JNU हिंसा / हमले से पहले काट दिए थे CCTV के तार, सामने आई JNU की तीन बड़ी लापरवाही

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में रविवार को हुई हिंसा से पहले नकाबपोश लोगों ने परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों के तार काट दिए थे। पुलिस इसकी जांच कर रही है कि कैमरों के तार काटने वाले कौन हैं। हालांकि, जेएनयू प्रशासन ने पुलिस के सामने दावा किया कि परिसर में 3 जनवरी से हंगामा चल रहा था। इसके बाद रविवार को परिसर में नाकाबपाश लोगों ने हमला कर दिया। इसमें 34 छात्र व शिक्षक घायल हो गए।

Live Hindustan : Jan 07, 2020, 07:31 AM
नई दिल्ली | जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में रविवार को हुई हिंसा से पहले नकाबपोश लोगों ने परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों के तार काट दिए थे। पुलिस इसकी जांच कर रही है कि कैमरों के तार काटने वाले कौन हैं। हालांकि, जेएनयू प्रशासन ने पुलिस के सामने दावा किया कि परिसर में 3 जनवरी से हंगामा चल रहा था। शुक्रवार और शनिवार को हुए हंगामे के दौरान ही सीसीटीवी के तारों को काटा गया था। इसके बाद रविवार को परिसर में नाकाबपाश लोगों ने हमला कर दिया। इसमें 34 छात्र व शिक्षक घायल हो गए।

जेएनयू परिसर में रविवार रात हुई हिंसा के बाद पुलिस सोमवार को जांच के लिए पहुंची। पुलिस को परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों के तार कटे हुए मिले। जिन कैमरों के तार काटे गए थे, वहीं पर ही नाकाबपोश लोगों ने छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया था।  

पुलिस ने जेएनयू प्रशासन की मदद से 34 संदिग्ध छात्रों की सूची तैयार की है। इन छात्रों की हंगामे के दौरान लोकेशन तलाश की जा रही है। पुलिस ने उनके मोबाइलों को सर्विलांस पर लगा दिया है, जिससे इन छात्रों की घटना के समय लोकेशन और वह किससे बात कर रहे हैं। इनका पता चल सके।  

छात्रों और प्रशासन ने हंगामे के दौरान दिल्ली पुलिस को 102 फोन किया। मगर पुलिस कंट्रोल रूम में बैठे अधिकारी छात्रों से ही जेएनयू का रास्ता पूछने लगे। छात्रों ने आरोप लगाया है कि ज्यादात्तर बार फोन उठाने वाले लोगों ने उन्हें दंगाई कहकर फोन काट दिया और पुलिस समय से नहीं पहुंची थी।

वार्डन से पूछताछ : पुलिस ने सोमवार को साबरमती और पेरियार हॉस्टल के वार्डन एवं सुरक्षाकर्मियों से पूछताछ की। सभी को जांच पूरी होने तक दिल्ली में रुकने को कहा गया है।

8 के हाथ में फ्रैक्चर

जेएनयू में रविवार को हुई हिंसा में घायलों की संख्या 37 पहुंच तक गई है। सोमवार को एम्स और सफदरजंग अस्पताल में भर्ती सभी घायलों को छुट्टी दे दी गई। रविवार रात 34 घायलों को भर्ती कराया गया था। वहीं, तीन घायल सोमवार को अस्पताल आए। इनमें से आठ लोगों के हाथ और पैरों में फ्रैक्चर हैं।

छात्र छोड़ रहे JNU परिसर 

जेएनयू में रविवार को नकाबपोशों की तरफ से हुए हमले के बाद छात्रों ने परिसर छोड़ना शुरू कर दिया है।  सोमवार को बड़ी संख्या में छात्र अपने सामान के साथ वापस लौट गए। इनमें साबरमती और पेरियार छात्रावास के छात्रों की संख्या सबसे अधिक है। छात्रों का कहना है, वे जेएनयू परिसर में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं।

कुलपति ने की शांति बनाए रखने की अपील

जेएनयू कुलपति ने छात्रों और शक्षकों से शांति बनाए रखने की अपील की है।  कुलपति प्रो. कुमार ने कहा कि जेएनयू हिंसक घटना में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। इस मसले को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन उचित कार्रवाई करेगा।

विश्वविद्यालय की तीन बड़ी लापरवाही

1. दिनभर छात्र गुट रहे आमने-सामने फिर भी मौन रहा प्रशासन

पंजीकरण प्रक्रिया के आखिरी दिन रविवार को छात्रों के दो गुट आमने-सामने आ गए थे। इसे लेकर दिन में कई बार छात्र गुटों के बीच झड़प हुई, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने दिनभर चुप्पी साधे रखी। छात्रों का कहना है कि जेएनयू प्रशासन ने एक बार भी छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील नहीं की। हालांकि, हिंसा के बाद जेएनयू प्रशासन ने छात्रों को शांति बनाए रखने की अपील की।

2. शनिवार को हुए बवाल के बाद भी सतर्कता नहीं बरती गई  

आंदोलनकारी छात्रों ने शुक्रवार को सर्वर रूम में कब्जा कर विश्वविद्यालय परिसर में इंटरनेट व्यवस्था ठप कर दी थी। इसे लेकर शनिवार को भी छात्रों के दोनों गुटों में तनाव था। इसके बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन का रवैया लापरवाह रहा और कोई कार्रवाई नहीं की गई।

3. पंजीकरण के लिए दूसरे माध्यमों पर विचार ही नहीं किया गया

जेएनयू प्रशासन ने परीक्षा बहिष्कार की घोषणा के बाद छात्रों को परीक्षा के लिए अन्य विकल्प उपलब्ध कराए थे। छात्रों को ई-मेल और व्हाट्स एप के माध्यम से परीक्षा देने की सुविधा दी गई थी, लेकिन जेएनयू प्रशासन ने पंजीकरण के लिए ई-मेल, व्हाट्सऐप जैसे माध्यमों पर विचार नहीं किया।