Vikrant Shekhawat : Dec 09, 2021, 07:20 PM
New Delhi : नरेंद्र मोदी सरकार ने 17 दिसंबर, 2016 को जनरल बिपिन रावत को थलसेना का 27वां प्रमुख नियुक्त किया था। मेरिट, ट्रैक रिकॉर्ड और विजन का हवाला देते हुए सरकार ने दो अन्य वरिष्ठ अफसरों के मुकाबले जनरल रावत को तरजीह दी थी। इसके बाद उन्हें 1 जनवरी, 2020 को पहली चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किया गया। इसके अलावा नए बने विभाग डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स का उन्हें सचिव भी बनाया गया था। जनरल बिपिन रावत को देश में सैन्य आधुनिकीकरण की जिम्मेदारी दी गई थी। ढाई मोर्चे के युद्ध की बात करने वाले रावत लंबे समय से नए तरह की सैन्य रणनीति और बदलते दौर के हिसाब से सेना को तैयार करने के प्रयासों में जुटे थे।बुधवार को जनरल बिपिन रावत की तमिलनाडु में हेलिकॉप्टर क्रैश में हुई दुर्घटना से देश को बड़ा आघात लगा है। इसके साथ ही सरकार के सामने भी यह यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया है कि आखिर उनके बाद अब कौन जिम्मेदारी संभालेगा। माना जा रहा है कि मोदी सरकार एक बार फिर से मेरिट-कम-सीनियरिटी के फॉर्मूले पर आगे बढ़ते हुए नए सीडीएस का चयन करेगी। दरअसल एलएसी पर चीन से स्थिति लगातार तनावपूर्ण बनी हुई है। चीन की ओर से पश्चिमी सीमा पर टैंक, रॉकेट और मिसाइल तैनात कर दिए गए हैं। ऐसे में देश को तुरंत एक सीडीएस की जरूरत है, जो थिएटर कमांड के गठन के काम को आगे बढ़ा सके। नियम के मुताबिक सेना के किसी भी कमांडर इन चीफ को सीडीएस के तौर पर चुना जा सकता है। इसके लिए वरिष्ठता क्रम एकमात्र जरूरत नहीं है। इससे सीधा अर्थ है कि सरकार के पास जनरल बिपिन रावत का उत्तराधिकारी चुनने के लिए कई विकल्प मौजूद हैं। सरकार की ओर से ऐसे किसी अधिकारी को यह मौका दिया जा सकता है, जिसे कम से कम चीन के खिलाफ जारी तनाव से निपटने का अनुभव हो। जनरल बिपिन रावत अकसर ढाई मोर्चे पर युद्ध की बात करते थे, जिसमें पहला मोर्चा चीन का ही था। पीएम नरेंद्र मोदी के लिए जनरल बिपिन रावत का उत्तराधिकारी का चुनना काफी मुश्किल होगा। नए तरह के युद्ध की समझ वाले सैन्य अफसर की जरूरतइसकी वजह यह है कि एक तरफ चीन की चुनौती है तो वहीं दूसरी तरफ अफगानिस्तान में तालिबान का राज स्थापित होने के बाद चुनौती बढ़ गई है। यहां यह समझना जरूरी है कि पाकिस्तान कश्मीर को लेकर इन दिनों खासा एग्रेसिव है और अफगानिस्तान में तालिबान को सपोर्ट कर रहा है। इसके अलावा नए सीडीएस की नियुक्त में वर्तमान दौर में उभरी नई तरह की चुनौतियों का भी ख्याल रखना होगा। 21वीं सदी के वारफेयर की अच्छी समझ रखने वाले जनरल बिपिन रावत का विकल्प तलाशना आसान नहीं होगा। खासतौर पर साइबर और इन्फॉर्मेशन वारफेयर एक बड़ी चुनौती है। अकसर बिपिन रावत इस बात की ओर ध्यान दिलाते थे।