गन्ने के वेस्ट से बना है, और 30 बार इस्तेमाल के बाद अगर आप इसे जमीन में डाल दें तो ये डिकंपोज हो जाता है.


Effibar ग्रुप के फाउंडर राजेश भारद्वाज ने कहा कि बायोफेस मास्क एक बायोडिग्रेडेबल मास्क है. इसमें एंटी बैक्टीरिया प्रॉपर्टी भी है. क्योंकि यह पीएलए कम्पाउंड और पॉलिएटिक एसिड से बना है. इसलिए यह बायोडिग्रेडेबल और एंटी बैक्टीरियल मास्क है. उन्होंने कहा, इस मास्क को आप 30 बार धो सकते हैं और इस्तेमाल कर सकते हैं


बायोमास्क के फायदे

इस बायोमास्क का फायदा यह है कि हमें जो रोजाना मास्क बदलने की जरूरत पड़ी है वो अब नहीं करेंगे. वहीं, बायोमास से बनी हुई चीजें हम प्रकृति से ले रहे हैं और प्रकृति को वापस दे रहे हैं. बायोमास से बने मास्क को इस्तेमाल करने के बाद इसे जमीन में डाल देने पर यह डिकंपोज हो जाएगा.


बायोमास्क की टेक्नोलॉजी जापान की टीवीएम कंपनी लिमिटेड की है और Effibar इसके साथ करार किया है. कंपनी लोकलाइजेशन पर फोकस कर रही है. इकोनॉमी बायोमास्क की कीमत 145 से 150 रुपए है जबकि प्रीमियम मास्क की कीमत 450 से 500 रुपए है